सम्पादकीय
17-जुलाई-2021 | केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में पिछले दिनों मंत्रिमंडल का जो विसर किया गया, वह अब तक का सबसे बड़ा बदलाव कहा जा सकता है. क्योंकि प्रधानमंत्री ने36 मंत्रियों को बदल दिया. इसमें 43 मंत्रियों ने शपथ ली है. इस लिहाज से ये किसी भी सरकार का सबसे बड़ा मंत्रिमंडल विस्तार भी कहा जा सकता है.
ख़ास बात यह रही कि शपथ ग्रहण से कुछ घंटे पहले ही देश के स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण और सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्रियों ने इस्तीफ़े दे दिए. वहीँ मोदी सरकार के 12 मंत्रियों को पद से हटाया भी गया है. न्यूनतम शासन और अधिकतम परिणाम’ का नारा देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में इस बार 36 नए मंत्री शामिल किए गए हैं. देश की राजनीति को करीब से समझने वाले विश्लेषक इसके पीछे दो बड़े कारण मान रहे हैं- एक तो यह कि व्यावहारिक राजनीतिक मजबूरियाँ के कारण यह विसर किया गया. दूसरा बड़ा कारण यह है कि महामारी के बाद जनता को ज़मीनी काम होते हुए दिखाना भी ज़रूरी हो गया है. वर्ना जनता का आक्रोश आगामी चुनाव में भी असर दाल सकता है.
मंत्रिमंडल विस्तार में बड़ी संख्या में मंत्रियों को शामिल करने के मामले में कुछ राजनितिक पंडित यह भी कह रहे हैं कि “यह वास्तव में एक राजनीतिक व्यवहारिकता है. इसे यू समझा जाये कि सरकार की कुछ राजनीतिक मजबूरियाँ भी होती हैं. मिसाल के तौर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस छोड़कर आने के करम मंत्री बनाना जरुरी था. एक तर्क यह भी दिया जा रहा है कि पिछली बार भी प्रधानमंत्री ने कई मंत्रालयों को समेटा था, कई मंत्रालय को एक किया था, इस बार भी यह प्रयास किया गया है एक तरह के मंत्रालय एक जगह रहें. अब देखना होगा की नए मंत्री बदले हुए मंत्रिमंडल में किस हद तक लोगों की उम्मीदों को पूरा करने में सफल होते हैं.
संपादक;-वी.जे. कुमार