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केयरिंग इंडस्ट्री बड़े पैमाने पर विकसित होगी, इसमें युवाओं को अपना हाथ आजमाना चाहिए

18 अगस्त 2022 | द ड्यूक ऑफ कैम्ब्रिज (प्रिंस विलियम, डायना के सबसे बड़े बेटे) और उनकी पत्नी-द डचेस ऑफ कैम्ब्रिज, कैथरीन उनके बच्चों की देखभाल कर रही लिव-इन नैनी की सेवाएं लेना इस महीने के आखिर में बंद कर रहे हैं। इसका मतलब है कि उनके तीन बच्चे प्रिंस जॉर्ज (9), प्रिंसेस चार्लेट(7) और प्रिंस लुइस (7) के साथ उनकी नैनी मारिया बोरालो पूरे समय नहीं रुकेंगी, क्योंकि वो कहीं और रहेंगी।

मारिया फैमिली के साथ 2014 में जुड़ीं, जब जॉर्ज आठ महीने का था, बाद में उसने इन नौ सालों में उसके दो भाई-बहनों की देखभाल की। मूलतः स्पेन की मारिया, नॉरलैंड कॉलेज में ट्रेन्ड क्वालिफाइड नैनी हैं। वे सभी नॉरलैंड नैनी नाम से प्रसिद्ध हैं और उनकी हमेशा मांग रहती है। यहां बच्चों की देखभाल के लिए विशेषज्ञों की रेंज है और किसी भी परिवार की जरूरत में फिट हो सकती हैं।

उदाहरण के लिए मारिया चाइल्ड केयर के साथ न सिर्फ सिलाई, प्राथमिक चिकित्सा, कुकरी में महारती हैं, बल्कि आत्मरक्षा, मार्शल आर्ट्स, साइबर सुरक्षा, काउंटर टेररिज्म में पारंगत हैं। यह व्यक्तिगत स्वच्छता को टॉप रखने, ड्रेस सेंस को आधुिनक- खासतौर पर रॉयल फैमिली के हिसाब से रखने के अलावा है और उनके लिए जरूरी है कि वे हमेशा अच्छा महकें।

उनके जैसे लोग 75 हजार पाउंड सालाना से ज्यादा पाते हैं। (72 लाख रु.)ताज्जुब हो रहा है कि मैं नैनी की क्यों बात कर रहा हूं? यहां जवाब है। मुझे मारिया की याद एक स्टार्टअप ‘गुडफैलोज़’ का सुनकर आई, इस मंगलवार को रतन टाटा की उपस्थिति में ये स्टार्टअप लॉन्च हुआ, वह इसमें निवेशक भी हैं।

इसका उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों को शिक्षित युवाओं का सार्थक साथ मुहैया कराना है, इन युवाओं को हमदर्दी-इमोशनल इंटेलिजेंस के पैमाने पर गहनता से परखा जाता है। ये सुविधा लेने वाले सीनियर्स ‘ग्रैंडपल्स’ कहलाते हैं। पिछले 6 महीनों में सफल परीक्षण के बाद गुडफैलोज मुंबई-पुणे में उपलब्ध है, अगला टारगेट चेन्नई-बेंगलुरु है।

गुडफैलोज को युवा स्नातकों के 800 से ज्यादा आवेदन मिले हैं। इनमें से 20 को मुंबई में वरिष्ठों का साथी बनाया है। 25.3 करोड़ किशोर आबादी में 6.4% आबादी पांच साल से कम उम्र की है, भारत में 2026 तक वरिष्ठों की संख्या भी 17.30 करोड़ हो जाएगी, जिन्हें किसी न किसी तरह की देखभाल की जरूरत होगी।

ग्रोसरी लाने और कुछ शारीरिक मदद के अलावा युवाओं को बुजुर्गों का मानसिक साथ भी देना होगा। इसका मतलब है कि उनमें बुजुर्गों के साथ बुद्धिमत्तापूर्ण बातचीत में शामिल होने की योग्यता के साथ इतिहास की समझ और सुनने की अच्छी आदत होनी चाहिए। जाहिर है उनकी शारीिरक और साइबर हमलों से सुरक्षा भी भविष्य की जरूरत है।

ड्राइविंग अतिरिक्त योग्यता होगी और आत्मरक्षा सुपर क्वालिफिकेशन। इन सारी योग्यताओं में सबसे ज्यादा जरूरी एक अच्छा इंसान होने के साथ-साथ हमदर्दी-सहानुभूति होनी चाहिए। ऐसे कर्मचारियों में ईमानदारी व निष्ठा पहले से मौजूद होनी चाहिए। दुर्भाग्य से यूके के नॉरलैंड जैसा कॉलेज यहां नहीं हैं, जो कि बड़े पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में लोगों को सिलाई और प्राथमिक चिकित्सा जैसी बुनियादी चीजों में प्रशिक्षित कर सके।

अगर आपके अंदर अपनी मां जैसी योग्यताएं हैं, जो अच्छी इंसान होने के साथ-साथ सुपरवुमन होकर कई कामों को एक साथ अंजाम देती थीं, तो अब समय है कि आप इस देखभाल की इंडस्ट्री का भविष्य का अनुमान लगाएं और वो अतिरिक्त हुनर जोड़ें।

फंडा यह है कि पेशेवर केयरिंग इंडस्ट्री बड़े पैमाने पर विकसित होगी, यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें सहानुभूति रखने वाले युवाओं को अपना हाथ आजमाना चाहिए।

सोर्स :- दैनिक भास्कर”         

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