सम्पादकीय —
महिलाओं की बढाने का सार्थक प्रयास
27 जुलाई 2023 ! महिलाओं की प्रगति में भारत में आर्थिक शक्ति को मजबूत करने की बड़ी संभावना है। जनांकिकी की तरक्की इस बात पर निर्भर करती है कि आधी आबादी की हिस्सेदारी कार्यक्षेत्र में कितनी है। इस दृष्टि में भारत में अभी महिलाओं की केवल 17 फीसदी आबादी कार्यक्षेत्र में है जबकि चीन की 40 प्रतिशत महिला आबादी विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रही है। छत्तीसगढ़ के विषय में देखें तो राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई ग्रामीण विकास योजनाओं से सीधे महिलाओं की बड़ी आबादी आर्थिक गतिविधियों में शामिल हो गई है ।
इसका सबसे सुंदर उदाहरण गौठान और रीपा के माध्यम से आर्थिक गतिविधियां हैं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की सरकार बनने के बाद स्व-सहायता समूहों की संख्या तेजी से बढ़ गई। दिसंबर 2018 के बाद से अब तक 13 लाख से अधिक महिलाएं इन समूहों से जुड़ चुकी हैं। इस तरह से कार्यशील आबादी की संख्या में तेजी से विस्तार आया है। इस बड़ी आबादी के कार्यशील गतिविधियों में लगे होने का अर्थव्यवस्था को लाभ तो होता लेकिन जब तक इनके लिए व्यवस्थित बाजार मुहैया नहीं कराया जाता तब तक यह लाभ प्रभावी नहीं हो पाते। छत्तीसगढ़ सरकार ने इनके लिए बाजार प्रदान किया। हर जिले में सी-मार्ट आरंभ किये गये। इन सी-मार्ट के माध्यम से हर क्षेत्र के खास उत्पादों को जगह मिली। उदाहरण के लिए बस्तर के दंतेवाड़ा में यदि भूमगादी समूह से जुड़ी कोई महिला जैविक चावल का विक्रय कर रही है तो उसके लिए बाजार केवल अपने आसपास के क्षेत्र तक नहीं है अपितु पूरा छत्तीसगढ़ और इसके बाहर भी बाजार उपलब्ध है। इसके साथ ही प्रशिक्षण का पक्ष भी महत्वपूर्ण है। जब महिलाएं एसएचजी से जुड़ती हैं तो बैंकिंग गतिविधियों से भी जुड़ती हैं एकाउंटेंसी से भी परिचित होती हैं और मार्केट को भी समझ पाती हैं। इस तरह पूरी तरह से आर्थिक कार्यकलापों के लिए दक्ष बनाने अपने को तैयार कर पाती हैं।
जब महिलाएं आर्थिक रूप से सक्षम हो रही हैं तो अपनी बेटियों को भी इस दिशा में तैयार कर रही हैं। छत्तीसगढ़ में स्कूल के अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर और महिलाओं में बढ़ी जागरूकता का प्रभाव स्कूलों में दर्ज संख्या से पता चलता है। इस लिहाज से छत्तीसगढ़ महिला शिक्षा सहित विहिन्न स्खेत्रों में तेजी से आगे बढ़ रहा है ।
विभाष झा