9जुलाई 2022 लालू यादव की सेहत में सुधार हो रहा है, लेकिन खतरा टला नहीं है। किडनी के मरीजों के लिए हमेशा इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। ऐसे मरीजों का क्रिएटनिन लेवल का बार-बार बढ़ना भी गलत इंडीकेशन है। इसके इफेक्ट से शरीर के मल्टीपल ऑर्गन के इंफेक्ट होने का डर होता है।
लालू यादव सीढ़ियों से गिरे थे, इसके बाद उन्हें दर्द की दवाएं दी गईं। यहीं से उनकी परेशानी और बढ़ गई। क्रिएटनिन का लेबल अचानक 4 से 7 पहुंच गया था। ऐसे में ब्रेन से लेकर मल्टीपल ऑर्गन पर असर दिखाई दिया, अब उन्हें विशेष निगरानी में रहना होगा जिससे संक्रमण का खतरा कम हो।
80 प्रतिशत काम कर रही किडनी
लालू यादव की किडनी काफी दिनाें से खराब है। जेल में रहने के दौरान ही वह किडनी की गंभीर बीमारी से झेल रहे थे। लालू यादव की किडनी पहले भी डायलसिस का इंडीकेशन दे चुकी है। रांची में कई काफी दिनों से इलाज चल रहा था।
इलाज करने वाले डॉक्टरों ने पहले ही बता दिया था लालू यादव की किडनी दिन प्रतिदिन समस्या कर रही है। लगभग 80 प्रतिशत किडनी खराब है, जिससे उनके शरीर में अन्य समस्याएं हो रही है।
चोट के बाद किडनी का दिखा असर
लालू यादव को चोट लगने के बाद किडनी ने फिर अपना असर दिखाना शुरु कर दिया। शरीर में जैसे ही पेन किलर और अन्य दवाएं पहुंची किडनी का फंक्शन और गड़गड़ हो गया। इस कारण से यूरिया के साथ शरीर में टॉक्सिन का लेबल बढ़ गया। इससे शरीर के अन्य अंगों जैसे ब्रेन लंग्स और लीवर पर भी असर पड़ा।
एक बार जब किसी भी अंग पर इंफेक्शन होता है तो फिर वह बार बार समस्या करता है। पटना के फिजीशियन डॉ राणा एसपी सिंह का कहना है कि लालू यादव के शरीर में हर अंग अब पहले की तरह से काम नहीं कर रहे हैं। किडनी के साथ उन्हें शुगर ब्लड प्रेशर की समस्या है।
बार बार सोडियम का बढ़ना शरीर के लिए ठीक नहीं होता है। यह गलत इंडीकेशन अन्य अंगों के लिए होता है। लालू यादव के साथ चोट की घटना नहीं हुई होती तो अचानक से किडनी की समस्या नहीं बढ़ी होती।
अचानक से बिगड़ती है सेहत
डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे मरीज जिनका क्रिएटनिन लेबल बार बार बढ़ता है, उनकी स्थिति कब बिगड़ जाए कोई भरोसा नहीं होता है। ऐसे मरीजों को पानी से लेकर खान पान तक पर विशेष संतुलन बनाना होता है। पानी भी अधिक पीना या फिर कम पीना खतरा हो जाता है।
चोट के बाद दी गई हड्डी को जोड़ने के लिए दी जाने वाली दवाएं भी असर दिखाती हैं। ऐसे में लालू को अब किडनी की बीमारी के साथ अन्य रोगी की दवा के साथ चोट के लिए भी दवाएं दी जा रही है। इससे सावधानी अब बढ़ानी होगी।
लालू यादव पर हमेशा रखनी होगी मेडिकल निगरानी
डॉ अमूल्य बताते हैं कि लालू यादव को पहले से हार्ट किडनी और लंग्स में समस्या रही है। चोट के बाद किडनी के साथ अन्य अंगों पर असर पड़ा है। ऐसे में उन्हें अब हमेशा मेडिकल निगरानी में रखना होगा। एक्सपर्ट डॉक्टरों के संपर्क में बने रहना होगा क्योंकि कभी भी इमरजेंसाी पड़ सकती है।
पटना में पारस हॉस्पिटल में भर्ती होने के दौरान लालू यादव का ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट कम नहीं हो रहा था। ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट का काम नहीं होने हृदय की बीमारी का लक्षण है। किडनी के मरीजों को ऐसी समस्या होती है।
लालू यादव का इलाज करने और उनके संपर्क में रहने वाले पटना के डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें किडनी के साथ हार्ट की समस्या है। चोट के बाद बढ़ा यूरिया का लेबल ब्रेन को भी प्रभावित किया है। डॉक्टरों का कहना है कि शरीर का लॉक होने के बाद फिर मूमेंट आया है, इसलिए ब्रेन को सही से काम करने के लिए मेडिकल ऑब्जर्वेशन में रहकर कुछ एक्सरसाइज करना होगा।
जानिए किडनी के मरीजों की ऐसे बढ़ती है मुश्किल
डॉ राणा बताते हैं कि किडनी के मरीजों के लिए सबसे बड़ी समस्या खाने पीने को लेकर होती है। किडनी का काम शरीर को पूरी तरह से फिल्टर करने का है। जब यह खराब होती है तो खून फिल्टर नहीं हो पाता है और यूरिया के साथ टॉक्सिन खून के साथ शरीर के हर अंग में पहुंच जाता है।
इससे हृदय, लंग्स और लीवर प्रभावित होता है। ब्रेन पर भी बड़ा असर होता है। इस कारण से ही डॉक्टर किडनी के मरीजों को काफी एहतियात बरतने को कहते हैं। ऐसे मरीजों पर कोशिश यही होती है कोई अलग से दवाएं नहीं दी जाएं। खान पान भी मेडिकल गाइडलाइन के हिसाब से दी जाए। पानी की भी मात्रा पूरी तरह से फिक्स कर दी जाती है।
लालू के विल पावर ने से ठीक हो रही सेहत
डॉक्टरों का कहना है कि किडनी के मरीजों में निराशा तेजी से बढ़ती है। इस कारण से ब्रेन पर बड़ा असर पड़ता है, लेकिन लालू यादव हर मुश्किल से लड़ने वाले हैं। उनकी हिम्मत और आत्मबल के कारण ही सेहत में सुधार हो रहा है। डॉक्टर राणा बताते हैं किडनी के मरीज अक्सर निराश होने लगते हैं जिससे उनके ब्रेन और हृदय पर प्रभाव पड़ता है।
लालू यादव इस मामले में काफी जीवट हैं, वह जेल में भी इसकी बानगी दे चुके हैं। किडनी के 80 प्रतिशत काम नहीं करने के बाद भी वह पूरी जोश के साथ जिंदगी जी रहे हैं। हालांकि चोट लगने के बाद दी जाने वाली दवा से उनकी सेहत प्रभावित हुई थी, लेकिन हिम्मत से लालू यादव इस मुश्किल से बाहर निगल रहे हैं।
दवा और बेहतर इलाज के साथ ऐसे मरीजों को उनकी हिम्मत काफी पॉजिटिव काम करती है। लालू यादव को ऐसे हिम्मत के साथ अब पूरी तरह से परहेज और विशेष मेडिकल निगरानी में रहना होगा।
source “दैनिक भास्कर”