22 अगस्त 2022 | इंटेलिजेंस ऑफिसर सुखसागर रावत (39) मुंबई के पास भिवंडी में पोस्टेड हैं और बाकी अधिकारियों के साथ आवासीय दफ्तर से काम कर रहे थे। अचानक पांच लोग आए और गणेशोत्सव के लिए 501 रु. का चंदा मांगा, रावत ने यह कहकर पैसे देने से इंकार कर दिया कि ये एक ऑफिस है और वह आईबी अधिकारी हैं। पर वो लोग भड़क गए और उनके साथ झूमाझटकी की।
रावत बेहोश हो गए और उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, फिलहाल उनका इलाज चल रहा है। किसी भी मुंबईकर को ये घटनाक्रम बताएंगे तो वे कहेंगे कि भिवंडी के लिए रोज की बात है। इसकी छवि एेसी है कि चरमराती इमारतें, हर कोई अपने घरों को गोदाम बनाए है, निराशा, बेरोजगारी, महिलाओं की सुरक्षा की कमी, असंगठित कपड़े बनाने का कामकाज और परिवहन का सिस्टम भी बेतरतीब है। कुल-मिलाकर ज्यादातर कर्मी ये जगह छोड़ना चाहते हैं क्योंकि बैंक भी आसानी से क्रेडिट सुविधा नहीं देता।
इस परिदृश्य के बीच कपड़ा उद्योग के लिए प्रसिद्ध इस कस्बे की एक नई छवि उभर रही है, वो भी यहां की एक युवती के जरिए। सोमैया अंसारी ने उर्दू माध्यम से पढ़ाई की और 2008 में एसएससी में टॉप किया, 2011 में नीट पास की और सरकारी कॉलेज में एमबीबीएस सीट पक्की की। अंसारी शिफा शमीम और मोमिन असीरा अख्तर ने भी यही रास्ता अपनाया। इन तीनों ने कई और युवाओं को प्रेरित किया।
इन लड़कियों ने मुलुंड उपनगर में कोचिंग जाना शुरू किया और शेख परवेज नाम का ड्राइवर ही उन्हें ले जाता था। उन लड़कियों की बातचीत सुनकर परवेज की भी रुचि जागी, अपनी बच्ची को वही कोर्स कराने के लिए उनसे मदद मांगी, आज उसकी बेटी भी एमबीबीएस है। फीस की व्यवस्था सहित मेडिकल प्रवेश परीक्षा देने वालों की मदद के लिए 2018 में भिवंडी मेडिकल एसोसिएशन बना।
आज वहां कई दर्जन से ज्यादा यंग डॉक्टर्स हैं। ये असल में एक खामोश क्रांति है। एक और उदाहरण लें। देश में आप किसी से भी पूछें कि मानव तस्करी में कौन-सा राज्य अव्वल है, तो जवाब मिलेगा पश्चिम बंगाल। एनसीआरबी का डाटा भी कहता है कि यह 44% है। खाने व संसाधनों की कमी और रोजगार के कम अवसर के कारण यहां यंग लड़कियां तस्करों के लिए आसान लक्ष्य हैं, जिनको नौकरी-शादी का झांसा देकर फंसाया जाता है।
तस्कर गरीब परिवारों को निशाना बनाते हैं। क्योंकि यहां ज्यादातर लोग मछलीपालन-किसानी पर निर्भर हैं और तूफान-बाढ़ इसमें खलल डालते रहते हैं। यहां दक्षिण 24 परगना जगह है, यहां तस्करी के 37% मामले होते हैं। इसी पृष्ठभूमि में वर्ल्ड विजन इंडिया ने तस्करों को पकड़ने व किशोरियों को अपनी और साथियों का सुरक्षा चक्र बनाने के लिए ‘गर्ल पावर ग्रुप्स’ बनाया। आज ये लोग गांव में आने वाले अजनबियों-गरीबों को नौकरी की पेशकश करने वालों पर नजर रखते हैं।
वे कुछ निराश दिख रही या व्यवहारिक बदलाव दिखने वाली लड़कियों पर ध्यान देते हैं और जांच करते हैं कि उनके घर में क्या हो रहा है। उनके काम के परिणाम भले तुरंत न मिलें पर मेरा यकीन करें इससे उनके साथियों में जागरूकता फैलेगी और वे खुद अपने हितों की रक्षा करेंगे, क्योंकि यह उनके साथियों द्वारा बताया जा रहा है। युवाओं को संबंधित शहर को कोसने या सिर्फ इसलिए वहां से जाने की जरूरत नहीं कि अतीत में कुछ कारणों से इसका कुछ नाम पड़ गया। उनमें ताकत है कि वे हर शहर की नई तस्वीर बना सकते हैं।
फंडा यह है कि पुरानी कहावत भले कहती है कि चुनौतियां ही जीवन को रोचक बनाती हैं पर आज के युवा मानते हैं कि उन चुनौतियों से पार पाने से उनकी जिंदगी सार्थक बनेगी।
सोर्स :- “दैनिक भास्कर”