• May 13, 2024 6:15 am

सितंबर तक कर पाएंगे दर्शन, तीर्थयात्रा के लिए LOC से 10 किमी दूर शारदा पीठ कॉरिडोर की भी उठी मांग

4 अप्रैल 2022 | पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में शारदा पीठ मंदिर नहीं जा पाने वाले हिंदुओं के लिए एक अच्छी खबर है। अब उत्तरी कश्मीर के टीटवाल इलाके में LOC के पास माता शारदा के मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। इस साल सितंबर तक इसे पूरा कर लिया जाएगा और भक्त मंदिर में दर्शन और प्रार्थना कर सकेंगे।

हिंदू, मुस्लिम और सिखों ने मिलकर की पूजा
मंदिर का निर्माण सेवा शारदा कमेटी कश्मीर (SSCK) की ओर से करवाया जा रहा है। SSCK के प्रमुख रविंदर पंडिता ने बताया कि निर्माण स्थल पर एक पूजा आयोजित की गई, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से कश्मीरी हिंदुओं ने भाग लिया। इस दौरान सिख और मुसलमान भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

6 महीनों में बन जाएगा मंदिर
पंडिता ने बताया कि माता के मंदिर का निर्माण कार्य इन दिनों जोरों पर है। हमें उम्मीद है कि छह महीने के भीतर निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। मंदिर का निर्माण POK में शारदा पीठ मंदिर की सदियों पुरानी तीर्थ यात्रा को पुनर्जीवित करने के लिए किया जा रहा है।

कर्नाटक से आएगा ग्रेनाइट पत्थर
मंदिर को बनाने के प्लान और मॉडल को कर्नाटक में स्थित श्रृंगेरी साउथ मठ ने अप्रूव किया है। मंदिर में इस्तेमाल होने वाले ग्रेनाइट पत्थरों को कर्नाटक के बिदादी से लाया जाएगा।

POK में स्थित 5000 साल पुराना शारदा पीठ।

POK में स्थित 5000 साल पुराना शारदा पीठ।

1947 में नष्ट किया गया था मंदिर
शारदा पीठ का अर्थ है- शारदा की जगह या गद्दी। यह देवी सरस्वती का कश्मीरी नाम है। शारदा पीठ POK में नीलम नदी के किनारे शारदा गांव में स्थित एक मंदिर है। शारदा पीठ 18 महाशक्ति पीठों में से एक है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, यहां देवी सती का दायां हाथ गिरा था। इस प्राचीन विरासत स्थल को 1947 में नष्ट कर दिया गया था।

आखिरी बार महाराजा गुलाब सिंह ने करवाई थी मंदिर की मरम्मत
शारदा पीठ में देवी सरस्वती की आराधना की जाती है। यह भारतीय उपमहाद्वीप के प्रमुख प्राचीन विश्वविद्यालयों में से एक था। शंकराचार्य यहीं सर्वज्ञपीठम पर बैठे थे। इस मंदिर की आखिरी बार मरम्मत 19वीं सदी के महाराजा गुलाब सिंह ने कराई थी। शारदा देवी मंदिर में आजादी के बाद से विधिवत पूजा नहीं हुई है।

यात्रा के लिए लेना पड़ता है नो-ऑब्‍जेक्‍शन सर्टिफिकेट
LOC के काफी करीब होने की वजह से यहां आसानी से तीर्थयात्रा की इजाजत नहीं मिलती। मंदिर तक जाने के लिए भारतीयों को नो-ऑब्‍जेक्‍शन सर्टिफिकेट लेना पड़ता है। लोगों ने मांग की है कि करतारपुर की तर्ज पर तीर्थ यात्रा के लिए शारदा पीठ खोली जाए। लाइन ऑफ कंट्रोल से इस पीठ की दूरी 10 किलोमीटर है।

Source :- “दैनिक भास्कर”

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