• May 2, 2024 5:40 pm

अब कैबिनेट की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा, शिक्षक संघ ने ट्रांसफर के नियम में बदलाव की मांग की

22  सितम्बर 2022 |  बिहार में सातवें चरण की शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू करने की मांग हो रही है। इसको लेकर अभ्यर्थी सड़कों पर उतर चुके हैं। अब बिहार के स्कूलों में कक्षा एक से 12 तक लगभग पौने दो लाख शिक्षकों की बहाली को लेकर शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2022 को वित्त विभाग ने अपनी अनुमति दे दी है। इसे अब कैबिनेट से स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। उससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसकी समीक्षा करेंगे। गुरुवार को बैठक होनी है। सरकार, इस नई बहाली को लेकर बीटेट आयोजित किया जाय या नहीं इस पर भी राय साफ करेगी।

शिक्षक नियोजन की वर्तमान प्रक्रिया नाक में दम करने वाली!

बता दें कि शिक्षक नियोजन की वर्तमान प्रक्रिया इतनी पेचीदापूर्ण है कि अभ्यर्थियों ने इसके लिए घूम-घूम कर राज्य भर में जहां-जहां रिक्तियां दिखीं अपने सामर्थ्य के अनुसार आवेदन किया और वहां जाकर काउंसिलिंग करायी। नतीजा यह है कि ज्यादातर अभ्यर्थियों को घर से काफी दूर जाकर नियुक्ति मिली। चूंकि नियोजित शिक्षकों की सैलरी 20 हजार के लगभग है इसलिए इतने कम वेतन पर किराए का मकान लेकर, बच्चों के साथ रहना और नौकरी करना मुश्किल भरा काम है। नियमानुसार तीन साल के पहले ट्रांसफर भी नहीं हो सकता है। ट्रांसफर का हाल तो यह है कि पिछले 10-12 साल से नियोजित शिक्षक ट्रांसफर की बाट जोह रहे हैं।

दिसंबर अंत या नए साल में ही सातवें चरण की प्रक्रिया

बता दें कि राज्य में छठे चरण की शिक्षक नियोजन प्रक्रिया अभी चल ही रही है। जब तक यह खत्म नहीं हो जाती सातवें चरण की प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकती। उम्मीद की जा रही है कि नवंबर माह तक यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इसके बाद नई नियमावली के साथ सरकार सातवें चरण की शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करेगी। कैबिनेट से इसी नई नियमावली को स्वीकृत कराया जाना है। दिसंबर अंत या फिर नए साल में ही नई नियुक्ति के लिए वेकेंसी आने की संभावना जतायी जा रही है। सातवें चरण की नियुक्ति जिस नई नियमावली के तहत होगी उसमें सेंट्रलाइज तरीके से आवेदन लिए जाएंगे। ये आवेदन ऑनलाइन लिए जाएंगे। अभ्यर्थियों से ऑप्शन मांगा जाएगा कि वे किस नियोजन इकाई में शिक्षक बनने के लिए इच्छुक हैं। नई नियमावली में बीटेट, सीटेट और एसटीईटी के रिजल्ट पर 60 प्रतिशत और शैक्षणिक व प्रशिक्षण योग्यता यानी मैट्रिक से पीजी , डीएलएड व बीएड तक के लिए 40 प्रतिशत वेटेज का प्रावधान रखा गया है।

जनप्रतिनिधियों को चयन प्रक्रिया से अलग रखा जाएगा

पूर्व के शिक्षक चयन प्रक्रिया में जनप्रतिनिधियों जैसे कि मुखिया, प्रमुख, जिला परिषद अध्यक्ष और मेयर आदि पर कई स्थानों पर गंभीर आरोप लग चुके हैं। इसलिए नई नियमावली के तहत इन सबों को चयन प्रक्रिया से अलग रखा जाएगा। जानकारी है कि प्रारंभिक स्कूलों के लिए लगभग एक लाख रिक्तियां हैं। हाईस्कूलों में 70-80 हजार पद खाली हैं। छठे चरण में 25 हजार से ज्यादा पद रिक्त रह जाएंगे। इसे भी सातवें चरण में जोड़ा जाएगा।

यह प्रशासनिक सेवा नहीं जो ट्रांसफर के लिए तीन साल की बाध्यता कर दी गई, सुधार हो- अमित विक्रम

टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने मांग की है कि नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा सरकार को देना चाहिए। ये हमारी पुरानी मांग है। उन्होंने कहा कि जो ट्रांसफर की बात 2020 की नियमावली में कही गई थी उसमें पुरुष शिक्षकों के लिए भी ऐच्छिक ट्रांसफर का प्रावधान किया जाए। यह प्रशासनिक सेवा नहीं है जो नियोजित शिक्षकों के लिए तीन साल की बाध्यता ट्रांसफर के लिए कर दी गई है। जब जगह खाली है तो ट्रांसफर किया जाना चाहिए। काफी कम वेतन में शिक्षकों खास तौर से महिलाओं और दिव्यांगों को काफी परेशानी हो रही है।

हाईकोर्ट से केस जीता हुआ है फिर भी सरकार राज्यकर्मी का दर्जा नहीं दो रही- अश्विनी पांडेय

टीईटी-एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ के प्रदेश प्रवक्ता अश्विनी पांडेय ने कहा कि नवयुक्ति शिक्षकों को दो साल तक ग्रेड पे से वंचित रखना न्याय संगत नहीं है। नियुक्ति के समय से ही पूर्ण वेतनमान दिया जाना चाहिए। साथ ही साथ 2020 में बिहार सरकार ने अधिसूचना जारी करके वादा किया था कि बिहार के दिव्यांगों और महिला शिक्षिकाओं को ऐच्छिक स्थानंतरण की सुविधा देगी जबकि शिक्षक संगठन पुुरुष शिक्षकों को भी ऐच्छिक स्थानांतरण देने की मांग कर रहे थे। सरकार अपने वायदे से भी मुकर रही है। सरकार नियोजित शिक्षकों से जुड़ी सभी महत्वाकांक्षी मांगों के लिए ऑनलाइन पोर्टल का खेल खेलती है। चाहे वेतन निर्धारण की मांग हो या ऐच्छिक ट्रांसफर की। यह पोर्टल बीरबल की खिचड़ी बनकर रह गया है। राज्यकर्मी के दर्जे पर संगठन ने हाईकोर्ट से केस भी जीता हुआ है फिर भी बिहार सरकार ने शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा नहीं दिया है।

सोर्स :- “दैनिक भास्कर”                         

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