रामनगर l 22-मई-2021। बेमौसम बारिश के चलते भले ही पहाड़ में भारी नुकसान हुआ हो मगर उस बारिश के कारण लीची उत्पादको और बगान ठेकेदारों के चेहरों पर अभी से चमक दिखाई देने लगी है। लीची उत्पादको की माने तो बे मौसम के दौरान अचानक हुई बरसात ने तो लीची की मिठास बड़ा दी है। बारिश को लीची उत्पादन के मुफीद माना जा रहा है।
रामनगर क्षेत्र में नौ सौ हेक्टेयर क्षेत्र में लीची का उत्पादन होता है।
इस बार साढे चार हजार से पाँच हजार मैट्रिक टन लीची का उत्पादन होने की संभावना बनी हुई है। बगीचों में नगर क्षेत्र से बाहर निकलते ही बगीचों में पेड़ो ओर लदी लीची अब लाल दिखाई देने से राह चलते हर शख्स को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। ये बात दीगर है कि बाजार में छिटपुट लीची दिखाई देने लगी है मगर अब लीची में वो मिठास नही है जो आनी चाहिए। ओले व आधी से भी हुआ नुकसान पिछले दिनों हुई ओला वृष्टि से लीची को नुकसान जरूर हुआ है।
उद्यान विशेषज्ञ राकेश मोहन सिंघल कहते है यह नुकसान केवल 20 से 25 प्रतिशत हुवा है। उस समय पेड़ो के ग़ुच्छो के आपस मे टकराने से ओर ओर ओलो की मार से लीची के फल में दाग भी लगा है जिससे लीची के फटने की संभावना बनी रहती है। लेकिन यह कम नुकसान कम कम हुवा है। बस अब बारिश और अधिक न हो तो फसल बढ़िया हो जाएगी। अब लीची के सुर्ख लाल और मोटा होने का समय उद्यान प्रभारी एएस परवाल कहते है बारिश तो लीची के लिए समझिए आसमान अमृत वर्षा है। अब धूप आने पर लीची का दाना भी फूलेगा। गर्मी से लीची फूलकर मोटी होगी। इसके गूदे में मिठास भी बढ़ जाएगी।
परवाल कहते है कि इसबार बे मौसम बारिश से लीची के गूदे में प्रोटीन की मात्रा भी बढ़ेगी। आने लगे है खरीदार ये बात अलग है कि अभी बगीचों में लीची टूटना शुरू नही हुई है मगर अभी से दिल्ली हरियाणा के खरीदार आने लगे है जो बगीचों में लीची का उत्पादन देखकर उसके मोलभाव भी करने लगे है। इसके अलावा बंगाल, कोलकाता, महाराष्ट्र आदि स्थानों से भी आढ़तियों के फोन यहाँ लीची ठेकेदारों व स्थानीय मंडी में लीची विक्रेताओं के पास आने लगे है। पिछले लॉक डाउन की भरपाई की उम्मीद पिछले साल लाकडॉन के चलते लीची रामनगर से बाहर न जा पाने के कारण ठेकेदारों को लाखों का नुकसान हुआ था।