• May 1, 2024 4:53 am

स्वास्थ्य सेवाओ के हाल-प्रदेश का सबसे बड़ा महिला अस्पताल केएनएच डेढ़ माह से बिना एमएस के, अस्पताल की बेहतरी के लिए नहीं हो पा रहे फैसले

23  नवम्बर 2021 | अस्पतालाें में जहां मरीजाें की देखभाल का जिम्मा डाॅक्टराें पर रहता है, उसी तरह अस्पताल में दी जाने वाली सुविधाओं का जिम्मा मेडिकल सुपरिंटेंडेंट पर रहता है। मरीजाें काे दी जाने वाली सुविधाओं का निर्णय लेने और उनकी शिकायताें के निवारण के लिए एमएस ही जिम्मेवार हाेता है। मगर प्रदेश के सबसे बड़े एकमात्र महिला अस्पताल कमला नेहरू में बीते करीब डेढ़ माह से एमएस का पद ही रिक्त चल रहा है। यहां की पूर्व एमएस डाॅ. अंबिका चाैहान के डिप्टी डाॅयरेक्टर बनने के बाद यह पद खाली चल रहा है।

हालांकि सरकार के ध्यान में यह मामला लाया जा चुका है, एक बार यहां पर नियुक्ति के लिए आदेश भी किए गए, मगर यहां पर एमएस ने ज्वॉइन ही नहीं किया। अब दाेबारा यहां पर स्थाई एमएस की नियुक्ति के आदेश नहीं किए गए हैं। यहां पर स्थाई एमएस की नियुक्ति कब हाेगी, इस बारे में अभी तक काेई निर्णय नहीं लिया गया है। ऐसे में बिना एमएस के ना ताे मरीजाें के हिताें के निर्णय लिए जा रहे हैं और ना ही काेई अन्य कार्य हाे पा रहे हैं।

ये आ रही दिक्कतः 

अस्पतालाें में सरकार ने करीब 10 लाख तक रुपए तक के टेंडर करने की पावर एमएस काे ही दी है। ऐसे में यदि मरीजाें की सुविधा के लिए काेई सामान की खरीद की जानी है ताे उसके लिए एमएस अपने स्तर पर टेंडर अलाॅट कर सकते हैं। इसके लिए अस्पताल में दवाएं, इंजेक्शन, बेड और मरीजाें काे दी जाने वाली सभी तरह की सुविधाएं भी एमएस ही देखते हैं। अस्पताल से संबंधित सरकार के समक्ष काेई भी बैठक में एमएस ही भाग लेते हैं और अस्पताल की समस्याओं काे सरकार के पास उठाते हैं। जबकि अब बिना एमएस के यह सभी कार्य रूके हैं। एमएस की स्थाई नियुक्ति के बाद ही यह कार्य किए जाएंगे।

प्रदेशभर से आती हैं महिलाएंः 

केएनएच अस्पताल महिलाओं के लिए प्रदेश का सबसे बेहतर अस्पताल है। यहां पर राेजाना 1000 से ज्यादा महिलाएं जांच के लिए आती हैं। जबकि राेजाना यहां पर 25 से 30 महिलाओं की डिलीवरी भी करवाई जाती है। केएनएच में महिलाओं का प्रसव का इलाज फ्री किया जाता है। इसके लिए कई तरह के सामान की जरूरत रहती है। जाे समय समय पर प्रशासन अपने स्तर पर खरीद करता रहता है। हर माह यहां पर दवाएं और अन्य सामान की खरीद की जाती है। ऐसे में एमएस का पद खाली हाेने से इस तरह के प्राेसेस करना मुश्किल रहता है क्याेंकि एमएस की मंजूरी के बाद ही अस्पताल में मरीजाें के लिए सामान की खरीद फराेख्त की जाती है।

केएनएच में एमएस के पद पर पहले जिस डाॅक्टर की नियुक्ति की गई थी, उन्हाेंने ज्वॉइन नहीं किया। उसके बाद आचार संहिता लग गई थी। ऐसे में आचार संहिता में नियुक्ति नहीं हाे पाई। अब जल्द ही यहां पर नए एमएस की नियुक्ति कर दी जाएगी। इसके लिए विभाग गंभीर है। महिलाओं काे किसी तरह की दिक्कतें नहीं आने दी जाएगी।
-डाॅ. एसएस साेढी, प्रधानाचार्य आईजीएमसी शिमला

Source :-“दैनिक भास्कर”

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