जमुई। गुजरात की तरह बिहार में भी कृषि के साधनों को विस्तार कर किसानों को स्वाबलंबी बनाया जा सकता है। यमुना बेन पुरस्कार से सम्मानित सरला बहन के सबसे छोटे पुत्र कुमार सत्यमूर्ति बिहार की उपजाऊ जमीन देखकर अपना कृषि ज्ञान यहां के किसानों को देना चाहते हैं। सत्यमूर्ति का मनना है कि बिहार की जमीन हर प्रकार उपयुक्त है। यहां खेती और पशुपालन को बेहतर तरीके से किया जा सकता है। जिससे लोगों को आर्थिक लाभ मिलेगा। देश भी आत्मनिर्भर होंगे। उन्होंने कहा किसानों को स्वाबलंबी बनाने के लिए वे हर संभव मदद करें। उन्हें उन्नत तकनीक की जानकारी दी जाएगी।
गुजरात में कृषि ज्ञान से लोगों को किया लाभान्वित
17-18 वर्षो से सत्यमूर्ति बिहार से गुजरात के कच्छ जिले में किसानों को खुद की नवीन कृषि ज्ञान के बल पर स्वाबलंबी बना दिया। मातृभूमि का सिंचाई का परिणाम है कि सत्यमूर्ति कच्छ के किसानों की तरह बिहार के किसानों में भी विकास का रंग भरना चाहते है। कृषि को बढ़ावा देने के लिए कहते है बिहार इकलौता राज्य है जहां मखाना की खेती होती है। मखाना की खेती को और विकसित करने की जरुरत है।
बिहार की जमीन अनुकूल है
मधुमक्खी पालन, फूल की खेती, नारियल की खेती, अनार की खेती के लिए बिहार कि जमीन अनुकूल है। खेती के साथ पशुपालन से भी यहां के किसान अपना सकते हैं। उन्होंने गुजराती नस्ल की गीर गाय पालन करने पर जोर दिया। गीर गाय के दूध के बारे में जुनागढ़ कृषि विश्व विद्यालय ने एक शोध किया है। इसमें स्वर्ण भष्म होने की बात बताई गई है। बड़े कान वाली नस्ल की बकरी पालन बड़ा ही लाभकारी है।
सरकार करें किसानों को सहयोग
बिहार में किसान कृषि में तेजी से आत्मनिर्भर हों। इसके लिए बजट में मजबूत प्रवधान हो। किसानों को बीज, बायोगैस, सिंचाई संसाधन एवं बिजली में ज्यादा सब्सिडी में बल दिया जाए। खेत तक बिजली, पानी की व्यवस्था हो। अलग फीडर बनाकर गुजरात मॉडल में बिजली मिलना तय हो।