• May 7, 2024 6:23 am

सिविल अस्पताल की शिफ्टिंग शुरू-जर्जर इमारत में 15 दिन में 4 बार सीलिंग टूटी, 200 मरीजों को आज किडनी हॉस्पिटल में शिफ्ट करेंगे

18 अक्टूबर 2021 | सिविल अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग से सबसे पहले मेडिसिन विभाग की शिफ्टिंग किडनी हाॅस्पिटल में होगी। सोमवार को मेडिसिन विभाग के 200 मरीजों को शिफ्ट किया जाएगा। इनमें वेंटिलेटर के मरीज भी होंगे। मेडिसिन विभाग के वार्ड में अभी करीब 250 से अधिक मरीज हैं। एमआईसीयू के मरीजों को अभी नहीं शिफ्ट करेंगे। प्रबंधन का प्रयास है कि इनमें नॉन क्रिटिकल करीब 200 मरीजों को पहले शिफ्ट कर दिया जाए। बाद में गंभीर मरीजों को भी शिफ्ट कर दिया जाएगा।

मेडिसिन विभाग के मरीजों के साथ डाॅक्टर, नर्स और कर्मचारियों को भी किडनी अस्पातल में शिफ्ट किया जाएगा। कलेक्टर के आदेश के बाद प्रबंधन ने काम शुरू कर दिया है। रविवार को किडनी अस्पताल की साफ-सफाई और ट्रायल हुआ। किडनी अस्पताल में लिफ्ट, रैंप, ड्रेनेज, पानी और फायर सेफ्टी के आधुनिक संसाधन उपलब्ध होंगे। अभी केवल मेडिसिन विभाग ही पूरी तरह शिफ्ट किया जाएगा। उसके बाद पीडियाट्रिक विभाग को भी शिफ्ट होगा। पुरानी इमारत में 15 दिनों में 4 बार सीलिंग टूट चुकी है। इस बिल्डिंग की जगह 10 मंजिल की नई इमारत बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।

पुरानी बिल्डिंग में मरीजों-परिजनों, डॉक्टर, नर्स व कर्मचारियों को भी खतरा

सिविल अस्पताल की पुरानी इमारत जर्जर हो चुकी है। इसकी छत का प्लास्टर अक्सर टूटकर गिरता रहता है। कई बार मरीज व कर्मचारी घायल हो चुके हैं। पिछले 15 दिनों में 4 बार छत का प्लास्टर टूटकर गिर चुका है। पुरानी बिल्डिंग के ई और एच ब्लाॅक सबसे ज्यादा जर्जर हैं, इसलिए प्रबंधन पहले इन्हीं ब्लॉक को किडनी अस्पताल में शिफ्ट करेगा। इसमें मेडिसिन और पीडियाट्रिक विभाग के वार्ड शामिल हैं।
शुक्रवार को एच ब्लॉक में स्थित हीमोफीलिया विभाग की छत का प्लास्टर टूटकर गिर गया था। इससे एक महिला कर्मचारी घायल हो गई थी। यहां काफी समय से रिपेयरिंग का काम चल रहा है। इससे पहले ओपीडी हाॅल, वार्ड और डायलिसिस सेंटर की भी सीलिंग टूट चुकी है।
मरीजों के साथ-साथ उनके परिजनों और अस्पताल के डॉक्टर, नर्स और अन्य कर्मचारियों को डर रहता है कि कहीं छत का हिस्सा टूटकर न गिर पड़े। बारिश में कई वार्डों और ओपीडी में पानी टपकता है। कलेक्टर ने शनिवार को विभागों व मरीजों को किडनी अस्पताल में शिफ्ट करने का निर्देश दिया था।

सर्जरी, ऑर्थो, गायनिक, आई व ईएनटी नहीं होंगे शिफ्ट

सिविल अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि पुरानी इमारत में 1250 बेड की क्षमता है, लेकिन किडनी अस्पताल में केवल 600 बेड का ही इंतजाम है। इसे देखते हुए सबसे पहले सबसे ज्यादा जर्जर ब्लॉक को ही शिफ्ट किया जाएगा। सभी विभाग को यहां लाना संभव नहीं है, लेकिन मेडिसिन और पीडियाट्रिक विभाग को शिफ्ट कर दिया जाएगा। इसके अलावा सर्जरी, ऑर्थो, गायनिक, ईएनटी और आई के विभाग शिफ्ट नहीं किए जाएंगे।

एमआईसीयू को छोड़ेंगे, पर वेंटि के मरीज होंगे शिफ्ट

किडनी अस्पताल में 600 बेड पर ऑक्सीजन सप्लाई सुविधा है। इसके आलावा 200 वेंटिलेटर रखे गए हैं। इनमें से 50 वेंटिलेटर ऑन बेड हैं जबकि 150 वेंटिलेटर स्टोर में रखे गए हैं। मेडिसिन विभाग के एमआईसीयू के मरीजों को फिलहाल अभी शिफ्ट नहीं किया जाएगा। इसके लिए मेडिसिन विभाग के एचओडी और अस्पताल अधीक्षक के साथ बैठक होगी, लेकिन वेंटिलेटर के मरीजों को किडनी अस्पताल में शिफ्ट किया जाएगा।

किडनी हॉस्पिटल में सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं

सरकारी मेडिकल कॉलेज के इंचार्ज डीन डॉ. निमेष वर्मा ने बताया कि किडनी अस्पताल की साफ-सफाई का काम शुरू हो गया है। सोमवार से मरीजों की शिफ्टिंग शुरू हो जाएगी। रविवार रात में ही किडनी अस्पताल के ऑक्सीजन टैंक में ऑक्सीजन भर दिया जाएगा। धीरे-धीरे सभी 600 बेड पर मरीजों को शिफ्ट कर दिया जाएगा। आदेश के बाद अन्य विभाग भी शिफ्ट होंगे।

स्टेम सेल अभी कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल रहेगा

200 मरीजों के साथ मेडिसिन विभाग के 60 डॉक्टर, 150 से अधिक नर्स और अन्य हेल्थ वर्कर भी किडनी अस्पताल में शिफ्ट होंगे। कोरोना काल से पहले स्टेम सेल की बिल्डिंग में मेडिसिन, पीडियाट्रिक और गायनिक विभाग को शिफ्ट करने का डीपीआर तैयार किया गया था, लेकिन कोरोना के मामले आने से इसे कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल बना दिया।

किडनी अस्पताल में अभी ये सुविधाएं

  • 600 बेड, सभी पर ऑक्सीजन सप्लाई
  • 200 वेंटिलेटर रखे, इनमें से 50 ऑन बेड
  • 150 वेंटिलेटर स्टोर में रखे गए हैं
  • लिफ्ट, रैंप, ड्रेनेज, पानी की व्यवस्था
  • फायर सेफ्टी के आधुनिक संसाधन

Source :- दैनिक भास्कर

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