• May 14, 2024 12:49 pm

अनाज व दालों की खरीद नहीं, व्यापारियों व किसानों ने ही जमा किए उत्पाद

1 जुलाई 2022 | सरकार ने कहा : उत्पादन पूरा, कितने दिन अपने पास स्टॉक रख पाएंगे किसान व व्यापारी

राज्य में बहुत जल्द खाद्यान के संकट जैसे हालात बन सकते हैं। इस संकट से दालें, अनाज, चावल, तेल आदि और महंगे होने की आशंका है। खाद्य सुरक्षा के तहत राशन का अनाज लेने वाले करीब दो करोड़ लोग भी इससे प्रभावित हो सकते हैं। असल में इस बार दाल, अनाज व धान की एमएसपी पर खरीदारी नहीं के बराबर हुई है। यही कारण है कि राज्य भंडारण निगम के गोदामों में खाद्यान्न का भंडारण न तो एफसीआई और न ही नैफेड ने किया है। इस बीच किसानों के आंदाेलन का समर्थन करने वाली गहलोत सरकार ने भी 4 लाख मीट्रिक टन का वादा किया था, लेकिन वह पूरा नहीं किया गया।

अब स्थिति यह है कि पीडीएस में राशन लेने वालों को आने वाले दिनों में समय पर राशन मिल पाएगा, इस पर भी संशय है, क्योंकि राज्य के गोदामों में उनका राशन नहीं बल्कि अन्य राज्यों से लाकर एफसीआई उसकी व्यवस्था जुटाने में लगी है। हालांकि एफसीआई का दावा है कि किसी को भी खाद्यान की कमी नहीं आने दी जाएगी।

गोदाम खाली :
असल में किसानों से खरीदे खाद्यानों का भंडारण राजस्थान भंडारण निगम के गोदामों में होता है। एफसीआई गेहूं व धान तथा नैफेड दालों व तिलहन की खरीद करते हैं। दो सालों से दोनों की ओर से राज्य के लिए खरीद नहीं की है। ऐसे में निगम के गोदामों लगभग 70 से 80% तक खाली हैं।

बाजार में भाव ज्यादा :
यूक्रेन युद्ध व अन्य कारणों से बाजार में अनाजों, तेल या धान के भाव ज्यादा हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी ज्यादा के भाव किसानों को मिल रहे हैं। किसान पर बेचने के बजाय बाजार में ऊंची दरों पर बेचा। गोदामों में सामग्री रखने की दरें भी ज्यादा हैं।

इसलिए खरीद जरूरी :एमएसपी तेल-दाल, चावल आदि प्रतिदिन प्रयोग की सामग्री है। जब भी इनकी कीमतें बढ़ने लगी हैं, सरकार गाेदामों में रखे स्टॉक को बाजार में उतार देती हैं, ताकि कीमतें नियंत्रित रहें। मांग बढ़ने पर या महंगे होने पर स्टॉक करने की प्रवृत्ति को रोकने के लिए भी सरकारी स्टॉक का उपयोग किया जाता है।

Source;- ‘’दैनिकभास्कर’’

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