19 सितंबर 2022 | ‘भले ही तब वो मेरे दोस्त नहीं थे, लेकिन जब मैं और मेरा परिवार बुरे दौर से गुज़र रहे थे, तब उन्होंने हमसे फ़ोन करके पूछा था कि हम कैसे हैं और क्या मदद की ज़रूरत है। उनकी इस पहल ने मुझे भावुक कर दिया। उन्होंने मुझे बड़ा साइनिंग अमाउंट दिया और बाद में वापस लेने से मना कर दिया। तो क्या मैं उनके साथ फ़िल्म कर रही हूं, इस सवाल का जवाब अभी यही है कि हमारी फ़िल्म बनेगी।’
फ़राह ख़ान ने एक साक्षात्कार में यह बात कही जब एक पत्रकार ने इन अफ़वाहों के बारे में सवाल पूछा कि वे रोहित शेट्टी के साथ फ़िल्म कर रही हैं। फ़राह 2014 में आई उनकी फ़िल्म ‘हैप्पी न्यू ईयर’ के बाद से अक्सर रियलिटी शोज में दिखती हैं और विज्ञापन फ़िल्में बनाती हैं। वहीं 1974 में जन्मे रोहित फ़िल्म इंडस्ट्री का चर्चित चेहरा हैं, लेकिन उनका यह मानवीय पहलू तभी सामने आता है, जब कोई इस बारे में बताता है।
ऐसे कार्यों से मुझे वे लोग याद आते हैं जिन्होंने न सिर्फ़ दोस्तों, परिचितों के लिए, बल्कि अनजानों के लिए भी ऐसा कुछ किया। ऐसे ही एक व्यक्ति हैं पुलिस सार्जेंट प्रकाश घोष। कोलकाता में बालीगंज के पास, गरियाघाट रोड पर ड्यूटी करते समय, फ़रवरी 2021 में उनकी बात फुटपाथ पर रहने वाले एक मां-बेटे से हुई।
महिला ने पति को खो दिया था और भोजनालय में काम करती थी। उसने बताया कि उसका बच्चा स्कूल छोड़ना चाहता है क्योंकि वह उसकी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाती। तब प्रकाश ने इसका जिम्मा उठाया। सुबह-सुबह, दोपहर व सार्वजनिक छुट्टियों के दौरान, जब ट्रैफ़िक कम होता है, उन्होंने महिला के बेटे आकाश राउत को पढ़ाना शुरू किया।
चूंकि पिछले दो साल से कोविड के कारण कोई क्लास नहीं लगी थी इसलिए आकाश लगभग सब भूल गया था। इसलिए प्रकाश ने शुरुआत से नंबर और अल्फाबेट पढ़ाना शुरू किया। वे आकाश को होमवर्क देते और अगले दिन जांचते थे। उन्होंने मोटरसाइकिल को पढ़ाई की डेस्क बनाया। आखिरकार आकाश ने स्कूल नहीं छोड़ा और इतना अच्छा प्रदर्शन किया कि पिछले महीने उसे कोलकाता में एक बड़े मीडिया हाउस ने स्कॉलरशिप दी है।
इसी तरह 110 लड़कियों की मदद करने वाली हैं सतना (मप्र) की सोनिया जॉली। नई दिल्ली में जन्मीं सोनिया की शादी बिज़नेस फ़ैमिली में 28 साल पहले हुई थी। पहले उन्होंने कई लोगों की दस हजार रु. की छोटी-सी पूंजी से खुद का बिज़नेस शुरू करने में मदद की। जैसे किराने की दुकान या कोई और बिज़नेस जिसमें वे अच्छे हों। धीरे-धीरे उन्हें अहसास हुआ कि झोपड़-पट्टी में रहने वाले कई लोगों को शिक्षा की ज़रूरत है और उन्होंने सतना के आर्थिक रूप से पिछड़े इलाकों के बच्चों की मदद करना शुरू की।
आज उनके पास पहली से स्नातक तक की 110 बच्चियां हैं। ये सुबह 7 बजे से सोनिया के घर पहुंचती हैं और नाश्ता करके स्कूल-कॉलेज जाती हैं। आज सोनिया के ‘उपकार’ नाम से मशहूर संस्थान, ‘उपकार हम हैं सोसायटी’ से 12 शिक्षक जुड़े हैं। वे शिक्षा व्यवस्था की कमी को पूरा करते हैं और बच्चियों की होमवर्क में मदद करते हैं।
अच्छी बात यह है कि कई कॉलेज-स्कूल इन बच्चियों को मुफ्त दाखिला देते हैं, अमीर लोग कपड़े दान करते हैं और कई इस नेक काम के लिए पैसे देते हैं। श्राद्ध के दौरान और बाद में नवरात्रि में कई लोगों ने इन 110 ‘कन्याओं’ को भोज कराने का संकल्प लिया है।
फंडा यह है कि जब आप अकेले या मिलजुलकर किसी की ओर मदद का हाथ बढ़ाते हैं, तो न सिर्फ़ एक ‘स्टार’ चमकने को तैयार होता है, बल्कि आपका दिल भी आनंद से जगमगा उठता है, जब आप कह पाते हैं, ‘अरे, मैं तो इस स्टार को तब से जानता हूं, जब ये….’