• April 27, 2024 12:51 am

सुपोषण किट से श्रेया का बढ़ गया वजन, रामटेके परिवार में आई खुशियों की नई किरण

By

Dec 2, 2020
सुपोषण किट से श्रेया का बढ़ गया वजन, रामटेके परिवार में आई खुशियों की नई किरण

रायपुर। घर में बच्चों की किलकारियां माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों को आनंदित कर देती हैं। परिवार के लिए बच्चा एक वरदान है। बच्चे के शरीर में कोई कमजोरी हो तो वह माता-पिता के लिए चिंता का कारण बन जाती है। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर बच्चे का इलाज सही ढंग से नहीं करा पाना और भी चिंतनीय हो जाता है। ऐसी समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए लक्ष्य सुपोषण के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में बच्चों और महिलाओं की सेहत को ध्यान में रखते हुए अनेक योजनाएं लागू की गई हैं। लक्ष्य सुपोषण अभियान दो अक्टूबर 2019 को लागू की गई। इसके अंतर्गत पूरे जिले में चयनित लक्षित बच्चों के घर पर सुपोषण किट रखी जाती है।
दरअसल दैनिक मजदूरी करने वाले गुढ़ियारी के अशोक नगर निवासी जयश्री रामटेके के यहां साल 2018 को पैदा हुई श्रेया रामटेके का वजन जन्म के समय एक किलो आठ सौ ग्राम था। श्रेया का वजन उम्र के अनुसार नहीं बढ़ने पर माता-पिता को चिंता सताने लगी। इस बच्ची के स्वास्थ्य में सुधार के लिए नजदीक की आंगनबाड़ी पर्यवेक्षक रीता चौधरी से संपर्क किया। बच्ची के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर सुपोषण अभियान के तहत एक सुपोषण किट दी गई, जिसमें विभाग द्वारा प्रदाय की गई दूध, बिस्किट, लड्डू एवं चिक्की को रखा गया।

एनआरसी में भर्ती होने से मिला लाभ

कार्यकर्ता दीदी द्वारा प्रतिदिन सुबह बच्ची के घर जाकर नाश्ते में दूध, केला और बिस्किट खाने को दिया जाता है और दोपहर में घर में बने दाल, चावल, सब्जी के साथ अंडा, चिक्की और लड्डू दिया जाता है। पर्यवेक्षक ने श्रेया के माता-पिता को बच्ची को एनआरसी में बाल संदर्भ योजना के अंतर्गत में भर्ती करने कहा। एनआरसी से छुट्टी के बाद पर्यवेक्षक द्वारा श्रेया रामटेके के घर लगातार गृह भ्रमण करके पोषण आहार एवं स्वच्छता संबंधित जानकारी दी जाती रही। इसके साथ ही जीवन आधार समूह की महिलाओं ने श्रेया के स्वास्थ्य में विशेष निगरानी रखी। श्रेया के लिए समूह द्वारा पैसे एकत्रित करके प्रोटीन पाउडर, मल्टीविटामिन, आयरन सीरप की दवा दी गई। श्रेया को समय पर खाना और दवा समय पर मिलने से वजन मे लगातार बढ़ोतरी होना शुरू हो गया। बच्ची का स्वास्थ्य कुपोषित से सामान्य श्रेणी में आने से माता-पिता की सभी चिंताएं खत्म हो गईं। इस दौरान सुपरवाइजर द्वारा भी बच्ची के घर जाकर महत्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए जाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *