24-जुलाई-2021 । गुजरात के सरकारी प्राथमिक स्कूलों में किस तरह की शिक्षा दी जाती है, स्कूलों का इन्फ्रास्ट्रक्चर कैसा है, छात्र किस प्रकार का संशोधन कर रहे है और शिक्षकों किस तरह शिक्षा दे रहे है। इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार की ओर से गुणोत्सव शुरू किया गया था। जिसके जरिए स्कूलों का मूल्यांकन होता है। यह मूल्यांकन रिपोर्ट अब सामने आया है जिसमें राज्य की सरकारी स्कूलों का शिक्षा स्तर बिगड़ता नजर आ रहा है।
ग्रामीण विस्तार की लगभग 6 हजार सरकारी प्राथमिक स्कूलों को ताला लगाने का काम भाजपा सरकार द्वारा किया जा रहा है। एक ओर कोरोना काल में अभिभावक महंगी फीस भर नहीं सकते इसलिए वे अब निजी स्कूलों से निकालकर अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूलो में करा रहे है। वहीं दूसरी ओर सरकारी स्कूलों में ही शिक्षा की गुणवत्ता कमजोर होने की रिपोर्ट सामने आई है। गुणोत्सव 2.0 का औसत परिणाम 57.84 फीसदी आने पर बी ग्रेड प्राप्त हुआ है।
गुणोत्सव 2.0 में किया गया गहन निरीक्षण
गुणोत्सव 2.0 में स्कूल इंस्पेक्टरों द्वारा वर्ष दौरान स्कूलों में गहन निरीक्षण किया गया था, जिससे गुणोत्सव 2.0 में राज्य की सरकारी स्कूलों की कमजोर गुणवत्ता का पर्दाफाश हुआ है। गुणोत्सव 2.0 में कुल 4 हिस्से किए गए जिसमें प्रथम हिस्से में अध्ययन और अध्यापन आता है, जिसमें इकाई परीक्षण, कक्षा का वातावरण और अध्ययन और शिक्षण प्रक्रियाएं शामिल हैं। वहीं दूसरी क्रम मं स्कूलों के क्षेत्र में स्कूलों की हाजरी, संचालन और सुरक्षा को शामिल किया गया है। तीसरे क्रम में संसाधनों में पुस्तकालय का इस्तेमाल, तकनीकी का इस्तेमाल, मध्यान्ह भोजन और पानी तथा शौचालयों की व्यवस्था के साथ साथ चौथे क्रम में सह शैक्षणिक प्रवृत्तियों में प्रार्थना, खेलकूद, स्पर्धात्मक परिक्षा में हिस्सेदारी सहित विभिन्न प्रवृत्तियों को शामिल किया गया है।
सरकारी स्कूलों का परिणाम रहा मात्र 57.84%
इसके अलावा जो ग्रेडिंग सिस्टम अपनाई गइ है उसमें 0 से 25 फीसदी परिणाम में डी ग्रेड, 26 से 50 फीसदी परिणाम में सी ग्रेड, 51 से 75 फीसदी में बी ग्रेड, 75 से 85 फसदी में ए ग्रेड तथा 86 से 100 फीसदी में ए प्लस ग्रेड देने का निर्णय लिया गया था, जिसमें गुजरात की सरकारी स्कूलों का औसत परिणाम 57.84 फीसदी आने पर बी ग्रेड प्राप्त हुआ है। एकम कसोटी के बाद जो छात्र जिन विषयों में कमजोर होते है उसका उपचारात्मक शिक्षा कार्य शिक्षकों को करना था, लेकिन राज्य की 76 फीसदी स्कूलों में उपचारात्मक शिक्षा नहीं होने का खुलासा गुणोत्सव 2.0 के परिणाम में सामने आया है।
वर्ष 2009 में गुणोत्सव सर्वे शुरू किया था
गुणोत्सव 2.0 में राज्य की कुल 30 हजार 681 प्राथमिक स्कूलों को शामिल किया गया था, जिसके मूल्यांकन में इस जानकारी का खुलासा हुआ है। शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता की जांच करने के लिए वर्ष 2009 में गुणोत्सव कार्यक्रम शुरू किया या था और वर्ष 2010 से इसे अमल किया गया। जबकि अभी तक कुल 8 गुणोत्सव आयोजित हुआ और गुणोत्सव के परिणाम को लेकर सरकार द्वारा भारी वाहवाही भी लूटने का प्रयास किया गया, लेकिन वर्ष 2019 में गुणोत्सव की पद्धति में बड़ा बदलाव कर गुणोत्सव 2.0 अमल में लाया गया था।
Source : ‘‘दैनिक भास्कर’’