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भारत-कनाडा तनाव पर पंजाब के राजनीतिक दल इतने सतर्क क्यों हैं?

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Sep 27, 2023 ##prompt times, ##Punjab

सितम्बर 27 2023 ! कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की ओर से अपने देश की संसद में खालिस्तान समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों के हाथ होने की आशंका ज़ाहिर किए जाने के बाद भारत और कनाडा के रिश्ते पटरी से उतर गए हैं.

दोनों देशों के बीच इस तनाव ने पंजाब के राजनीतिक दलों को भी मुश्किल में डाल दिया है.

शुरू में इस मुद्दे को लेकर थोड़ा आक्रामक रुख़ दिखाने की कोशिश करने वाली पार्टियां अब इस पर सतर्क प्रतिक्रिया दे रही हैं.

कांग्रेस नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा था कि ट्रूडो के बयान के ख़िलाफ़ न बोल कर अकाली दल राज्य में सिख वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहता है.

पंजाब बीजेपी की कोर कमिटी के सदस्य राणा गुरमीत सिंह सोढी ने कहा था कि अकालियों को इस मामले में अपना स्टैंड साफ़ करना होगा.

बीजेपी का ये बयान अकाली दल के इस बयान के बाद आया था कि ट्रूडो ने निज्जर की हत्या के मामले में भारतीय एजेंसियों की भूमिका को लेकर जो आशंका जताई है, उस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश के सामने सारे तथ्य रखने चाहिए.

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैप्टन अमरिंदर प्रदेश के शायद एकमात्र बड़े नेता हैं, जिन्होंने पूरे विवाद में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को आड़े हाथों लिया. अमरिंदर सिंह ने 19 सितंबर को ट्वीट कर कहा था, ”जस्टिन ट्रूडो का यह कहना है कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ है, यह पूरी तरह से बेबुनियाद है. ट्रूडो वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं.”

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, ”2018 में ट्रूडो जब अमृतसर आए थे तो मैंने उनसे कहा था कि कैसे कनाडा में भारत विरोधी गतिविधियां चल रही हैं. अब भी कनाडा की सरकार ने इसे रोकने के लिए कोई क़दम नहीं उठाया है.”

इसके बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 23 सितंबर को अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस में लेख लिखा और जस्टिन ट्रूडो से कई सवाल पूछे. इस लेख में अमरिंदर सिंह ने कहा है, ”कनाडा में भारत विरोधी गतिविधियां खुलेआम चल रही हैं. भारतीय उच्चायोग और हिन्दू पूजा स्थलों पर हमले को भारत के लोग भूल नहीं पाए हैं. क्या ट्रूडो की सरकार ने इनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई की?”

हालाँकि इन शुरुआती बयानबाजियों के बाद पंजाब के राजनीतिक दलों ने फ़िलहाल इस मामले में एक दूसरे पर आरोप लगाना बंद कर दिया है.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ये अच्छी बात है कि इन राजनीतिक दलों ने फ़िलहाल इस मुद्दे पर एक दूसरे पर आरोप मढ़ने बंद कर दिए हैं. ये ध्यान रखना चाहिए कि ऐसी कोई भी बयानबाजी आख़िरकार पंजाब के लोगों का नुक़सान करेगी.

 ‘राजनीतिक दल पंजाब को तू-तू मैं-मैं के ज़रिये ख़राब न करें. ये सीमा से लगा राज्य है. यहाँ के लोगों ने देश के लिए बड़ी कुर्बानियां दी हैं. इक्के-दुक्के सिरफिरे जो बंदूकें लेकर घूम रहे हैं, उनके लिए पूरे सिख समुदाय को बदनाम करना सही नहीं है.’’

उन्होंने कहा, ”केंद्र सरकार को इन राजनीतिक दलों को बुला कर बात करनी चाहिए थी. इस मुद्दे पर पूरे भारत को एक आवाज़ में बात करनी चाहिए. अलग-अलग सुर में बात करने का कोई मतलब नहीं है.”

  सोर्स :-“BBC  न्यूज़ हिंदी”                                  

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