हरियाणा के राज्यों में पिछले कुछ दिनों से बिजली के बढ़े बिल को लेकर लोग शिकायत कर रहे हैं. इतना ही नहीं बढ़े हुए बिजली बिल का मुद्दा राज्य की विधानसभा में उठाया जा चुका है और अब एक बार फिर फरीदाबाद के विधायक नीरज शर्मा ने बिजली बिलों की राशि को लेकर सीएम मनोहर लाल खट्टर को पत्र भी लिखा है.
विधायक और लोगों की ओर से सीएम को लिखे गए पत्र में शिकायत की गई है कि बिजली विभाग की ओर से यूएचबीवीएन और डीएचबीएन के रेटों में अंतर आ रहा है. इसके साथ ही घर पर आने वाला बिल जहां पांच सौ रुपये है वहीं ऑनलाइन जमा करने के दौरान दो हजार रुपये बताया जा रहा है. इससे राज्य के लोग परेशान हैं. वहीं बिजली विभाग की ओर से कहा जा रहा है कि यह सिक्योरिटी अमाउंट है.
न्यूज 18 हिंदी से बातचीत में दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के अधीक्षण अभियंता नरेश कुमार कक्कड़ ने बताया कि जिस राशि को लेकर लोग शिकायत कर रहे हैं यह बिल की राशि नहीं है. उन्होंने बताया कि यह सिक्योरिटी अमाउंट है जो हरियाणा इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन के नियमों के अनुसार बढ़ाया गया है. यह सिक्योरिटी अमाउंट पिछले साल अप्रैल 2020 से ही लागू होना था लेकिन कोरोना के चलते एक साल देरी से अब शुरू किया जा रहा है.
कक्कड़ कहते हैं कि तीन साल के बाद एचईआरसी की ओर से नियम बनाकर सिक्योरिटी की राशि बढ़ाई गई है. बिजली की खपत बढ़ने पर सिक्योरिटी अमाउंट बढ़ाया गया है. इसके तहत किसी भी मीटर धारक के पिछले साल के बिल को 12 महीनों में बांटकर उसके एक महीने की जो राशि बनती है उसका दो गुना सिक्योरिटी अमाउंट लिया जा रहा है. ऐसे में लोगों को लग रहा है कि बिल तीन गुना हो गया है जबकि यह सिर्फ एक बार जमा करना है. इतना ही नहीं पहले से जमा सिक्योरिटी अमाउंट के बाद जो भी राशि शेष बच रही है, वहीं राशि ऑनलाइन बिल जमा करते समय भरवाई जा रही है.वे कहते हैं कि अगर किसी व्यक्ति ने पहले ज्यादा सिक्योरिटी जमा कराई हुई है लेकिन उसका प्रति माह का बिल कम हो गया है तो बची हुई राशि वापस भी की जा रही है. इसके साथ ही कोई व्यक्ति अपना कनेक्शन कटवाता है तो उसे उसकी पूरी सिक्योरिटी की राशि वापस कर दी जाएगी.
हालांकि बिजली विभाग की ओर से दी जा रही इस दलील के खिलाफ फरीदाबाद सहित कई जिलों में लोग आवाज उठा रहे हैं और राज्य सरकार से सिक्योरिटी अमाउंट के फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. अभिभावक एकता मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा का कहना है कि यह आम आदमी की जेब पर डाका डालने जैसा है. राज्य में पहले से ही बिजली बिल की दरें बढ़ी हुई हैं. इसके साथ ही दो महीने का बिल एक साथ लिया जाता है, जिस पर पेनल्टी भी बड़ी लगती है. ऐसे में अब यह सिक्योरिटी अमाउंट के नाम पर हो रही वसूली गलत है.
कैलाश शर्मा ने कहा कि इस नियम को हटाने के लिए वे सभी राज्य के मुख्यमंत्री से मांग कर रहे हैं. यह अमाउंट गरीब आदमी के लिए अतिरिक्त वजन जैसा है. इस गैर-जरूरी वसूली से लोग खासे परेशान हैं. अगर सरकार इसे वापस नहीं लेती है तो राज्य में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.