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सांसों का संकट-अम्बाला में प्रदूषण का स्तर बेहद खराब की श्रेणी में पहुंचा, जिले का एक्यूआई रविवार रात 335 पहुंचा

08 नवम्बर 2021 | दिवाली के बाद अम्बाला में हवा सांस लेने के लायक नहीं बची है। हवा में प्रदूषण का स्तर बेहद खराब की स्थिति में पहुंच गया है। नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स के रविवार दोपहर बाद 4 बजे के बुलेटिन में अम्बाला का औसत एक्यूआई 341 दर्ज किया गया। दिन में एक बार यह स्तर 419 तक छू गया था। 200 से नीचे मध्यम और 200 से 300 के बीच का एक्यूआई खराब की श्रेणी में आता है।

ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि हवा कितनी प्रदूषित हो चुकी है। इन दिनों हवा में प्रदूषण की बड़ी वजह धान के अवशेषों में आग लगाने से उठने वाला धुआं भी रहता है। हालांकि, कृषि विभाग के उप निदेशक डाॅ. गिरीश नागपाल का कहना है कि इस बार धान के अवशेषों में आग लगाने के मामले पिछले साल की तुलना में 80 प्रतिशत तक कम दर्ज हुए हैं।

देखने वाली बात यह है कि दिवाली से पहले 1 नवंबर को अम्बाला का एक्यूआई 195 था। जो मध्यम श्रेणी में था लेकिन दिवाली के बाद यह बेहद खराब की श्रेणी में पहुंच गया है। अम्बाला के साथ पंचकूला में एक्यूआई 143 रहा। इस हिसाब से पंचकूला की तुलना में अम्बाला में प्रदूषण का स्तर दोगुने से भी ज्यादा रहा है। यमुनानगर में यह स्तर 218 रहा। वहीं, कुरुक्षेत्र में अम्बाला से भी खराब स्थिति रही, जहां एक्यूआई 350 दर्ज हुआ। मौसम विभाग के अनुसार बरसात मे बाद एक्यूआई में गिरावट आ जाएगी, लेकिन अभी एक सप्ताह तक बरसात के आसार नहीं बन रहे हैं।

नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स के मुताबिक पीएम 10 में एवरेज एक्यूआई 229 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर पाया गया है। जबकि पीएम 2.5 में एवरेज 333 पाया गया है। पीएम 2.5 के छोटे कण जिनका व्यास 2.5 माइक्रो मीटर या कम होता है। ये कण ठोस या तरल रूप में हवा में रहते हैं और धूल, गर्द, और धातु के सूक्ष्म कण होते हैं।

वहीं, पीएम 10 यानी पर्टिकुलेट मैटर वो कण हैं जिनका व्यास 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहता है। जब इन कणों का स्तर बढ़ता है तो आंखों में जलन, गले में दिक्कत व सांस लेने में परेशानी होने लगती है। फैक्टरियों का धुआं भी इसके लिए जिम्मेदार है।

एक्यूआई काे ऐसे समझें

एक्यूआई श्रेणी

  • 0 से 50 बहुत अच्छी
  • 51 से 100 संताेषजनक
  • 101 से 200 मध्यम ( अस्थमा व लंग्स जैसी बीमारियों वाले सैंसटिव ग्रुप के लिए नुक्सानदेय )
  • 201 से 300 खराब
  • 301 से 400 बेहद खराब
  • 401 से 500 खतरनाक

क्या है स्मॉग

स्मॉग शब्द (धुुआं) और फॉग (धुंध) से मिलकर बना है। तापमान में गिरावट व नमी बढ़ने से हवा में मौजूद जहरीली गैसें कार्बन-डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन, सल्फर डाई ऑक्साइड व हाइड्रो कार्बन के मोटे कण जमीन से थोड़ा ऊपर हवा में आवरण बना लेते हैं। देखने में यह धुएं जैसा लगता है। सुबह के समय स्मॉग ज्यादा रहती है।

सांस, आंख व त्वचा रोगियों के लिए बढ़ी परेशानी

प्रदूषण का स्तर बढ़ने से आंखों, अस्थमा व सांस के रोगियों व त्वचा संबंधी रोगियों की मुश्किलें बढ़ी हैं। सिविल अस्पताल अम्बाला सिटी के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शुभ ज्योति ने बताया कि अस्थमा, सांस लेने में दिक्कत आदि के मरीज दिवाली से दो तीन दिन पहले ही आने लगे थे।

कैंट अस्पताल के फिजिशियन संजीव गोयल व आई स्पेशलिस्ट डॉ. राजेश गोयल ने बताया कि दिवाली में छुटि्टयों के चलते ओपीडी में मरीज कम रहे हैं लेकिन अब सोमवार को ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ना तय है।

दिन और रात का तापमान 1 डिग्री तक बढ़ा

दिवाली पर प्रदूषण बढ़ने से माैसम में गर्मी भी बढ़ी है। हवा से स्माॅग खत्म हाेने में एक सप्ताह तक का समय लग सकता है। स्माॅग के कारण दिन व रात के तापमान में भी कुछ बढ़ाेतरी हुई है।

रविवार दिन का तापमान 29.0 डिग्री व न्यूनतम तापमान 13.1 डिग्री रिकाॅर्ड किया गया, जबकि शनिवार काे दिन का अधिकतम तापमान 28.3 व न्यूनतम तापमान 12.4 डिग्री रिकाॅर्ड किया गया था। स्माॅग का असर शाम हाेते ताे दिखता ही है, मगर रात काे लाइटाें के कारण स्माॅग काफी नजर आता है। सुबह भी प्रदूषण हाेने के कारण हवा शुद्ध नहीं है।

Source :- “दैनिक भास्कर”

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