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मरने के बाद एडोल्फ हिटलर की संपत्ति का क्या हुआ?

ByADMIN

Mar 2, 2024

एडोल्फ हिटलर के पास मौत के समय इतनी संपत्ति थी कि अगर आज वह जिंदा होता तो दुनिया का सबसे अमीर शख्स होता. द न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक हिटलर एक अरबपति शख्स था. ऐसा दावा किया जाता है कि वह 1 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति का मालिक था. कहा जाता है कि एडोल्फ हिटलर बेहद ही गरीब बैकग्राउंड से था. जर्मन सेना में काम करने के दौरान अक्सर उसके परिवार को गुजारा करने के लिए संघर्ष करना पड़ता था.

30 अप्रैल, 1945 को नाज़ी पतन के साथ एडोल्फ हिटलर ने आत्महत्या कर ली. उसका शव बंकर में मिला, जो उसने और उसके सहयोगियों ने भारी बमबारी से खुद को बचाने के लिए बनाए थे. यह बंकर न्यू रीच चांसलरी से कई फीट नीचे बनाया गया था जहां पर लोगों के रहने के लिए शानदार सुविधाएं मौजूद थीं. इस बंकर को हिटलर ने 1938 में बनवाया था. “इनसाइड द थर्ड रीच” के अनुसार, जिस व्यक्ति को इसका काम सौंपा गया था उसे हिटलर ने जल्दी लेकिन मजबूत निर्माण करने के आदेश दिए थे. हिटलर ने कहा था कि इसकी लागत महत्वहीन है.

बंकर निर्माण की कहानी से पता चलता है कि हिटलर की हर इच्छा पूरी करने के लिए उसके पास काफी ज्यादा पैसे थे. तानाशाह हिटलर का जर्मन खजाने पर प्रभावी रूप से व्यक्तिगत नियंत्रण था और उसने अपने साम्राज्य के ढहने से पहले, खुद के लिए एक विशाल संपत्ति जमा कर ली थी. लेकिन अपनी शक्ति के चरम पर हिटलर के पास कितनी संपत्ति थी और उसका क्या हुआ?

गरीब बैकग्राउंड से था हिटलर

एडोल्फ हिटलर बेहद ही गरीब बैकग्राउंड से था. जर्मन सेना में सेवा करने के दौरान अक्सर उसके परिवार को गुजारा करने के लिए संघर्ष करना पड़ता था. इतिहासकार इयान केरशॉ के अनुसार, इसी दौरान हिटलर ने अपनी स्थिति से निराश होकर दिमाग को हथियार बनाया और उसने जर्मन राज्य में कमियों के लिए वहां के नेताओं को दोषी बताना शुरू कर दिया. इसके बाद जर्मनी की यहूदी आबादी और पड़ोसी देशों के प्रति उसकी नफरत बढ़ गई और उसने “मीन कैम्फ” नाम की किताब लिखी.

हिटलर पहले से ही नेशनल सोशलिस्ट (नाजी) पार्टी के साथ सत्ता में आने के लिए दबाव बना रहा था. यह पुस्तक उसके लिए इनकम का मेन सोर्स बन गई जिसने उनकी राजनीतिक साजिशों को वित्तपोषित करने के साथ-साथ नाजी नेता के लिए व्यक्तिगत रिश्तों को भी बेहतर करने का काम किया. जब नाज़ी सत्ता में आए तो हर नवविवाहित जोड़े को इस किताब की एक कॉपी दी गई. इसके कारण किताब री बिक्री में वृद्धि हुई और हिटलर को हर साल लगभग 12 मिलियन डॉलर की कमाई होने लगी. इसके बाद नाज़ियों ने अपने आधिकारिक सरकारी चित्रों से रॉयल्टी के रूप में भी काफी पैसा कमाया.

हिटलर की मौत के समय उसकी संपत्ति

एडोल्फ हिटलर के पास मौत के समय में इतनी संपत्ति थी कि अगर आज वह जिंदा होता तो दुनिया का सबसे अमीर शख्स होता. साथ ही न्यू रीच चांसलरी (जो आखिरी बर्लिन की लड़ाई में खत्म हो गई थी) में हिटलर के कई निजी मकान थे. इनमेंबवेरिया में बर्गॉफ़ नामक घर और म्यूनिख में एक अपार्टमेंट शामिल था. हिटलर ने एक महल के पुनर्विकास में भी बहुत पैसा खर्च किया था. पॉज़्नान के पोलिश शहर में अपने विस्तार के दौरान नाज़ियों ने चोरी की कला और सोने से बहुत सारा धन इकट्ठा किया था, जिसका ज्यादातर हिस्सा जर्मन सेंट्रल बैंक में रखा गया था. हालांकि, इन संपत्तियों को व्यक्तिगत रूप से हिटलर के बजाय रीच के कब्जे में बताया गया. लेकिन, तानाशाह के रूप में हिटलर अपनी इच्छा अनुसार, देश के खजाने को खर्च करने के लिए स्वतंत्र था.

