10 सितंबर 2022 | जनरेशन जेड यानी 1997 से 2012 के बीच पैदा हुए लोग अब सोशल मीडिया, खासकर फेसबुक पर नियमित तौर पर एक्टिव नहीं हैं। आभासी दुनिया की दोस्ती पर उनका यकीन कम हुआ है। जबकि 1981 से 1996 के बीच पैदा हुए 26 से 41 साल के लोग अब भी फेसबुक का ज्यादा नियमित इस्तेमाल कर रहे हैं।
प्यू रिसर्च सेंटर के नए सर्वे के अनुसार, अमेरिका में 13 से 17 साल के सिर्फ 32% टीनएजर्स ही नियमित तौर पर फेसबुक का इस्तेमाल कर रहे हैं। 2014-15 में 71% टीनएजर्स नियमित तौर पर फेसबुक यूजर थे। वे इंस्टाग्राम और स्नैपचैट जैसी सोशल मीडिया साइट्स का भी इस्तेमाल कर रहे थे। अमेरिका में किशोर सोशल मीडिया यूजर्स की संख्या में गिरावट अचानक नहीं हुई। किशोरों में नियमित तौर पर फेसबुक का इस्तेमाल पिछले 5 सालों में हर साल घटता गया।
फेसबुक से डेटा लीक का खतरा
दरअसल, पिछले कुछ सालों में सोशल साइट्स से डेटा लीक होने और प्राइवेसी को ज्यादा खतरा देखा गया है। इसकी वजह से जनरेशन जेड में सोशल मीडिया का क्रेज घटा। उनका फेसबुक से भी मोहभंग हुआ है। वे नए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सहजता से स्विच कर जाते हैं। फेसबुक की ही पेरेंट कंपनी मेटा के इंस्टाग्राम पर 62% टीनएजर्स हैं, लेकिन वे भी नियमित तौर पर इसका इस्तेमाल नहीं करते। जल्दी बोर हो जाते हैं। यही वजह है कि सोशल मीडिया कंपनियां अलग फीचर्स के साथ नए सोशल साइट्स लॉन्च करती रहती हैं
फेसबुक का आकलन है कि आने वाले कुछ सालों में अमेरिका में फेसबुक के पास जनरेशन जेड के नियमित यूजर्स नहीं होंगे, लेकिन पिछली पीढ़ी फेसबुक का इस्तेमाल करती रहेगी। प्रोफेसर डॉ. डस्टिन यॉर्क कहते हैं- फेसबुक और दूसरी सोशल साइट्स जनरेशन जेड को आकर्षित करने के लिए काफी बदलाव कर रही हैं, लेकिन प्यू रिसर्च सेंटर के ही इंग्लैंड में किए गए एक दूसरे सर्वे में यह बात सामने आई कि किशोरियों में वीडियो का क्रेज बढ़ता जा रहा है।
भारत में 73% बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे
राष्ट्रीय मानसिक जांच एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 73% बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं। इनमें से 30% मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं। 10 में से 3 बच्चे डिप्रेशन, डर, चिंता और चिड़चिड़ेपन से परेशान हैं। UK में नेचर कम्युनिकेशन की एक स्टडी में पाया गया कि सोशल मीडिया इस्तेमाल से किशोरों के दिमाग, हॉर्मोन और व्यवहार पर असर पड़ता है।
किशोरों को पेरेंट्स के दौर का संगीत पसंद
डॉ. यॉर्क कहते हैं कि स्कूल-कॉलेजों में 1990 के दशक का फैशन लौट रहा है। किशोरों में पिछली पीढ़ी की पसंद की तमाम चीजों की चाह बढ़ी है, फिर चाहे उनके कपड़ें हों, संगीत या उनकी सोशल मीडिया की पसंद और आदतें। युवा उस तरह के कपड़े पहनना चाहते हैं, जो उनके माता-पिता पहनते रहे हैं। वे उसी तरह का संगीत सुनना चाहते हैं। जनरेशन जेड एक साथ कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं।
Source:-“दैनिक भास्कर”