09 नवम्बर 2021 | पर्यटन नगरी जैसलमेर को देश-दुनिया में सोनार किला, हवेलियों, पीली इमारतों की वजह से गोल्डन सिटी के नाम से जाना जाता है। जैसलमेर से 45 किलोमीटर दूर स्थित सम गांव मिनी दुबई का एहसास कराता है। जैसलमेर आने वाले टूरिस्ट के लिए ये जगह किसी एडवेंचर से कम नहीं है।
100 से ज्यादा रिसॉर्ट
जैसलमेर के सम गांव में हर साल हजारों की संख्या में टूरिस्ट पहुंचते हैं। दुबई की तर्ज पर यहां के रेत के टीलों पर कैमल राइडिंग और पैरासैलिंग का लुत्फ उठाते हैं। यहां 100 से भी ज्यादा लग्जरी रिसॉर्ट हैं। इन रिसॉर्ट में कपड़े के बने टेंट लगे हैं। इस एक टेंट को बनाने का खर्चा 4 से 5 लाख के करीब आता है। इस छोटे से टेंट में टूरिस्ट को किसी लग्जरी होटल की सुविधा मिलती है।
गुलाम कादर बताते हैं कि इन रिसॉर्ट में राजस्थानी फूड, राजस्थानी कालबेलिया डांस, राजस्थानी लोक-संगीत की व्यवस्था करते हैं। ताकि आने वाले टूरिस्ट को मरुस्थल में यहां की संस्कृति, खान-पान, गीत संगीत और लोक कला से रुबरू होने का मौका मिले। इसके लिए एक दिन का 4 से 6 हजार के बीच का पैकेज रखते हैं। स्नेक्स, राजस्थानी डांस और डिनर भी इसी पैकेज में ही दिया जाता है।
रेतीले समंदर में ऊंट की सवारी
सम गांव में आने वाले लोग सबसे ज्यादा ऊंट की सवारी करना पसंद करते हैं। यहां हर तरफ टूरिस्ट्स की गाड़ियां ही नजर आती हैं। यहां सनसेट देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ती है। रेगिस्तान में सनसेट का खूबसूरत नजारा टूरिस्ट्स को खूब पसंद आता है।
खूबसूरत रिसॉर्ट में होती है मेहमाननवाजी
सम के रेतीले टीलों के पास ही कतार में रिसॉर्ट बने हैं, जिनमें हर शाम कल्चरल इवेंट होता है। राजस्थान का लोक गीत-संगीत और कालबेलिया डांस के साथ ही साथ सूफी कलाम भी सुनने को मिलते हैं। डिनर में राजस्थान के खास कैर सांगरी और दाल-बाटी चूरमा खिलाया जाता है। यहां की मेहमाननवाजी से प्रभावित होकर हर कोई बार-बार जैसलमेर आना चाहता है। गुजरात से आई एक महिला सैलानी कहती है कि उसे डेजर्ट बहुत पसंद है। वो यहां दोबारा आना चाहती है। सर्दियों में जैसलमेर आना एक अलग ही एक्सपीरिएंस है
Source :- “दैनिक भास्कर”