14 जनवरी 2023 | खान-पान और भौतिक संसाधनों को त्याग कर जिस तरह जैन साधु और साध्वी जीवन जीते हैं, उससे कहा जाता है कि वो शायद सभी धर्मों में सबसे ज्यादा कठिन और अनुशासनपूर्ण जीवन जीने वाले होते हैं. जैन साधु दिन में केवल एक बार भोजन करते हैं और एक ही बार पानी पीते हैं. उसके बाद पूरे दिन नहीं. भोजन भी वो थाली, कटोरी में नहीं लेते और ना ही गिलास में पानी पीते हैं.
जैन साधु हाथ को खाने पीने में इस्तेमाल करते हैं. यानि उनकी हथेली ही उनकी थाली बन जाती है और यही गिलास. वो कभी खुद भोजन नहीं बनाते बस घरों से उपलब्ध शाकाहारी, सात्विक और शुद्ध भोजन ही ग्रहण करते हैं. पानी भी उबला हुआ ही पीते हैं. अलबत्ता साध्वी जरूर अपने साथ लकड़ी के बनाए कटोरे रखती हैं, जिसमें भोजन लेती हैं. (courtesy jain community)
कई साल पहले लंदन में साध्वी सामनी प्रतिभा प्रज्ञा ने बीबीसी को एक इंटरव्यू में कहा था वह और उनकी जैसी साध्वी केवल एक जोड़ी वस्त्र रखती हैं. इसके अलावा मुख्य तौर पर उनके पास हाथ से लकड़ी के बनाए तीन कटोरे, जिसमें वो खाना एकत्र करती हैं और खाती हैं.
जैन भिक्षु सभी तरह के भौतिक संसाधनों का त्याग कर देते हैं और बेहद सादगी के साथ सारा जीवन गुजार देते हैं. यहां तक कि विदेशों में रहने वाले जैन साधू और साध्वियां भी इसी तरह से कठिन जीवन बिताते हैं. ठहरने का आश्रय और खाना जैन समुदाय उन्हें मुहैया कराता है या वो जैन धर्म से जुड़े मंदिरों के साथ लगे मठों में रहते हैं.
जैन धर्म आहार यानि खानपान को लेकर काफी अनुशासित और कठिन भोजनशैली में विश्वास करता है. वो सख्त शाकाहारी होते हैं और जड़ों वाली सब्जी बिल्कुल नहीं खाते और इसी तरह कुछ फलों का भी निषेध करते हैं. कुछ जैन वेगन होते हैं और कई तरह की हरी सब्जियां भी नहीं खाते. क्योंकि इसके पीछे की वजह ये है कि उन्हें लगता है कि जड़ों में तमाम सूक्ष्म जीव निवास करते हैं या रहते हैं, इससे उनकी जीवहत्या हो जाएगी.
जैन साधू और साध्वी कम और शुद्ध सात्विक भोजन ही लेना पसंद करते हैं. जो अल्प भोजन लेते हैं उसे आखिरी कौर तक खत्म करते हैं. इसके पीछे भी उनका मानना है कि खाने को अगर डस्टबीन में डालेंगे तो माइक्रोआर्गनिज्म से सूक्ष्म जीवों की उत्पत्ति होगी और वो उन्हें मारा जाएगा. जैन अपना शाम का भोजन सूर्यास्त से पहले ही कर लेते हैं और अगले दिन सूर्योदय तक कुछ नहीं खाते. पानी तक नहीं पीते.
सोर्स :-“न्यूज़ 18 हिंदी|”