रायपुर। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी और भोलेनाथ का विवाह उनसे हुआ था। इसी मान्यता के चलते भारतीय संस्कृति में सावन और भादो महीने की तीज पर सुहागिनें अपने पति की सुख-समृद्धि के लिए व्रत-उपवास रखती हैं।
कुंवारियां भी अच्छे पति की कामना को लेकर भगवान शंकर एवं पार्वती की पूजा करतीं हैं। बागों में झूलों का आनंद लेतीं हैं। कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन लगा होने से इर बार हरियाली तीज पर गुरुवार 23 जुलाई को शहर के बागों में वीरानी छाई रहेगी, कुंवारियां और सुहागिनें झूला झूलने का आनंद नहीं उठा पाएंगी। मंदिर बंद होने से घर पर ही पूजा करेंगी। हरियाली तीज को पूर्वी उत्तरप्रदेश में कजली तीज कहा जाता है।
तीज अनेक, मान्यता एक
कोई समाज सावन की तीज को मनाता है और कोई समाज भादो की तीज को। भले ही अलग-अलग तीज मनाई जाती हो, लेकिन सभी समाज में मान्यता माता पार्वती और भगवान शंकर की पूजा करने की ही है। सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तीज पर माहेश्वरी समाज, अग्रवाल समाज, गुजराती समाज की महिलाओं में उत्साह छाया रहता है। भादो महीने के कृष्ण पक्ष की तीज को राजस्थानी परंपरा को मानने वाले विविध समाज की महिलाएं मनाती हैं। इसी तरह छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में भादो शुक्ल पक्ष की तीज मनाई जाती है, जो तीजा के नाम से मशहूर है। इस बार 21 अगस्त को हरितालिका यानी तीजा है।
हरियाली तीज की पूजा विधि
नित्यकर्मों से निवृत होकर मन में पूजा करने का संकल्प लें
चौकी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, भगवान गणेश, माता पार्वती और सहेलियों की प्रतिमा बनाएंथाली में सुहाग सामग्री सजाकर मां पार्वती को अर्पित कर पूजन करें
पूर्व संध्या पर सिंजारा
पर्व मनाने के लिए सुहागिनें मायके आती हैं। हरियाली तीज से एक दिन पहले नवविवाहिता की ससुराल से वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार का सामान, मेहंदी, मिठाई भिजवाई जाती है, जिसे सिंजारा कहते हैं।