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सर्दियों की दस्तक के साथ ही जिले के विभिन्न जलाशयों में जहां स्थानीय व प्रवासी पक्षियों का कलरव प्रारंभ हो चुका है वहीं पक्षी विशेषज्ञों द्वारा कहीं-कहीं दुर्लभ पक्षियों को भी देखा जा रहा है.

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Dec 8, 2020
सर्दियों की दस्तक के साथ ही जिले के विभिन्न जलाशयों में जहां स्थानीय व प्रवासी पक्षियों का कलरव प्रारंभ हो चुका है वहीं पक्षी विशेषज्ञों द्वारा कहीं-कहीं दुर्लभ पक्षियों को भी देखा जा रहा है.

वरिष्ठ पक्षी विशेषज्ञ प्रीति मुर्डिया ने बर्ड विलेज मेनार स्थित धण्ड तालाब में लम्बे अरसे के बाद दुर्लभ प्रजाति के प्रवासी पक्षी व्हाईट टेल्ड लेपविंग को देखा और क्लिक किया है. छिछले पानी में पाई जाने वाली व्हाइट टेल्ड लेपविंग ने इन दिनों तालाब में अपनी अटखेलियों से हर किसी को अभिभूत कर रही है. मुर्डिया के अनुसार यह पक्षी विशेषतः रूस, ईरान, ईराक से सर्दियों में भारत में प्रवास के लिए आता है.
इधर, पक्षी विशेषज्ञ प्रदीप सुखवाल ने बताया कि मेनार के साथ ही रूंडेडा तालाब में भी इस पक्षी की साईटिंग हो रही है जो यहां की समृद्ध जैवविविधता का परिचायक है. उन्होंने इस पक्षी के फिर से देखे जाने पर खुशी जताई है.

ऐसी होती है व्हाइट टेल्ड लेपविंग: टिटहरी के समान दिखाई देने वाले इस पक्षी के हल्के भूरे रंग, पैर लम्बे व पील रंग के होते हैं तथा उड़ते समय पूंछ सफेद दिखाई देती है. यह छिछले पानी में केंचुए, जलीय जीव या कीट खाती है. नर-मादा लगभग एक समान दिखाई देते है. इसका प्रजनन काल अप्रेल से मई माह में होता है. यह एक बार में तीन से चार अण्डे देती है. आईयूसीएन स्टेटस में यह लीस्ट कंसर्न बर्ड है.

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