कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बढ़ते हुए प्रकोप के बीच कई प्रवासी मजदूर जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं। 2020 में लॉकडाउन के चलते कई प्रवासी मजदूर रास्ते में ही फंस गए थे। कुछ मजदूर बेरोजगार होकर यहीं रह गए थे। प्रवासी मजदूरों को इस बार भी लॉकडाउन का डर सताने लगा है। कुछ मजदूर अपने घरों की ओर निकल चुके हैं जबकि कुछ तैयारी में हैं। मजदूरों के घर लौटने से खेतों में तैयार खड़ी गेहूं की कटाई प्रभावित हो रही है। जुलाई में शुरू होने वाले सेब सीजन पर भी संकट गहराने की आशंका है।
बीते वर्ष मार्च में लॉकडाउन के बाद दिहाड़ीदारों के लिए रोजी रोटी का जुगाड़ भी मुश्किल हो गया था। समाज सेवी संस्थाओं व सरकार द्वारा उपलब्ध करवाए जाने वाले अनाज पर प्रवासी मजदूरों व गरीब वर्ग का गुजारा चल रहा था। प्रवासी मजदूर राम, जय, सुदेश कुमार, राम चंद्र, सुदर्शन, देसराज, अश्वनी कुमार, दशरथ, प्रेमपाल आदि के अनुसार बीते वर्ष लॉकडाउन में उन्हें बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। इसलिए समय रहते अपने अपने घरों को जाने का बंदोबस्त कर रहे हैं।