जयपुर: भूजल विभाग (Ground Water Department) की राजस्थान (Rajasthan) में जलस्तर पर डराने वाली रिपोर्ट सामने आई है. जिलेवार जारी की गई भूजल विभाग की रिपोर्ट में सबसे ज्यादा जयपुर (Jaipur) का जलस्तर कम हुआ है. इसके अलावा झालावाड़ (Jhalawar), उदयपुर (Udaipur), प्रतापगढ़ (Pratapgarh) का जलस्तर भी बहुत गिर गया है.
रेगिस्तान की मिट्टी सूखने लगी
राजस्थान में दो तिहाई से ज्यादा रेगिस्तान है, इसलिए रेगिस्तान की मिट्टी में पानी बहुत कम है लेकिन जितना पानी मरूधरा (Marudhara) की मिट्टी में था, अब वो भी सूखता जा रहा है. भूजल विभाग की डराने वाली रिपोर्ट में कुछ ऐसा ही खुलासा हुआ है. भूजल विभाग में प्रदेश के 990 कुओं का विश्लेषण किया था, जिसमें से 639 कुओं का जलस्तर पिछले एक साल में गिरता चला गया यानी करीब 65 फीसदी कुओ में जलस्तर कम हो गया.
जयपुर का जलस्तर सबसे ज्यादा गिरा
पूरे राजस्थान में सबसे कम पानी का जलस्तर राजधानी जयपुर (Jaipur) का कम हुआ है. जयपुर के 102 कुओं के विश्लेषण में से 62 कुओं का जलस्तर गिर गया है. वहीं बांसवाड़ा (Banswara) में हमेशा से पानी का जलस्तर ठीक हुआ करता था, लेकिन अबकी बार वहां भी पानी का जलस्तर कम हो गया है. बांसवाड़ा में 39 कुओं का विश्लेषण हुआ, जिसमें से 30 में पानी का जलस्तर कम हो गया. इसके अलावा उदयपुर (Udaipur) में 41 में से 29 कुओं का जलस्तर घटा. वहीं जलदाय मंत्री बीडी कल्ला (BD Kalla) का कहना है कि लगातार सरकार भूजल बढ़ाने के लिए प्रयास कर रही है. राजस्थान में दो तिहाई रेगिस्तान के कारण भी पानी की कमी देखी जाती है.
इन जिलों में बढ़ा जलस्तर
वैसे तो राजस्थान के सभी 33 जिलों में पिछले साल के मुकाबले जलस्तर में गिरावट दर्ज की गई है लेकिन इन जिलों में कुछ स्थान ऐसे हैं, जहां जलस्तर में बढोतरी हुई है. राजस्थान में 330 कुओं में पानी की वृद्धि दर्ज की गई है. जैसलमेर में 59 में से 31 कुओं में पानी की बढ़ोतरी हुई है. वहीं, जोधपुर में 32, नागौर में 10 पाली में 11, राजसमंद में 12 कुओं में वृद्धि हुई है.
मंत्री बीडी कल्ला ने साधा केंद्र सरकार पर निशाना
मंत्री बीडी कल्ला ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि राजस्थान में जलसकंट पर केंद्र सरकार को अतिरिक्त बजट जारी करना चाहिए ताकि अधिक से अधिक योजनाएं बनाई जा सके. आर्थिक संकट के कारण राजस्थान को जलसंकट से जूझना पडता है लेकिन ऐसे में केवल सरकार और संस्थाओं को ही आगे आने की जरूरत नहीं, बल्कि हर व्यक्ति को पानी बचाने के लिए आगे आना होगा, ताकि हमारा कल हमारे अपनों के लिए सुरक्षित रहे.