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दक्षिणी गोलार्द्ध में क्यों आते हैं ज्यादा तूफान, वैज्ञानिकों ने सुलझाई गुत्थी

04  जनवरी 2023 | पृथ्वी की भौगोलिक संरचना बहुत ही असामान्य है. उसके दोनों ही गोलार्द्धों में भूभाग और महासागरों के बीच का बिखराव काफी अलग है. लेकिन केवल इस वजह से दोनों गोलार्द्धों के मौसम और जलवायु में अंतर इतना ज्यादा होगा, जैसा कि पाया जाता है, काफी नहीं है. पाया जाता है कि दक्षिणी गोलार्द्ध (Southern Hemisphere) में उत्तर के मुकाबले 24 फीसद ज्यादा तूफान (Storms) आते हैं. नए अध्ययन में वैश्विक स्तर पर तूफानों का अध्ययन कर पता लगाया है कि भूमध्य रेखा के ऊपर और नीचे के तूफानों में इतनी विविधता Variations in Storms) आखिर क्यों है.

भूआकृति और धाराओं का अध्ययन
शिकागो और वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की टीम ने परीष्कृत जलवायु प्रतिमानों की शृंखला चलाई जिसके बाद वे अपने नतीजों परर पहुंच सके. इसके लिए उन्होंने बहुत सारे आ चुके तूफानों पर भूआकृति और महासागरों की धाराओं के उन प्रभावों का अध्ययन किया. शिकागो यूनिवर्सिटी की जलवायु वैज्ञानिक टिफनी शॉ ने कहा, “हम पृथ्वी को किसी जार में नहीं रख सकते थे. इसलिए हमने अलग तरीका अपनाया.”

जलवायु प्रतिमानों का उपयोग
शोधकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने भौतिकी के नियमों के आधार पर बने जलवायु प्रतिमानों का उपयोग कर अपने अवधारणा पर कई प्रयोग किए. जिसमें उन्होंने एक बार में प्रतिमान में एक कारक में बदलाव कर उसके प्रभावों का अध्ययन किया. जब उन्होंने दोनों ही गोलार्द्धों की भूभागों को सपाट कियो तो उन्होंने पाया कि तूफानों के आधे अंतर इसी वजह से खत्म हो गए.

महासागरों की धाराएं
इसके बाद उन्होंने पृथ्वी महासागरीय धाराओं के विशाल क्न्वोयर बेल्ट (संवहक पट्टी) को रोककर देखा  जो गर्म पानी के ठंडे होने से आर्कटिक में नीचे आकर गहराई में बहाव पैदा कर दक्षिणी की ओर बहती हैं और फिर अंटार्कटिक में फिर ऊपर उठती हैं. जब इसके साथ उन्होंने सपाट स्थिति को जोड़ा तब उन्होंने दोनों गोलार्द्धों में तूफानों में समानता मिल सकी.

50 सालों में अंतर
सैटेलाइट अवलोकन बताते हैं कि जहां 1980 से उत्तर में तूफानों की मात्रा में बदलाव नहीं आया, वहीं दक्षिण गोलार्द्ध में तूफानों की आवृत्ति में इजाफा देखने को मिला है. इसकी वजह में उन्हें लगता है कि वायुमंडलीय और महासागरीय तापमानों में हो रहे बदलावों के कारण धाराओं में परिवर्तनों से ऐसा हुआ होगा. ऐसा पूरी दुनिया में हो रहा है, लेकिन उत्तर में इसे समुद्री बर्फ के खोजने औरसूर्य के प्रकाश का बढ़ते अवशोषण ने संतुलित करने का काम किया है.

उत्तर में क्यों है ऐसा
जहां दक्षिणी गोलार्द्ध में ज्यादा तूफान आने की संभावना दिखती है वहां उत्तरी  गोलार्द्ध में कटिबंधीय और ध्रवीय जलवायु परिवर्तन के बीच की जद्दोजहद से एक तरह का संतुलन पैदा हो रहा है. केवल द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से ही वैज्ञानिकों ने दुनिया भर के जलवायु और मौसम पर नजर रखना शुरू किया है, जब कि जहाजों से यात्रा करने वाले नाविकों को दोनो ही गोलार्द्धों के बीच के हालात का अंतर पता था.

ज्यादा जानकारी ज्यादा बेहतर
1980 के दशको में सैटेलाइट की तस्वीरें मिलने लगीं जिससे शोधकर्ताओं को और भी ज्यादा जानकारी मिलने लगी और वे मौसम पर आधारित नक्शा बना कर मौसमी बदालवों पर नजर रखने लगे. इससे जलवायु प्रतिमानों को भी ज्यादा और बेहतर जानकारी मिलने लगी और वैज्ञानिक समझने लगे कि उत्तर और दक्षिण की जलवायु स्वरूप में किस तरह के बदलाव हो रहे हैं. शॉ का कहना है कि इस तरह से हम आने वाले में में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में बेहतर तरह से तैयार हो सकते हैं.

सोर्स :-“न्यूज़ 18 हिंदी|”   

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