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‘बेरूत रो रहा है, बेरूत चिल्ला रहा है, बेरूत को खाना चाहिए, बेरूत को कपड़े चाहिए’

ByPrompt Times

Aug 7, 2020
'बेरूत रो रहा है, बेरूत चिल्ला रहा है, बेरूत को खाना चाहिए, बेरूत को कपड़े चाहिए'

लेबनान की राजधानी बेरूत के निवासियों ने सरकार पर नाराज़गी जताई है. लोगों का आरोप है कि बेरूत पोर्ट के पास एक गोदाम में हुए भयानक विस्फोट के पीछे सरकार की लापरवाही है.

राष्ट्रपति मिशेल आउन ने कहा है कि धमाका 2750 टन अमोनियम नाइट्रेट की वजह से हुआ, जो असुरक्षित तरीक़े से पोर्ट के एक गोदाम में रखा गया था.

कई लोगों ने अधिकारियों पर भ्रष्टाचार, लापरवाही और कुप्रबंधन का आरोप लगाया है.

मंगलवार को हुए इस धमाके में कम से कम 137 लोगों की मौत हुई है और क़रीब 5000 लोग घायल भी हुए हैं. अभी भी कई लोग लापता बताए जा रहे हैं.

राजधानी बेरूत में दो सप्ताह के लिए इमरजेंसी लगा दी गई है.

फ़िल्मकार जूड चेहाब ने बीबीसी को बताया, “बेरूत रो रहा है, बेरूत चिल्ला रहा है, लोग उन्माद में हैं, लोग थक गए हैं.”

उन्होंने माँग की है कि ज़िम्मेदार लोगों पर क़ानूनी कार्रवाई होनी चाहिए.

बेरूत के निवासी चाडिया एलमेओची नाउन इस समय अस्पताल में हैं. उन्होंने कहा, “मैं हमेशा से ये जानता था कि हमारा नेतृत्व अयोग्य लोगों और अयोग्य सरकार के हाथ में है. उन्होंने अब जो किया है, वो आपराधिक है.”

बुधवार को लेबनान की सरकार ने ये घोषणा की थी कि जाँच पूरी होने तक बेरूत पोर्ट के कई अधिकारियों को उनके घर में नज़रबंद किया जा रहा है.

देश की सर्वोच्च सुरक्षा परिषद ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि जो भी ज़िम्मेदार पाए जाते हैं, उन्हें अधिकतम सज़ा दी जाएगी.

इस बीच एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच ने धमाके की स्वतंत्र जाँच की माँग की है.

एक बयान में ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा है कि उसे इस बात पर गंभीर चिंता है कि लेबनान की न्यायपालिका अपने दम पर एक विश्वसनीय और पारदर्शी जाँच कर पाएगी.

धमाका कैसे हुआ?

ऐसी ख़बरें हैं कि कृषि उर्वरक और विस्फोटक के रूप में इस्तेमाल किया जाने वाला अमोनियम नाइट्रेट बेरूत पोर्ट के पास एक गोदाम में छह सालों से पड़ा हुआ था. वर्ष 2013 में एक जहाज़ को पकड़ा गया था और उसी जहाज़ से ये अमोनियम नाइट्रेट उतारा गया था.

बेरूत पोर्ट के प्रमुख और कस्टम्स के प्रमुख ने स्थानीय मीडिया को बताया कि उन्होंने न्यायपालिका को इस बारे में कई बार पत्र लिखा था. उन्होंने माँग की थी कि या तो ये रसायन निर्यात कर दिया जाए या बेच दिया जाए ताकि पोर्ट की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

पोर्ट के जनरल मैनेजर हसन कोरेटेम ने ओटीवी को बताया कि जब एक कोर्ट ने इसे गोदाम में स्टोर करने का आदेश दिया था, तो वे इस बात को जानते थे कि सामग्री ख़तरनाक है, लेकिन इतनी ख़तरनाक है, इसका अंदाज़ा नहीं था.

लेबनान के सूचना मंत्री मनाल अब्देल समद के मुताबिक़ जून 2014 से इस अमोनियम नाइट्रेट को स्टोर करने, इसकी निगरानी करने और काग़ज़ी काम करने से जुड़े सभी पोर्ट अधिकारियों को घर में नज़रबंद किया जाएगा.

शिपिंग से जुड़े क़ानूनी मामलों पर नज़र रखने वाली वेबसाइट Shiparrested.com के मुताबिक़ 2013 में इतनी ही मात्रा में रसायन एक माल्डोवियन कार्गो शिप एमवी रोसूस से बेरूत पोर्ट पहुँचा था. जॉर्जिया से मोज़ाम्बिक़ जाते समय इस जहाज़ में कोई तकनीकी समस्या आ गई थी, जिस कारण इसे बेरूत पोर्ट में रुकना पड़ा था.

