• April 27, 2024 7:31 pm

पिता की मौत के बाद अनाथालय में गुजरा बचपन, अब लोक सेवा परीक्षा में अब्दुल्ला ने हासिल की 46वीं रैंक

ByPrompt Times

Oct 10, 2020
पिता की मौत के बाद अनाथालय में गुजरा बचपन, अब लोक सेवा परीक्षा में अब्दुल्ला ने हासिल की 46वीं रैंक

कहते हैं हुनर हो तो आपको दुनिया की बड़ी से बड़ी समस्या भी सफलता की उड़ान भरने से नहीं रोक सकती। जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले के रहने वाले गाजी अब्दुल्ला ने इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है। बचपन से बिना परिवार के साए के बड़े हुए अब्दुल्ला ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन के बलबूते जम्मू-कश्मीर लोक सेवा परीक्षा में 46वां स्थान प्राप्त किया है।

अब्दुल्ला के पिता की मृत्यु तभी हो गई थी जब वो महज दो साल के अबोध बालक थे। इसके बाद उनका अबतक का जीवन कश्मीर के एक अनाथालय में गुजरा। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पारास्नातक करने के बाद लोक सेवा की परीक्षा दी और सफलता के झंडे गाड़े।
खुशी के इस मौके पर अब्दुल्ला कहते हैं कि मैं अपनी सफलता का पूरा श्रेय मां को देना चाहता हूं, जिन्होंने हमेशा मुझे अपने सपनों के लिए मेहनत करने की प्रेरणा दी। हालांकि वो पढ़ी-लिखी नहीं हैं, लेकिन अच्छी शिक्षा और कठिन परिश्रम के महत्व को बखूबी समझती हैं।
पिता की मौत के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर हो गई थी कि मां के लिए अब्दुल्ला का पालन-पोषण करना भी संभव नहीं था। इसलिए परिजनों ने सलाह मशवरा कर उन्हें अनाथालय भेज दिया।

कश्मीर में अब्दुल्ला अपनी कड़ी मेहनत के लिए पहले भी नाम कमा चुके हैं। उन्होंने 10वीं कक्षा में पूरे प्रदेश में 10वीं रैंक हासिल की थी। इसके बाद पहली बार में ही एएमयू के प्रवेश परीक्षा भी पास कर ली थी।
अनाथालय के अनुभवों के बारे में अब्दुल्ला बताते हैं कि वहां रहने से उन्हें कई तरह के अनुभव मिले। उन्होंने कहा कि मैंने मेहनत के बल पर अपने लिए अवसर तलाशने की हर संभव कोशिश की। वहां मैंने की तरह के अनुशासन सीखे। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की सबसे ज्यादा खुशी है कि मैं उच्च शिक्षा ग्रहण कर पाया। अनाथालय में मैं पिंजरे में कैद किसी तोते की तरह था, लेकिन कॉलेज में मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला।

अबदुल्ला को स्नातक के बाद से ही नौकरियों के कई अवसर मिले। परिवार में आर्थिक परेशानियां भी थीं, लेकिन इन सब के बावजूद उन्होंने पारास्नातक कर लोक सेवा की परीक्षा देने का फैसला लिया। उन्होंने कहा कि इस सफलता के लिए उन्होंने एनसीईआरटी की किताबें और इंटरनेट के सदुपयोग पर जोर दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *