• June 26, 2024 7:17 pm

15-20 मिनट में होने वाले अल्ट्रासाउंड महज 3 से 4 मिनट में हो रहे, जांच गुणवता पर सवाल

20 अक्टूबर 2022 | किसी मरीज के उपचार में अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट अहम होती है। अमूमन पथरी, संक्रमण, सूजन सहित अन्य बीमारियों की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड करवाया जाता है। इसमें सामान्य तौर पर एक मरीज का सही अल्ट्रासाउंड करने में 15 से 25 मिनट का समय लगता है, लेकिन जीएमसी की इमरजेंसी में हालात इसके विपरीत हैं। यहां एक मरीज का अल्ट्रासाउंड 3 से 4 मिनट में और चौबीस घंटे में औसतन 250 से 300 अल्ट्रासाउंड किए जा रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार 10 से 20 प्रतिशत अल्ट्रासाउंड के मामलों में ही बीमारी मिलती है।

इसी तरह रेडियोलॉजी विभाग में ओपीडी और वार्डों के मरीजों का औसतन 5 से 7 मिनट में अल्ट्रासाउंड किया जा रहा है। इससे अल्ट्रासाउंड की गुणवत्ता जांच पर सवाल उठता है। इमरजेंसी में ऐसी व्यवस्था के पीछे मरीजों का भारी लोड होना है। इमरजेंसी में वरिष्ठ सलाहकार डाक्टरों की अनुपलब्धता के चलते जूनियर डाक्टरों द्वारा बेवजह मरीजों को अन्य जांचों के साथ अल्ट्रासाउंड लिखा जा रहा है।

रेडियोलॉजी विभाग में सामान्य तौर पर सुबह दस बजे से शाम चार बजे तक अल्ट्रासाउंड किए जाते हैं। यहां दो अल्ट्रासाउंड टेबल पर दैनिक आधार पर औसतन 70 तक अल्ट्रासाउंड किए जा रहे हैं। इन टेबलों पर चार डॉक्टर उपलब्ध होते हैं, जबकि इमरजेंसी अल्ट्रासाउंड सेक्शन में रोटेशन में तीन डाक्टर और तीन टेक्नीशियन राउंड द क्लॉक उपलब्ध होते हैं, इसमें अधिकांश पीजी डॉक्टर होते हैं, जबकि यहां भी रजिस्ट्रार स्तर का डाक्टर होना चाहिए। इमरजेंसी में लंबे समय से दो अल्ट्रासाउंड मशीनों की जरूरत महसूस की जा रही है। गत मंगलवार को ही इमरजेंसी में चौबीस घंटे में 229 अल्ट्रासाउंड किए गए हैं।

लंबी कतारों में अपनी बारी के लिए करना पड़ रहा घंटों इंतजार

जीएमसी की इमरजेंसी में एकमात्र मशीन पर अल्ट्रासाउंड के लिए मरीजों में माथापच्ची बढ़ी है। लंबी कतारों में मरीजों को अपनी बारी के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। खासतौर पर दोपहर की शिफ्ट के बाद हालात ज्यादा खराब हो जाते हैं। उस समय वार्डों के मरीजों का लोड भी इमरजेंसी पर आ जाता है। इमरजेंसी में एक अल्ट्रासाउंड के लिए मरीज से 160 रुपये शुल्क लिए जा रहे हैं, लेकिन इसके बदले में उन्हें अल्ट्रासाउंड की फिल्म उपलब्ध नहीं करवाई जाती है और सामान्य इमरजेंसी कार्ड पर ही अल्ट्रासाउंड जांच लिखकर दे दी जाती है। जीएमसी प्रशासन द्वारा विभागों को मरीजों को जरूरी जांच करवाने की हिदायत दी गई है, लेकिन खासतौर पर इमरजेंसी में आने वाले लगभग मरीज को अल्ट्रासाउंड लिखकर दे दिया जाता है। सेवानिवृत्त डॉ. अशोक शर्मा के अनुसार विभाग में अल्ट्रासाउंड के लिए सलाहकार डॉक्टर होना चाहिए, जबकि इमरजेंसी में रजिस्ट्रार स्तर का डॉक्टर होना चाहिए। इसमें मरीजों से शुल्क लेने पर उन्हें अल्ट्रासाउंड की फिल्म देना अनिवार्य है।

डॉक्टर ने पांच मिनट बाद भेज दिया बाहर

  • केस 1: जीएमसी की इमरजेंसी में बुधवार की दोपहर पहुंचे अखनूर निवासी रोशन दीन को अपने मरीज का अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए एक घंटे इंतजार करना पड़ा। उनका 12 मरीजों के बाद नंबर आया। डॉक्टर ने 4-5 मिनट लगाकर अल्ट्रासाउंड किया और बाहर भेज दिया। अल्ट्रासाउंड की फिल्म न देकर इमरजेंसी कार्ड पर ही लिखा गया, जिसे लेकर तीमारदार डॉक्टर के पास चले गए।

लाइन में लगकर 40 मिनट तक किया इंतजार

  • केस 2: जीएमसी की इमरजेंसी के अल्ट्रासाउंड सेक्शन में फंसे जानीपुर निवासी राजीव शर्मा अपने मरीज के दर्द को लेकर काफी परेशान थे। लेकिन लंबी लाइन होने के कारण उन्हें 40 मिनट इंतजार करना पड़ा। इस दौरान मरीज को कई बार पानी पिलाकर राहत देने की कोशिश की गई। अल्ट्रासाउंड के लिए लाइन में खड़े कई सामान्य मरीज भी थे।

अतिरिक्त अल्ट्रासाउंड के कमरे के लिए कहा है: एचओडी

रेडियोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. कुलभूषण गुप्ता का कहना है कि विभिन्न विभागों से अल्ट्रासाउंड के लिए मरीजों को भेजा जा रहा है। इसमें मरीज को मना नहीं किया जा सकता है। इमरजेंसी में मरीजों के लोड को देखते हुए अतिरिक्त अल्ट्रासाउंड के लिए जीएमसी प्रशासन को कमरा देने के लिए बोला गया है। मरीजों के अधिक लोड के कारण उन्हें इमरजेंसी कार्ड पर अल्ट्रासाउंड जांच नतीजा लिखकर दिया जाता है। फिल्म देने में अतिरिक्त समय लगेगा।

सोर्स :-“अमर उजाला”                                         

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