31 जुलाई 2021 | कहते हैं, मन में कुछ करने की इच्छा हो तो कोई भी काम आसान हो जाता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया मुजफ्फरपुर के एक युवा सुमित कुमार ने। जिस जगह जाने से लोग डरते हैं, वहां पर सुमित अपने तीन दोस्तों के साथ मिलकर शिक्षा की अलख गरीब बच्चों में जगा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं शहर के सिकन्दरपुर स्थित मुक्तिधाम (श्मशान घाट) की। इस इलाके के गरीब परिवार के बच्चे लाश पर से बताशा और फल चुनते थे। लेकिन, आज वे दो दूनी चार पढ़ रहे हैं। यह सब मुमकिन हुआ है जिज्ञासा समाज कल्याण के संस्थापक सुमित की बदौलत।
एक शव जलाने गए तभी बच्चों को देख मिली थी प्रेरणा
सुमित कहते हैं, 2017 में एक परिचित की मौत हो गई थी। शव का दाह संस्कार करने मुक्तिधाम गए थे। उसी समय देखा कि किस तरह बच्चे लाश पर से बताशा और फल चुन रहे हैं। देखकर उनका दिल पसीज गया। पढ़ने-लिखने और खेलने की उम्र में ये पेट के लिए मारामारी कर रहे थे। यहीं से उनके मन में जिज्ञासा जगी कि क्यों न इन्हें साक्षर बनाया जाए। लेकिन, इन गरीब बच्चों के मां-बाप के पास इतना पैसा कहां था कि बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल भेजते। वे खुद भी साक्षर नहीं थे तो शिक्षा का महत्व क्या समझते।
मन्दिर के पुजारी का मिला सहयोग
मुक्तिधाम में एक महाकाल का मंदिर है। सुमित ने यहां के पुजारी सोखी लाल मंडल से बातचीत की और अपनी इच्छा बताई। वे काफी खुश हुए और आसपास के लोगों को बुलाया। फिर उन्हें सुमित की सोच से अवगत कराया। लोग भी इसके ये तैयार हो गए। बस फिर क्या था एक-एक कर 46 बच्चे जमा हो गए और इन्हें मुफ्त शिक्षा मिलने लगी।
आज 81 हो गई बच्चों की संख्या
इन्हें पढ़ाने के लिए सुमित ने अपने दोस्तों अभिराज कुमार और सुमन सौरभ को भी तैयार कर लिया। बच्चों की संख्या बढ़कर आज 81 हो गई है। सुमित कहते हैं कोरोना काल में पढ़ाई तो बंद है। लेकिन, वे अक्सर बच्चों के घर जाकर उनसे बातचीत करते रहते हैं। कुछ टास्क भी दे देते हैं। फिर उसे देखने भी जाते हैं।
पश्चिम चंपारण में चला रहे तीन पाठशाला
सुमित बताते हैं मुजफ्फरपुर में लोगों का प्यार और सहयोग देखकर अच्छा लगा। फिर, पश्चिम चंपारण में भी तीन पाठशाला खोल दी। वहां भी गरीब बस्ती में गरीबों के बीच शिक्षा की अलख जगा रहे हैं।
सांसद मनाते हैं अपनी शादी की सालगिरह
मुजफ्फरपुर के भाजपा सांसद ने पाठशाला खुलवाने में हर संभव मदद की थी। वे स्वयं हर साल अपनी शादी की सालगिरह यहीं पर मनाते हैं। गरीब बच्चों के बीच कपड़े और मिठाईयां भी बांटते हैं।
राष्ट्रगान गाकर करते हैं शुरुआत
इस पाठशाला में बच्चों को पठन-पाठन के साथ देशभक्ति की शिक्षा भी दी जाती है। पाठशाला की शुरुआत राष्ट्रगान गाने से होती है। बच्चों में इससे देशभक्ति का भाव भी जगता है। सुमित कहते हैं, बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार की सीख भी दी जाती है।
Source;-“दैनिक भास्कर”