• May 3, 2024 7:20 am

राजस्थान में पहली बार गांव-गांव में ओलिंपिक से सीधे वोटर को कनेक्ट करने की तैयारी

21  सितम्बर 2022 | CM अशोक गहलोत इन दिनों गांव-गांव में जा रहे हैं। इवेंट ग्रामीण ओलिंपिक है, लेकिन मकसद है अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए वोटर कनेक्ट।

ग्रामीण ओलिंपिक को भुनाने के लिए सरकार ने पूरी प्लानिंग की है। फॉरमेट इस तरह से डिजाइन किया गया है कि कोई भी गांव या वोटर इससे छूटे नहीं। खुद सीएम गहलोत पिछले दो सप्ताह में 18 जिलों में जा चुके हैं। कई इवेंट में तो मैदान में उतरकर कबड्‌डी के दांव भी आजमाए, लेकिन असल मकसद है ग्रामीण ओलिंपिक के जरिए भाजपा को चित करना।

प्रदेश के 52 हजार बूथों में से 47 हजार पर अपने चुनावी योद्धा तैनात कर चुकी भाजपा भले ही अपने आपको कांग्रेस के मुकाबले चुनावी रणनीति में आगे बता रही हो, लेकिन 44 हजार गांवों में चल रहे ग्रामीण ओलिंपिक के जरिए कांग्रेस अपने वोटर कनेक्ट प्रोग्राम को बखूबी अंजाम दे रही है।

राजनीति के जानकार बताते हैं कि ग्रामीण ओलिंपिक सिर्फ खेलों को बढ़ावा देने का ही प्रोजेक्ट नहीं है, बल्कि इसके जरिए कांग्रेस अपने वोटर्स से सीधे कनेक्ट हो रही है। हर आयु वर्ग के महिला–पुरुषों को ग्रामीण ओलिंपिक से जोड़कर आने वाले चुनाव के लिए कांग्रेस अपना माहौल बनाने की दिशा में बढ़ रही है।

2 सप्ताह में 18 जिलों में पहुंचे गहलोत

नए और युवा वोटर्स को खुद से जोड़ने और अपनी पकड़ बनाने के लिए कांग्रेस की सीनियर लीडरशिप सरकार के कामकाज को जनता के बीच ले जा रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद पिछले दो सप्ताह में राजस्थान के 18 जिलों का दौरा कर चुके हैं।

उन्होंने एक दिन में अलग–अलग इलाकों में तीन–तीन आयोजनों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस दौरान वे अपनी सरकार की योजनाओं के प्रचार-प्रसार में पूरे दमखम से जुटे हुए दिखे। भाजपा की होर्स ट्रेडिंग जैसी नीतियों और कमजोर विपक्ष की छवि पर भी कटाक्ष करके वोटर्स को साधने की कोशिश की। कई जगह उन्होंने बच्चों और युवाओं के साथ मैदान में हाथ आजमाया।

अब शहरी ओलिंपिक की तैयारी

  • ग्रामीण ओलिंपिक के जरिए गांवों में बने माहौल से उत्साहित राज्य सरकार अब अगले साल जनवरी में इसे शहराें में भी शुरू करने की तैयारी कर रही है।
  • पिछले दिनों निबांहेड़ा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसकी घोषणा कर चुके हैं। उनका कहना था कि ग्रामीण ओलिंपिक की तरह अब शहरी ओलिंपिक की भी हम शुरुआत करेंगे।
  • इतना ही नहीं ग्रामीण ओलिंपिक-2 के रूप में अगले साल गांव-शहरों में इसका फिर से आयोजन कराने की भी सीएम घोषणा कर चुके हैं।
  • माना जा रहा है कि ऐसा इसीलिए किया जा रहा है ताकि अगले साल चुनाव के ऐन पहले इन आयोजनों के जरिए कांग्रेस गांवों में अपनी पकड़ को और मजबूत कर सके।

पहले भी प्रशासन गांवों/शहरों के साथ जैसे अभियान

लोगों से सीधे जुड़ने के लिए कांग्रेस सरकार में प्रशासन शहरों के संग और प्रशासन गांवों के संग जैसे पब्लिक कनेक्ट अभियान होते रहे हैं, लेकिन ग्रामीण ओलिंपिक नया इनोवेशन है। भाजपा की बूथ मैनेजमेंट की नीति को कांग्रेस कितना भेद पाएगी, यह आने वाले समय में तय हाेगा लेकिन कांग्रेस के युवा नेता कॉन्फिडेंट हैं कि इसका पॉलिटिकल माइलेज पार्टी को मिलना तय है।

गहलोत ने समर्थकों को खुश किया, विरोधियों को भी साधा
ग्रामीण ओलिंपिक के कार्यक्रमों में शरीक होने के लिए सीएम गहलोत ने तूफानी दौरे किए। एक दिन में तीन–तीन जिलों में सभाएं कीं। दौरे में जहां-जहां पहुंचे उन्होंने नए विकास कार्यों का शिलान्यास करके अपने समर्थकों को खुश भी किया।
अपने दौरे का शिड्यूल इस तरह से रखा कि वे अपने समर्थक विधायकों के क्षेत्रों में तो पहुंचे ही, ऐसे क्षेत्रों में भी पहुंचे जहां उन्हें गिले–शिकवे दूर करने थे। सीएम बसपा से कांग्रेस में शामिल होने वाले राजेंद्र गुढ़ा के गांव पहुंचे, वहीं पुष्कर में जूता उछाल कांड के बाद पायलट खेमे पर तीखी टिप्पणी करने वाले अशोक चांदना के क्षेत्र नैनवा में भी पहुंचे।
नावां में महेंद्र चौधरी को विकास कार्यों में आगे रहने वाला बताया, वहीं सवाई माधोपुर में दानिश अबरार को सरकार बचाने में अहम भूमिका निभाने के लिए धन्यवाद देना भी नहीं भूले।

सोर्स :- “दैनिक भास्कर”                         

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