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पाटन में CM बघेल की अपने ही भतीजे से जंग? अमित जोगी ने मुकाबले को बनाया त्रिकोणीय

ByPrompt Times

Nov 17, 2023

छ्त्तीसगढ़ में पाटन विधानसभा सीट से सीएम भूपेश बघेल चुनाव लड़ रहे हैं. उनके खिलाफ उनके ही भतीजे और बीजेपी के उम्मीदवार विजय बघेल चौथी पर चुनावी मैदान में हैं. पूर्व सीएम अजित जोगी के बेटे अमित जोगी ने चुनावी मैदान में उतर कर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है.

छत्तीसगढ़ की राजधानी से रायगढ़ कुछ किलोमीटर दूर स्थित पाटन निर्वाचन क्षेत्र में तीन दिग्गजों के बीच सबसे रोमांचक त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके भतीजे एवं भाजपा सांसद विजय बघेल एक-दूसरे के आमने-सामने हैं. कांग्रेस में उनके ‘एक समय के प्रतिद्वंद्वी’ पूर्व सीएम अजित जोगी के बेटे अमित जोगी की उम्मीदवारी ने लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया है. यह चौथी बार है जब चाचा (भूपेश) और भतीजे (विजय) एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. पाटन विधानसभा क्षेत्र में 17 नवंबर, शुक्रवार को विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में मतदान है.

पाटन परंपरागत रूप से बाघेलों (चाचा और भतीजे) का गढ़ रहा है, जो 1993 से इस सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं. साल 2008 में भूपेश बघेल एक बार बीजेपी के उम्मीदवार विजय बघेल से हार गये थे. उन्हें बीजेपी के विजय बघेल ने 8000 वोटों से हराया था.

बता दें कि भूपेश बघेल और विजय बघेल साल 2003, 2008 और 2013 के चुनावों के बाद एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं. यह चौथी बार है कि जब वे एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं. दिलचस्प बात यह है कि दोनों उम्मीदवार कुर्मी समुदाय से हैं.

इस विधासनभा चुनाव में खासकर पूर्व सीएम अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी के अंतिम समय में क्षेत्रीय पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) से मैदान में कूदने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.

चौथी बार चाचा और भतीजे में मुकाबला

भूपेश बघेल दो बार इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं. साल 2000 में छत्तीसगढ़ के नए राज्य बनने के बाद साल 2003 के चुनाव में भूपेश बघेल ने जीत हासिल की थी. उस समय मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने उन्हें राजस्व मंत्री बनाया था. उस समय भूपेश बघेल विजय बघेल से 6,909 मतों से चुनाव जीत गए. लेकिन साल 2008 में बीजेपी के टिकट पर उम्मीदवार बने विजय बघेल ने जीत हासिल की थी.

साल 2013 के चुनाव में विजय बघेल फिर भूपेश बघेल के खिलाफ उतरे, लेकिन बार भूपेश को जीत मिल गई. साल 2018 में सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ मोतिलाल साहू उम्मीदवार थे. साल 2018 में विजय बघेल चुनाव नहीं लड़े थे और साल 2019 में दुर्ग लोकसभा सीट से जीतकर सांसद बने. लेकिन इस साल के चुनाव में विजय बघेल और भूपेश बघेल फिर से चुनावी मैदान में चौथी बार आमने सामने हैं.

सार्वजनिक मंचों पर अपने भतीजे विजय बघेल के साथ और हाल ही में उन्होंने तंज कसते हुए टिप्पणी की और कहा कि “रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं.” इसके अलावा, अजीत जोगी को कांग्रेस पार्टी से निकाले जाने से पहले और बाद में भी भूपेश और जोगी के बीच दरार चुनावी मुद्दा बना रहा.

अमित जोगी ने मुकाबले को बनाया त्रिकोणीय

चुनावी शोर के बावजूद, इस हाई-प्रोफाइल सीट के स्थानीय लोग, जिनमें ज्यादातर कृषि पृष्ठभूमि से हैं और कटाई में व्यस्त हैं, निर्वाचन क्षेत्र में विकास और प्रगति के बारे में कोई चिंता नहीं दिखाते है. वे किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाओं, सुदूर गांवों तक सड़क संपर्क और अपने मौजूदा विधायक भूपेश द्वारा प्रदान की गई मुफ्त सुविधाओं पर संतोष व्यक्त करते हैं. हालांकि, विजय बघेल के प्रति उनका स्नेह और पसंद भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है.

निर्वाचन क्षेत्र के निर्णायक कारकों में कुर्मी, साहू, सतनामी और आदिवासी मतदाता शामिल हैं. बघेलों के गुट के कारण कुर्मी और साहू वोटों का बंटवारा हुआ है. हालाकि, अमित जोगी के मैदान में होने और जेसीसी (जे) पार्टी द्वारा प्रचार के साथ, इस बात की अधिक संभावना है कि वह वोटों के अंतर को प्रभावित करेंगे, जिससे प्रभाव पड़ेगा. इस विधानसभा सीट पर सतनामी और आदिवासी वोट का भी प्रभाव है.

जानें किस समुदाय का है प्रभाव

पारंपरिक रूप से चाचा-भतीजे की जोड़ी के कब्जे वाली सबसे हाई-प्रोफाइल सीट पर सभी की निगाहें टिकी हैं. ऐसा माना जाता है कि कांग्रेस द्वारा घोषित जाति जनगणना ओबीसी के लिए एक लंबे समय से प्रतीक्षित मांगों को पूरा करना है, जिसके अंतर्गत साहू और कुर्मी समुदाय आते हैं.

पाटन विधानसभा क्षेत्र में 2.1 लाख से अधिक मतदाता हैं, जिनमें 33 प्रतिशत कुर्मी, 35 प्रतिशत साहू और 16 प्रतिशत सतनामी हैं, जिनमें 1.4 लाख पुरुष मतदाता और 1.8 लाख महिला मतदाता हैं. भूपेश ने 2018 में पाटन सीट से 84,352 वोटों से बीजेपी उम्मीदवार मोतीलाल साहू को हराया था.

 

source:- दैनिक भास्कर

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