बैजनाथ। उपमंडल बैजनाथ का एक बाजार ऐसा भी है, जहां आपको हर जड़ी बूटी उपलब्ध हो जाएगी। आधुनिकता के इस दौर में जहां जड़ी बूटियां मिलना आसान नहीं है, वहीं इस बाजार में आपको सैकड़ों जड़ी बूटियां मिल जाएगी। जिनका प्रयोग अब भी कई प्रकार की दवाईयां या फिर पूजा पद्धति में होता है।
बैजनाथ-पपरोला नगर पंचायत के पपरोला के खूह बाजार में अब भी कुछ दुकानदार पुरानी जड़ी बूटियों के कारोबार को सहेजे हुए हैं। यह बाजार बेहद पुराना है, यहां के दुकानदारों की मानें तो उनका कहना है कि इस बाजार में उनके पूर्वजों की दुकानें वर्ष 1850 के करीब हैं, क्योंकि जब यहां पुरानी दुकानें उखाड़ी गई थी, उस समय भी 1870 के आसपास के कुछ बिल व खाते मिले थे। यहां दशकों से जड़ी बूटियों का कारोबार होता था। यहां मौजूद दुकानों में आपकों अब जड़ी बूटियों के अलावा किरयाना भी उपलब्ध हो जाएगा।
इस बाजार में एक प्राचीन कुआं भी है, जिसमें अंकित टांकरी भाषा के अनुसार यह कुआं भी दो साल से अधिक पुराना है। ऐसे में इस बाजार को शुरू से ही खूह बाजार कहा जाता है। यहां मौजूद किरयाने की दुकानों में आपकों को पांच सौ के करीब जड़ी बूटियां उपलब्ध हो जाएंगी। इसमें अधिकांश का प्रयोग दवाईयों के रूप में होता है, तो कुछ जड़ी बूटियों का प्रयोग हवन यज्ञ या पूजा पद्धति में होता है और आसानी से आपकों कहीं ओर उपलब्ध नहीं हो पाएंगी।
ये प्रमुख हैं जड़ी बूटियां
शतावरी, मघ, कोंचबीज, मुस्ली सफेद, लोहवान, हरमल धूप, मेथी दाना, कत्था सफेद, कोडियां, जंग हरड़, माघी, कवावचीनी, हालें, समुद्र सौरव, नरवीसी, करंज बीज, शिवलिंग बीज, तुलसी, काह अजवाइन, जौं स्वार, सरद चीनी, बावचा, बालछड़, भूतकशी, लालपखाना, जटा, बीज, सभी प्रकार का कत्था, ब्रहम जीरी, कुचला, लाजवंती, सफेद मिर्च, अगर सहित कई जड़ी बूटियां हैं। इसके अलावा आपको नागछतरी सहित बेहद मूल्य वाली कुछ जड़ी बूटियां भी अनुमति लेकर उपलब्ध करवाई जाती हैं।
स्थानीय कारोबारी कपिल सूद का कहना है कि यह बाजार बेहद पुराना है। हमारें पूर्वज सौ साल से अधिक समय से जड़ी बूटियों का कारोबार करते आ रहे हैं। ऐसे में हम ने भी इसे अब भी जारी रखा है। जड़ी बूटियों को बेचने के लिए इनका ज्ञान होना बेहद जरूरी है। हम इस दिशा में लगातार काम कर रहे हैं और अमृतसर, दिल्ली व हिमाचल से कई जड़ी बूटियां हमें लानी पड़ती हैं। यहां दूर दूर से लोग इनकों खरीदने के लिए आते हैं।