24 मई 2022 | चुपके-चुपके, शोले, अमानुष, आंधी, मिली...ये चंद फिल्में 1975 में मेरी एडवेंचर लिस्ट में थीं। एडवेंचर था पहले दिन का पहला शो। उस समय थर्ड क्लास की टिकट 35 पैसे और फर्स्ट क्लास की 1.05 रु. थी। आज फिल्म की ऑनलाइन टिकट लेने वाली पीढ़ी को शायद पता नहीं होगा कि तब हम कैसे टिकट लेते थे। उन दिनों टिकट के लिए छुट्टे पैसे के साथ खिड़की के छोटे से होल में हाथ डालना पड़ता था। उस होल में भी हमेशा चार हाथ होते थे।
काउंटर के अंदर अंगुलियों के इशारे से टिकट क्लर्क को बताते कि कितनी टिकट चाहिए। क्लर्क भी सामने वाले के हाथ में मौजूद खुल्ले पैसे देखकर खुद गणित बैठा लेता और कुछेक बार छोड़कर ज्यादातर मौकों पर सही होता। एक बार मैं शोले फिल्म के लिए थर्ड क्लास की तीन टिकट लेने गया। मेरे हाथ में एक रुपए पांच पैसे थे और किसी तरह उस होल में हाथ अंदर किया। काउंटर तक पहुंचकर उस होल में हाथ डालना हिमालय चढ़ने से कम नहीं था।
बाहर के शोर के कारण आवाज अंदर क्लर्क तक नहीं पहुंचती थी। क्लर्क को लगा कि मुझे फर्स्ट क्लास की टिकट चाहिए। हाथ निकालते ही मैंने देखा कि मेरे पास सिर्फ एक टिकट है। मेरे दोस्त हताश हो गए थे। हम तीनों पहले दिन का पहला शो मिस करने तैयार थे, बशर्ते तीनों में से कोई एक बाकियों को 70 पैसे दे सके। पर किसी के पास अतिरिक्त पैसा नहीं था। काउंटर तक पहुंचने, टिकट लेने की मेहनत पानी में चली गई थी। आखिर में हम टिकट बेचकर घर आ गए।
उस 35 पैसे में और 70 पैसे जोड़ने में मुझे 25 दिन लग गए। तब दसवीं कक्षा में मेरा सबसे बड़ा सबक कैश फ्लो यानी हाथ में पैसे होना था। कोविड अभी है, ऊपर से एक और मंकीपॉक्स वायरस दुनिया में बढ़ रहा है, यूक्रेन-रूस युद्ध जारी है, प्राकृतिक आपदाएं सब जगह घट रही हैं, जलवायु परिवर्तन असर दिखा रहा है, व्यापार लागत बढ़ रही है, आय घट रही है, ऐसे में कैश फ्लो के सहारे ही हम टिक पाएंगे।
अगर नकदी का प्रवाह नहीं होगा तो कर्ज से बिजनेस डूब सकता है। फिलहाल समय हमारे पक्ष में नहीं है और रचनात्मक कदम उठाना जरूरी हैं। पर उससे भी ज्यादा आपको बिजनेस के पारंपरिक तरीके छोड़ना जरूरी है जैसे हम बिना फिल्म देखे थिएटर से निकल गए थे। कैश फ्लो का प्रबंधन नीचे जाते बिजनेस को ऊपर ला सकता है। यहां पांच साधारण उपाय हैं, हो सकता है कुछ लोग पहले से इन्हें आजमा रहें हों, लेकिन अब इनमें रिवीज़न की जरूरत है।
1. लागत कम करें: बिजनेस लीडर्स या पार्टनर के साथ बैठकर, जितना हो सके, लागत उतनी कम करें। हर बचाया पैसे कमाई है।
2. कर्जदारों को पकड़ें : जिन बिलों का भुगतान नहीं हुआ है, उन पैसों की वसूली के लिए किसी पेशेवर की सेवाएं लें। भले किस्तों में लें, लेकिन हर हफ्ते या हर महीने अपना पैसा इकट्ठा करते रहें।
3. क्रेडिट लंबा खींचें : जितना हो सके, भुगतान उतना देर से करें, लेकिन जिनका पैसा चुकाना है, उनका फोन आने से पहले आप खुद ही उन्हें फोन कर लें। नहीं तो वे भी उधार इकट्ठा करने वाले बन जाएंगे।
4. स्टॉक विस्फोटक है : बिना बिका माल मृत पड़े पैसे की तरह है और वो उत्पाद भी चलन से बाहर हो सकता है। अगर वह नहीं बिक रहा है, तो उसे कम मुनाफे पर भी बेचने की कोशिश करें। बिना बिका कोई भी उत्पाद फटने के लिए तैयार बैठे किसी बम की तरह है।
5. पाई-पाई कमाएं : नकदी इकलौती चीज है जिससे ब्याज मिलता है। और ज्यादा पैसा बनाने के लिए उन्हें किसी भी तरह से सर्कुलेशन में बनाए रखें। पैसे को बिना इस्तेमाल में लाए हुए जमा न रखें।
फंडा यह है कि नि:संदेह कैश ही राजा है, इसलिए ये सबसे ज्यादा सम्मान का पात्र है। बुद्धिमानी से इसको मल्टीप्लाई करना चाहिए।
Source;- ‘’दैनिकभास्कर’’