कभी शिक्षा की लौ से वंचित रहे लोग अब कॉपी, किताब हाथ में लिए स्कूलों की तरफ जाते दिख रहे हैं। स्कूलों में एबीसी और अ आ का ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं। बुजुर्ग और महिलाएं उत्साह और उमंग के साथ शिक्षा से जुड़ रहे हैं। प्रदेश में दो जिलों सांबा और कुपवाड़ा में पढ़ना-लिखना अभियान की शुरुआत हो गई है। इसमें 40 हजार निरक्षरों को जोड़ा गया जिन्हें साक्षर बनाया जा रहा है।
अभियान के तहत पहले फेज में सांबा और कुपवाड़ा जिले को शामिल किया गया है। 15 मई तक यह अभियान चलेगा। इसमें निरक्षरों की पढ़ाई के साथ उनकी परीक्षा भी ली जाएगी। इस अभियान में 15 वर्ष से ऊपर के निरक्षरों को स्वयंसेवक और सेवानिवृत्त शिक्षक निशुल्क शिक्षा मुहैया करवा रहे हैं। पढ़ना-लिखना अभियान विशेष कर उन लोगों के लिए है जो कभी स्कूल नहीं गए।
इसमें 10 हजार सांबा जिले और 30 हजार कुपवाड़ा जिले के निरक्षर हैं। यह लोग ज्यादातर दूरदराज गांवों में रहते हैं। अब गांवों में ही सेवानिवृत्त शिक्षक व स्वयंसेवक इन्हें शिक्षित कर रहे हैं। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य साक्षरता दर में बढ़ोतरी करना है। स्कूलों में बच्चों की छुट्टी होने के बाद निरक्षरों को स्कूलों में ही पढ़ाया जा रहा है।