शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को पेयजल की समस्या से अधिक जूझना पड़ता है। जल निगम इन समस्याओं के निस्तारण में देरी कर देता था। ऐसे में शासन ने अब पेयजल योजनाओं के संचालन की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों को देने का फैसला किया है। इसके साथ ही पंचायतों को रख रखाव के लिए आने वाले खर्च को ग्रामीणों से वसूलने का अधिकार भी दिया है। अब पंचायतें ग्रामीणों के लिए पानी के प्रयोग पर कर भी लगा सकेंगी। उसके दुरुपयोग को रोकने के लिए यह पंचायतें स्वतंत्र रूप से कार्रवाई कर सकती है।
जल जीवन मिशन योजना की गई शुरू
पानी अनमोल है। इसको संरक्षण से ही आने वाले समय में पानी मिल सकता है।
पानी को बचाने के लिए अभियान चलाने के साथ ही सबको पेयजल मिल सके इसके लिए भी सरकारी स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को पीने के पानी के लिए समस्या नहीं हो, इसके लिए अब जल जीवन मिशन योजना शुरू की गई है।
पंचायतों को पेयजल स्रोतों की जिम्मेदारी
हर घर को जल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू हुई इस योजना में ग्राम पंचायतों को पेयजल स्रोतों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन के अधिशासी निदेशक सुरेंद्र राम ने जल निगम समेत अन्य आठ जिम्मेदार विभागों को पत्र देकर कर निर्देश दिया है कि ग्रामीण क्षेत्र के पेयजल स्रोतों के रख रखाव की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों को सौंप दी जाए। उन्होंने अपने पत्र में यह भी कहा कि एक जनवरी से सभी ग्राम पंचायत यूजर्स चार्ज लगा सकती है।