हालांकि इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि मृत्यु के समय उसके बैंक खातों में कितनी राशि थी. द न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे सूत्रों का मानना है कि वह काफी धनी था और एक अरबपति शख्स था. दावा किया जाता है कि अपने चरम के समय पर हिटलर 1 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति का मालिक था.

हिटलर की अंतिम वसीयत

जब उसे एहसास हुआ कि नाजी शासन समाप्त हो रहा है, तो एडोल्फ हिटलर ने अपनी आखिरी वसीयत लिखवाई. इसमें जल्द ही पराजित होने वाले तानाशाह ने अपने पूर्व सहयोगियों सहित अपने दुश्मनों के खिलाफ हमला बोला. अपनी मृत्यु से पहले उसने अपनी साथी ईवा ब्रौन से शादी की घोषणा की. उसने यह भी दावा किया कि उसकी मौत के बाद मेरे पास जो कुछ भी है और यदि पार्टी का अस्तित्व नहीं रहा तो वह राज्य की होगी.

हिटलर ने अपने कला संग्रह का भी उल्लेख किया है, जिसके बारे में दावा है कि इसे कभी भी उसने निजी संतुष्टि के लिए एकत्र नहीं किया गया था, बल्कि “विशेष रूप से पैतृक शहर लिंज़ एड डोनाउ में एक आर्ट गैलरी के निर्माण के लिए इकट्ठा किया.” दस्तावेज़ को हिटलर के चुने हुए वफादार मार्टिन बर्मन की देखरेख में फ्यूहरर बंकर से बाहर ले जाया गया था, जिसके बारे में हिटलर की वसीयत कहती है कि वह मृतक नेता की संपत्ति में से जो भी स्मृति चिन्ह चाहे ले सकता है और अपने भाई-बहनों, सास को भेंट कर सकता है.

हिटलर की किताब पर लगी रोक

बर्लिन की लड़ाई के बाद उसकी वसीयत आखिर में मित्र देशों की सेना के हाथों में आ गई तो इसे कानूनी दस्तावेज से अधिक एक क्यूरियो के रूप में माना गया, जिसकी एक प्रति राष्ट्रपति हैरी एस. ट्रूमैन को प्रस्तुत की गई और बाद में इसे अमेरिकी राष्ट्रीय अभिलेखागार में रखा गया.

हिटलर की धनराशि के साथ-साथ उसकी पुस्तक “मीन कैम्फ” की संपदा अधिकार संघीय राज्य बवेरिया को वापस कर दिया गया, जिसने हिटलर की मृत्यु के बाद जर्मनी में पुस्तक के आगे के प्रकाशन को रोक दिया. हालांकि 2010 में इसका कॉपीराइट भी खत्म हो गया. बवेरिया ने हिटलर के बचे हुए जर्मन आवासों और अन्य संपत्तियों पर भी नियंत्रण कर लिया. 1996 में यह रिपोर्ट किया गया था उन्होंने अतिरिक्त स्विस बैंक खातों का खुलासा किया है, जिनमें हिटलर से संबंधित लाखों रॉयल्टी हो सकती है.

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती. युद्ध की समाप्ति के बाद एडोल्फ हिटलर की बहन पाउला लोगों के सामने आई और उसने अपने हिस्से पर दावा किया. पाउला केविरासत का दावा कई वर्षों तक इस वजह से फंसा रहा, क्योंकि हिटलर के शरीर की ठीक से पहचान नहीं हो पाई थी. उसकी आत्महत्या के तुरंत बाद चांसलरी गार्डन में उसे ईवा ब्रौन के साथ जलाकर राख कर दिया गया था. घटनास्थल से एकत्र की गई हड्डियों के टुकड़ों के आधार पर उसकी पुष्टि होने में समय लगा.

पाउला 1952 में हिटलर के म्यूनिख अपार्टमेंट में चली गईं और भाई के मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं होने के बावजूद कानूनी चुनौती जारी रखी. 1 जून, 1960 को उसकी भी मृत्यु हो गई. हालांकि हिटलर की संपत्ति का दो-तिहाई हिस्सा उनको बाद में दे दिया गया.

स्रोत :- ” TV9 भारतवर्ष    

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