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बगहा में किसान कर रहा सोना मोती गेहूं की खेती, Diabetes-Heart बीमारियों के लिए लाभकारी

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Dec 21, 2020
बगहा में किसान कर रहा सोना मोती गेहूं की खेती, Diabetes-Heart बीमारियों के लिए लाभकारी

बगहा: आधुनिकता और भागम भाग के इस दौर में अनियंत्रित जीवनशैली और अनियमित खान पान ज्यादातर बीमारियों को न्यौता दे रहे हैं. लिहाजा हमारे समाज में एक बड़ा तबका शुगर, हृदय रोग और रक्तचाप जैसे घातक बीमारियों की चपेट में आ रहा है. यहीं वजह है कि चिकित्सक भी ऐसे बीमारियों से दूर रहने के लिए खानपान और जीवन शैली सुधारने की सलाह देते हैं.

ऐसे में बिहार के पश्चिमी चंपारण जिला के एक ऐसे किसान से हम आपको मिला रहे हैं जो शुगर फ्री अनाजों और सब्जियों की खेती कर आपके भोजन की थाली तक पौष्टिक आहार पहुंचाने की मुहिम चला रहे हैं. दरअसल, रामनगर के हरपुर गांव निवासी 55 वर्षीय किसान विजय गिरि इस मुहिम के तहत इस बार ब्लैक गेंहू, पर्पल गेंहू, ब्लू गेंहू और सोना मोती गेंहू की खेती कर रहे हैं जिसे देखने और समझने इलाके से कई किसान यहां पहुंच रहे हैं.

जानकारी के अनुसार, इससे पूर्व इन्होंने मैजिक राइस, ब्लैक रसियन पोटैटो, ब्लैक राइस और ब्लैक व्हीट की खेती की. जिसके बाद इस मर्तबा इन्होंने करीब 2000 वर्ष पुरानी मेसोपोटामिया सिंधु घाटी सभ्यता के समय उपजाए जाने वाली गेंहू के प्रभेद की खेती शुरू किया है. उन्नत किस्म के इस गेंहू को ‘सोनामोती’ के नाम से जाना जाता है और फिलहाल इसकी खेती देश के पंजाब स्थित जलालाबाद में बड़े पैमाने पर की जाती है.

दरअसल, चमत्कारिक गुणों से भरपूर सोना मोती गेंहू के इस किस्म में ग्लूटेन और ग्लाइसीमिक तत्व कम होने के कारण यह डायबिटीज (Diabetes) और ह्रदय रोग (Heart Disease) पीड़ितों के लिए काफी लाभकारी है. साथ ही इसमें अन्य अनाजों के वनिस्पत कई गुणा ज्यादा फोलिक एसिड (Follic Acid) नामक तत्व की मात्रा है जो रक्तचाप और हृदय रोगियों के लिए रामबाण साबित होगा.

किसान विजय गिरि का मानना है कि आज के इस दौर में खान-पान में गड़बड़ी और रासायनिक खाद बीज के चलते मधुमेह और हृदय रोग से लोग ग्रसित हो रहे हैं. ऐसे में इन्होंने सत्याग्रह की धरती चंपारण से कृषि क्रांति की शुरुआत कर जैविक विधि से विलुप्त सभ्यता के उन्नत किस्म सोना मोती गेहूं की खेती प्रयोग के तौर पर कर रहे हैं.

खास बात यह है कि ट्रैक्टर, कल्टी और जीरो टिलेज से बुआई की जगह हल बैल से जैविक विधि अपनाकर खोई हुई सभ्यता के उन्नत प्रभेद सोना मोती की खेती को बढ़ावा देने वाले श्री श्री रविशंकर जी महाराज से इन्होंने उपहार और प्रसाद स्वरूप इसकी बीज पंजाब से बिहार लाकर चंपारण की उपजाऊ धरती पर इसका प्रयोग किया है. यही वजह है कि कृषि विभाग भी इनके कारास्तानी की सराहना करते इन्हें हर संभव मदद और प्रोत्साहन देने की बात कर रहा है.

मौके पर मौजूद कृषि एक्सपर्ट्स तरुण कुमार मिश्र का कहना है कि ट्रैक्टर युग में हल बैल के जरिए जैविक विधि से की जा रही खेती इलाके में आर्थिक समृद्धि लाएगी. क्योंकि सोना मोती का प्रति एकड़ उत्पादन 15 से 20 क्विंटल तक है और बाजार में करीब 8 हजार रुपए प्रति क्विंटल मूल्य पर यह बिकता है.

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