अगस्त 11 2023 ! ऑनलाइन गेमिंग की फुल फेस वैल्यू पर 28 फीसदी जीएसटी के कदम ने इसके एग्जीक्यूशन से पहले ही इस सेक्टर में समस्या पैदा करना शुरू कर दिया है. छंटनी का दौर शुरू होने के साथ कंपनियों के बंद होने और शटडाउन और फंडिंग कमी जैसे मामले सामने आने लगे हैं. बेंगलुरु बेस्ड यूनिकॉर्न कंपनी मोबाइल प्रीमियर लीग (एमपीएल) ने एक्स्ट्रा टैक्स का हवाला देते हुए 350 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है.
कविन भारती मित्तल के रश गेमिंग यूनिवर्स ने भी जीएसटी के असर की आशंका से 55 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है. जोकि कंपनी कंपनी के वर्कफोर्स का करीब 25 फीसदी है. कई छोटी कंपनियां या तो बंद हो रही हैं या बड़े प्लेटफार्मों के साथ मर्ज होने के बारे में विचार कर रही है.
वहीं दूसरी ओर कैपिटल वेंचर्स ने भी इन कंपनियों में फंडिंग से हाथ खींचते हुए गेमिंग की उन कंपनियों पर पैसा लगा रहे हैं, जिन पर जीएसटी का असर नहीं है. इंवेस्टर्स का अनुमान है कि इस सेक्टर के बड़े प्लेयर्स की वैल्यूएशन में भी गिरावट देखने को मिल सकती है.
ओरियोस वेंचर पार्टनर्स के मैनेजिंग पार्टनर राजीव सूरी का कहना है कि इकोसिस्टम में मौजूद बड़े प्लेयर्स की वैल्यूएशन में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है. उन्होंने कहा कि मार्केट में लिक्विडिटी की कमी की वजह से इसमें और भी गिरावट देखी जा सकती है. इसके अलावा कैपिटल वेंचर्स ऐसे बिजनेस की ओर से बढ़ रहे हैं जो ज्यादा स्टेबल हैं. गेमिंग सेक्टर को छोड़ ऐसे सेक्टर में निवेश की ओर बढ़ रही हैं, जिनमें जीएसटी का असर कम हो, भले ही वो गेमिंग सेक्टर से ही क्यों ना जुड़ा हुआ हो. ओरिओस गुरुग्राम बेस्ड रियल मनी गेमिंग स्टार्टअप जूपी में एक इंवेस्टर है.
जीएसटी काउंसिल ने 11 जुलाई को ग्रॉस गेमिंग रेवेन्यू या प्लेटफॉर्म चार्ज पर जीएसटी लगाने की जगह फुल फेस वैल्यू पर 28 फीसदी टैक्स लगाने का फैसला किया. 2 अगस्त को एक अन्य बैठक में, काउंसिल ने स्पष्ट किया कि टैक्स किसी खेल में भाग लेने के लिए खिलाड़ियों द्वारा की गई जमा राशि पर लागू होगा, इस प्रकार जब वे अपने जीते हुए धन का उपयोग अधिक खेल खेलने के लिए करते हैं तो दोहराए जाने वाले टैक्स से बचा जा सकेगा. इस फैसले के बाद कुछ बड़े प्लयर्स को कुछ राहत मिली.
सोर्स :- ” TV9 भारतवर्ष “