उस समय इस जहाज़ का निरीक्षण किया गया और इसे वहाँ से जाने से रोक दिया गया. इसके बाद इसके मालिकों ने इस जहाज़ को छोड़ दिया. Shiparrested.com के मुताबिक़ इस जहाज़ के कार्गो को सुरक्षा कारणों से पोर्ट के एक गोदाम में शिफ़्ट कर दिया गया.

राहत कार्यों में अभी क्या चल रहा है?

सुरक्षाबलों ने धमाके की जगह के आसपास के बड़े इलाक़े को पूरी तरह सील कर दिया है. अभी भी राहतकर्मी मलबे में दबे लोगों की तलाश कर रहे हैं. बड़ी संख्या में लोग लापता भी हैं.

देश के स्वास्थ्य मंत्री हमाद हसन ने कहा है कि अस्पताल में बेड्स की कमी है. उन्होंने बताया कि घायलों के इलाज के लिए आवश्यक उपकरण भी कम पड़ रहे हैं, साथ ही उन मरीज़ों को भी सुविधा मिलने में परेशानी हो रही है, जिनकी हालत गंभीर है.

बेरूत के गवर्नर मरवान अबूद ने कहा है कि धमाके के कारण बेरूत में तीन लाख लोग बेघर हो गए हैं.

उन्होंने बीबीसी को बताया, “बेरूत को खाना चाहिए, बेरूत को कपड़े चाहिए, घर चाहिए, पुनर्वास के लिए सामग्री चाहिए. बेरूत को अपने लोगों के लिए जगह चाहिए.”

आर्थिक मामलों के मंत्री राउल नेहमे ने कहा है कि देश को पुनर्निर्माण के लिए विदेशी सहायता पर निर्भर करना पड़ेगा.

उन्होंने बताया, “देश की क्षमता काफ़ी सीमित है. इसी तरह की स्थिति देश के केंद्रीय बैंक और अन्य बैंकों की है.”

कई देशों ने लेबनान की मदद की पेशकश की है. फ़्रांस के तीन विमान लेबनान पहुँच रहें हैं. फ़्रांस ने अपने 55 राहतकर्मियों को भेजा है. साथ ही मेडिकल उपकरण और एक मोबाइल क्लीनिक भी भेजा है, जिससे 500 लोगों का इलाज किया जा सकेगा.

गुरुवार को फ़्रांस के राष्ट्रति एम्मानुएल मैक्रों ने लेबनान का दौरा किया. लेबनान पहले फ़्रांस का उपनिवेश था.

यूरोपीय संघ, रूस, ट्यूनीशिया, तुर्की, ईरान और क़तर भी राहत सामग्री भेज रहे हैं. ब्रिटेन भी राहत सामग्री और मेडिकल एक्सपर्ट्स भेज रहा है.

पृष्ठभूमि क्या है?

लेबनान में ये धमाका ऐसे समय में हुआ है, जब वहाँ स्थितियाँ काफ़ी संवेदनशील हैं. देश में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं और अस्पताल इससे पहले से ही जूझ रहे हैं. अब उन पर धमाके में घायलों का इलाज करने का अतिरिक्त बोझ आ गया है.

1975 से 1990 तक चले गृह युद्ध के बाद से पहली बार लेबनान एक बड़े आर्थिक संकट से भी जूझ रहा है. सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन से देश में स्थिति पहले से ही तनावपूर्ण है. लोगों को बिजली की समस्या से जूझना पड़ रहा है, साफ़ पीने के पानी की समस्या है और स्वास्थ्य सुविधाएँ भी बहुत सीमित हैं.

लेबनान ने जितनी खाद्य सामग्रियाँ आयात की थी, वो बेरूत पोर्ट के पास ही गोदामों में रखी गई थी. धमाके के कारण वो भी बर्बाद हो गई हैं. आशंका है कि देश में खाद्यन्न सामग्रियों की भी कमी हो सकती है. बेरूत पोर्ट का इतना नुक़सान हुआ है कि उसके भविष्य पर भी प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है.

राष्ट्रपति आउन ने घोषणा की है कि सरकार आपात फ़ंड के लिए 100 अरब लीरा जारी करेगी. लेकिन माना जा रहा है कि धमाके का अर्थव्यवस्था पर असर दीर्घकालिक होने वाला है.

ये धमाका उस जगह के काफ़ी पास हुआ है, जहाँ 2005 में पूर्व प्रधानमंत्री रफ़ीक हरीरी कार बम धमाके में मारे गए थे. इस मामले में चार अभियुक्तों के ख़िलाफ़ नीदरलैंड्स की विशेष अदालत में शुक्रवार को फ़ैसला आना था. लेकिन अब इसे 18 अगस्त तक के लिए टाल दिया गया है.
























BBC

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