बेहरी। जहां चाह वहां राह वाली कहावत ग्राम पंचायत ग्वाड़ी की आदिवासी महिला सुंदरबाई पत्नी मोहन ने चरितार्थ की है। महिला कृषक ने अपने खेत के छोटे से हिस्से में बालोर का भरपूर उत्पादन किया। उत्पादन के साथ-साथ उन्नात किस्म की बालोर का बीज बैंक भी तैयार किया है। जरूरत पड़ने पर अन्य किसानों को यह बीज उपलब्ध कराया जा रहा है। इस बार 60 हजार से अधिक की आय बालोर बेचकर होने की उम्मीद है।
आर्थिक स्थिति में काफी पिछड़ी हुए परिवार से संबंधित महिला कृषक का परिवार बहुत कम जमीन में गुजर-बसर करता है। कृषि कार्य में जी-तोड़ मेहनत करने वाली कृषक सुंदरबाई ने अपनी पैतृक पट्टे वाली कृषि भूमि पर लगभग दो हेक्टेयर भूमि पर हर्ना वैरायटी की बालोर फसल अगस्त माह में लगाई थी, जिसमें अब बालोर आने लगी है। छह वर्ष पूर्व धोबू गट्टा नामक स्थान पर किसी रिश्तेदार के यहां से हर्ना किस्म की बालोर का बीज लाकर स्वयं के खेत में लगाया था और धीरे-धीरे इस किस्म का बीज स्वयं तैयार करना शुरू कर दिया। महिला कृषक ने अब स्वयं इस किस्म की बालोर का बीज बैंक बना लिया है। इस वर्ष यह फली लगने के बाद, उनके चेहरे की खुशी देखने के काबिल है। महिला कृषक खुशी से कहती हैं कि उनके आसपास रहवासी क्षेत्र में अधिकतर गरीब परिवारों में निशुल्क रूप से बालोर वितरित भी करती हूं। अभी तक 10 हजार रुपये की बालोर बेच चुकी हूं। आने वाले समय में इससे 50 हजार रुपये की और आय होने की संभावना है।
सुंदरबाई ने बताया कि उत्पादन तो बेहतर है, लेकिन दाम उचित मिलते रहे तो मेहनत सफल हो सकेगी। इस फसल में बोवनी का खर्च करीब दो हजार रुपये आया। इसमें खाद की मात्रा एवं दवाई खर्च होने के साथ ही अन्य खर्च शामिल है।
उन्हें इस कार्य में पति व बच्चों की मदद भी मिलती है। नजदीक के हाट बाजार बागली, रामपुरा, चापड़ा, हाटपीपल्या तक बालोर बेचने जाते हैं। पिछले साल 30 हजार रुपये की बालोर बेची थी।
- महिला कृषक का करेंगे सम्मान-
महिला कृषक के विशेष प्रयासों की जानकारी लगने पर महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्यक्रम अधिकारी रेलम बघेल ने आगामी 26 जनवरी को महिला कृषक का सम्मान करने बात कही। साथ ही बीज बैंक बनाने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि जितना भी बीज बनेगा, उसे शासन स्तर पर खरीदेंगे।