सुरही: बदलते वक्त के साथ शहरी महिलाओं की तरह ही अब गांव की महिलाओं की सोच व कार्यशैली में भी बदलाव आता जा रहा है। गांव की जो महिलाएं पहले अपने घर के चौका-बर्तन करने व जानवरों के लिए सानी-पानी का इंतजाम करने के अलावा और कुछ नहीं कर पाती थीं, अब सरकारी योजनाओं एवं रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण की बदौलत स्वरोजगार कर आत्मनिर्भर बन रही हैं। नावाडीह प्रखंड की कई महिलाओं को देखें, जो मशरूम उपजाकर और वॉशिग पाउडर बना व बेचकर स्वावलंबन की दिशा में अग्रसर हो गई हैं। उनमें बाराडीह पंचायत अंतर्गत तिलैयाटांड़ के यमुना स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं पुष्पा देवी राज्य स्तरीय एनिमेटर अवार्ड से सम्मानित हो चुकी हैं। वे गांव की उन महिलाओं के लिए आशा की किरण बन चुकी हैं, जो अपने लिए नया आसमान तलाश रही हैं। लोगों को भी प्रेरित कर रही हैं पुष्पा : पुष्पा देवी ने मशरूम की खेती को न सिर्फ खुद अपनाया बल्कि अन्य महिलाओं को भी मशरूम उपजाने के लिए प्रेरित कर रही हैं। वे बताती हैं कि नाबार्ड बोकारो के सौजन्य से आदर्श ग्राम विकास सेवा समिति नावाडीह द्वारा उन्हें आजीविका उद्यमिता विकास के तहत मशरूम उपजाने का सात दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया था। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद घर में ही मशरूम उत्पादन करना प्रारंभ किया। शुरुआत में तो उपजाए मशरूम को अपने घर में उपयोग करने के साथ ही पास-पड़ोस में बेचा। बाद में बाजार में बेचना शुरू किया तो आमदनी बढ़ गई। यह देखकर पति भी उनकी मदद करने लगे। डिटर्जेट पाउडर बनाने का दिया गया प्रशिक्षण : आदर्श ग्राम विकास सेवा समिति की ओर से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नावाडीह प्रखंड की खरपीटो एवं चंद्रपुरा प्रखंड की तरंगा पंचायत में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को डिटर्जेट पाउडर बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। उक्त पंचायतों की दर्जनों महिलाएं डिटर्जेट पाउडर बना व बेचकर स्वावलंबी बन रही हैं।