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खाद्य तेल की कीमतों में प्रति लीटर 50 से 60 रुपये की गिरावट

3 जुलाई 2022 विदेशों में तेल-तिलहन बाजार टूटने के बीच दिल्ली में शनिवार को सरसों एवं सोयाबीन तेल तिलहन, कच्चा पाम तेल (सीपीओ) एवं पामोलीन के भाव गिरावट के साथ बंद हुए। देशी तेलों की मांग होने के बीच मूंगफली और बिनौला तेल तिलहन पूर्ववत बने रहे। बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में कल मंदी थी जबकि शुक्रवार रात मंदा रहने के बाद शिकागो एक्सचेंज सोमवार को बंद रहेगा। 

तेल कीमतों में 50 से 60 रुपये की गिरावट 

विदेशों में ऐतिहासिक मंदी के बीच पिछले दिनों विदेशी बाजारों में खाद्यतेलों के भाव काफी टूटे हैं। तेल कीमतों में लगभग 50-60 रुपये किलो तक की गिरावट आई है। इस गिरावट की चपेट में देश के आयातकों का बचना असंभव लग रहा है। इसके अलावा सरकार के द्वारा अलग अलग किस्तों में आयात शुल्क में कमी की गई है। डेढ़ दो साल पहले तक सोयाबीन और सूरजमुखी आयात पर 38.25 प्रतिशत और सीपीओ पर 41.25 प्रतिशत का आयात शुल्क लगता था जो अलग अलग किस्तों में कमी किये जाने के बाद मौजूदा वक्त में सोयाबीन और सूरजमुखी का शून्य शुल्क पर 40 लाख टन खाद्यतेल की दो साल के लिए आयात करने की अनुमति दी गई है। सीपीओ का आयात शुल्क घटकर 5.50 प्रतिशत रह गया है।
     
सूत्रों ने कहा कि विदेशों में खाद्यतेलों के दाम लगभग 50-60 रुपये किलो टूटने, कई बार आयात शुल्क में कमी किये जाने के बाद दो साल के लिए शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देने का औचित्य समझ पाना समझ से परे है। इसके दूसरे पहलू को देखें तो इस गिरावट का फायदा न तो उपभोक्ताओं को मिल रहा है, न तेल उद्योग को, न ही किसानों को। सूत्रों ने कहा कि आयातक भी तबाही के रास्ते पर हैं क्योंकि पहले डॉलर के जिस भाव पर उन्होंने खाद्यतेल आायत का अनुबंध किया था, रुपये के मूल्य में गिरावट के कारण उस बैंक कर्ज के लिए उन्हें अब अधिक धनराशि का भुगतान करने का संकट आ गया है और आयात भाव के मुकाबले मौजूदा बाजार भाव काफी कम होने से कर्ज के भुगतान करने के लिए उन्हें सस्ते में तेल बेचने की मजबूरी आ गई है। आयातकों को भारी नुकसान है।
     
सूत्रों ने कहा कि आयात शुल्क से जो राजस्व का लाभ देश को होता था, उसका नुकसान तो है ही, दूसरी ओर तेल कीमतों में मंदी के लाभ उठाने से भी उपभोक्ता वंचित रह जा रहे हैं। इस स्थिति को संभाले जाने की आवश्यकता है। बाजार में सरसों की आवक कम होती जा रही है और आगे त्यौहारों के दौरान इसकी भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है।विदेशी तेलों के मुकाबले देशी तेलों की मांग है और इसी वजह से मूंगफली तेल तिलहन और बिनौला तेल के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।
     
शनिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
     
  सरसों तिलहन – 7,485-7,535 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
     मूंगफली – 6,765 – 6,890 रुपये प्रति क्विंटल।
     मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,710 रुपये प्रति क्विंटल। 
     मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड तेल 2,635 – 2,825 रुपये प्रति टिन।
     सरसों तेल दादरी- 15,150 रुपये प्रति क्विंटल। 
     सरसों पक्की घानी- 2,380-2,460 रुपये प्रति टिन। 
     सरसों कच्ची घानी- 2,420-2,525 रुपये प्रति टिन। 
     तिल तेल मिल डिलिवरी – 17,000-18,500 रुपये प्रति क्विंटल।   
     सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,100 रुपये प्रति क्विंटल। 
     सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,800 रुपये प्रति क्विंटल। 
     सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 12,400 रुपये प्रति क्विंटल। 
     सीपीओ एक्स-कांडला- 11,300 रुपये प्रति क्विंटल।
     बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 14,150 रुपये प्रति क्विंटल। 
     पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,200 रुपये प्रति क्विंटल।  
     पामोलिन एक्स- कांडला- 12,100 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।  
     सोयाबीन दाना – 6,500-6,550 रुपये प्रति क्विंटल।  
     सोयाबीन लूज 6,300- 6,350 रुपये प्रति क्विंटल। 
     मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

source”हिंदुस्तान”

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