किशनगंज। लैटिन अमेरिकी फल ड्रैगन फ्रूट की खेती किशनगंज में पिछले छह वर्षाें से हो रही है। कैक्टस प्रजाति के इस फल की खेती को अब पूरे राज्य में विस्तार दिया जाएगा। इसके लिए बिहार बागवानी सोसायटी रोडमैप तैयार करेगी। किसानों को नि:शुल्क पौधा उपलब्ध कराने से लेकर इसकी खेती का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
राज्य सरकार फिलहाल ठाकुरगंज निवासी किसान नगराज नखत की नर्सरी से इच्छुक किसानों को पौधा उपलब्ध कराएगी। इसके अलावा डॉ. कलाम कृषि कॉलेज अर्राबाड़ी से किसानों को प्रशिक्षण व पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे। वैशाली के देसरी स्थित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर फ्रूट में नर्सरी लगाकर पूरे बिहार में विस्तार की योजना का क्रियान्वयन कराया जाएगा।
- 2014 में जिले में शुरू हुई थी ड्रैगन फ्रूट की खेती
किशनगंज जिले में पहली बार ड्रैगन फ्रूट की खेती 2014 में शुरू हुई थी। ठाकुरगंज के प्रगतिशील किसान नगराज नखत सिगापुर से 100 पौधे खरीद कर लाए थे। साल दर साल विस्तार करते हुए अब वे पांच एकड़ में इसकी खेती कर बेहतर आमदनी कर रहे हैं। नगराज नखत बताते हैं कि अब वह इसकी खेती के साथ-साथ नर्सरी भी तैयार कर रहे हैं। 2020 में इनकी नर्सरी से लगभग 11 हजार पौधों की बिक्री हुई। असम, पश्चिम बंगाल और नेपाल के किसान यहां से ड्रैगन फ्रूट का पौघा खरीदकर ले जा रहे हैं। किशनगंज समेत आसपास के जिलों के किसान भी इसकी खेती की जानकारी लेने पहुंच रहे हैं।
- ड्रैगन फ्रूट की तीन किस्मों पर चल रहा शोध
डॉ. कलाम कृषि कॉलेज अर्राबाड़ी में ड्रैगन फ्रूट की तीन किस्मों पर शोध चल रहा है। ये किस्में ठाकुरगंज के अलावा असम व कोलकाता से मंगाई गई हैं। शोध में जुटे कृषि विज्ञानी डॉ. शमीम बताते हैं कि तीनों किस्मों पर शोध कर फसल तैयार की जाएगी। इस बात का खयाल रखा जा रहा है कि किशनगंज और आसपास के जिलों की मिट्टी और जलवायु के उपयुक्त कौन सी किस्म उपयुक्त होगी।
- किसानों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
तीनों किस्मों पर शोध के साथ-साथ किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। ठाकुरगंज में उगाए जा रहे ड्रैगन फ्रूट के फल के ऊपर और अंदर का हिस्सा लाल होता है। असम से मंगाए गए फल के ऊपर का हिस्सा पीला और अंदर सफेद है। इसी तरह बंगाल से लाए गए फल के ऊपर का हिस्सा लाल और अंदर सफेद होता है।
कोट – ड्रैगन फ्रूट की खेती का विस्तार किशनगंज के आसपास के जिलों से लेकर पूरे बिहार में किया जाना है। किसान नगराज नखत की नर्सरी से पौधे लेकर किसानों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं। अब डॉ. कलाम कृषि कॉलेज अर्राबाड़ी और वैशाली के देसरी स्थित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर फ्रूट में नर्सरी का विस्तार किया जाएगा।
- नंदकिशोर, उद्यान निदेशक, बिहार।