दरभंगा। सभी बैंकों के कर्मियों की राष्ट्रव्यापी दो दिवसीय हड़ताल के पहले दिन सोमवार को जिले में स्थित विभिन्न बैंकों की कुल 125 शाखाओं में कामकाज ठप रहा। पहले दिन जिले करीब 200 करोड़ का कारोबार प्रभावित रहा। यह लेनदेन नहीं होने से विभिन्न बैंकों की शाखाओं को करीब दस करोड़ का घाटा हुआ। बैंकों के निजीकरण के विरोध में पहले दिन बंदी सफल रही। इस बंद से बैंक ग्राहक इधर-उधर भटकते नजर आए।
कर्मियों ने अपनी मांगों के समर्थन में जिले की विभिन्न शाखाओं के समक्ष धरना व प्रदर्शन किया। इसके अतिरिक्त शहर के दरभंगा टावर भी प्रदर्शन किया गया। उधर, सभी एटीएम में पैसों की कमी हो गई। इस कारण ग्राहकों को तीन से पांच किलोमीटर की लंबी दौड़ लगानी पड़ी। बावजूद इसके ग्राहकों को एटीएम से राशि नहीं मिली। हड़ताल के दूसरे दिन बुधवार को जिले के सभी एटीएम ड्राई हो जाएंगे।
निजीकरण के खिलाफ जमकर नारेबाजी :
आंदोलन के पहले विभिन्न बैंकों की शाखाओं के कर्मी दरभंगा टावर और लहेरिया सराय टावर चौक पर एकत्रित हुए। भारत सरकार के निजीकरण तथा कॉमर्शियल बैंककर्मी के 11 वां द्विपक्षीय वेतन समझौता को लागू नहीं करने के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। शहर के विभिन्न मार्गों से प्रदर्शन करते हुए रोषपूर्ण प्रदर्शन किया। बैंक कर्मियों की विशाल रैली दरभंगा टावर चौक से निकली। मिर्जापुर होते हुए आयकर चौक पहुंची। आयकर चौक पर आयोजित आम सभा में को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि समाज कल्याण की जितनी भी योजनाएं सरकार की है , उसका अक्षरश: पालन सरकारी बैंक करते हैं। जबकि इस कार्य से निजी बैंकों का कोई सरोकार नहीं रहता है। आमजन अपना खाता सरकारी बैंकों में अधिकार से खुलवाते हैं। जबकि गरीब लोगों का निजी बैंक में प्रवेश वर्जित है । सरकार की जन धन समेत अन्य योजना के तहत खाता सरकारी बैंक में खोला जाता है। वरिष्ठ नेता अजीत कुमार सिंह और आनंद मोहन ठाकुर कहा कि सरकार बैंकों को बेचने पर आमादा है। सरकारी का यह निर्णय हिटलरशाही है। अन्य वक्ताओं में सरोज कुमार सिंह आदि शामिल रहे।
कॉरपोरेट घरानों के दबाव में सरकार कर रही बैंकों का निजीकरण
दूसरी ओर बैंक के एक अन्य संघ की ओर से आइसीआइसीआइ बैंक के सामने आनंद मोहन ठाकुर की अध्यक्षता में आमसभा हुई । सभा को उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक ऑफिसर फेडरेशन महासचिव प्रदीप कुमार मिश्र ने कहा कि बड़े – बड़े कॉरपोरेट घरानों के दबाव में ही मोदी सरकार बैंकों का निजीकरण करने पर आमादा है। जिन्होंने बैंकों से ऋण लेकर अदायगी नहीं की वहीं पूंजीपति ही बैंक को खरीदने की ओर अग्रसर है। इधर, मध्यम वर्गीय जनता जिनका बैंकों में पैसा जमा है उसे कॉरपोरेट की दुनिया हड़पना चाहती है । सरकारी बैंक का लाभ देश के विकास में लगता है जबकि निजी बैंक का लाभ सीधे मालिक को होता है। सभा में अजीत कुमार सिंह, कैशर आलम, सुरेन्द्र नारायण मिश्र, सरोज कुमार सिंह, अश्विनी कुमार झा, प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, रविकांत , सुरेन्द्र नारायण झा , एम के शर्मा, कृष्णानंद साफी , धनंजय चौधरी आदि उपस्थित थे।