• April 26, 2024 12:55 pm

भारत को चिकित्‍सा क्षेत्र में स्‍थापित करेगा PM नरेंद्र मोदी का आयुष वीजा मिशन

दिनांक 22 अप्रैल 2022 l प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से सत्‍ता संभाली है, इसमें कोई दोराय नहीं कि भारत कई मोर्चों पर बहुत मजबूत हुआ है. ऐसे कई क्षेत्रों में आगे बढ़ा है जिनमें वह विश्‍व के कई देशों से काफी पीछे था. चिकित्‍सा का क्षेत्र भी ऐसा ही एक क्षेत्र है. 2020 में आई कोरोना महामारी के दौरान स्‍वदेशी सफल वैक्‍सीनों के निर्माण से लेकर विश्‍व तक वैक्‍सीनें पहुंचाने के बाद अब पीएम मोदी एक और मील का पत्‍थर लगाने जा रहे हैं. कोरोना के बाद से आयुर्वेद को लेकर पूरे विश्‍व की दिलचस्‍पी और भरोसा बढ़ा है और अब इसी को आधार बनाकर भारत ने इस क्षेत्र में अगुवा बनने की दिशा में चलना शुरू कर दिया है. बीमारियों के इलाज के लिए विदेशों की ओर रुख करने के चलन के बीच अब अन्‍य देशों के लोग प्राचीन काल से ग्रंथों में सिमटी रही भारत की परंपरागत चिकित्‍सा पद्धति आयुर्वेद का लाभ लेने के लिए न केवल भारत आएंगे, बल्कि चिकित्‍सा के क्षेत्र में एक स्‍वर्णिम क्रांति के साक्षी भी बन पाएंगे l

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुर्वेद और आयुष सुविधाओं को विश्‍व तक पहुंचाने के लिए डब्‍ल्‍यूएचओ की निगरानी में गुजरात के जामनगर में डब्‍ल्‍यूएचओ ग्‍लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन का उद्धाटन किया है. आयुर्वेद में नए-नए रिसर्च और अध्‍ययनों को बढ़ाने के अलावा यह परंपरागत चिकित्‍सा के माध्‍यम से विश्‍व को इलाज का बेहतरीन अवसर प्रदान करेगा. इतना ही नहीं अब विश्‍व के अन्‍य देशों में रह रहे लोगों को भारत में आयुर्वेद का लाभ देने के लिए एक जो नई और सबसे अलग सुविधा शुरू होने जा रही है वह है आयुष वीजा जो भारत को भविष्‍य में चिकित्‍सा की मजबूत कड़ी साबित करेगीl

पीएम मोदी ने कहा क‍ि जो विदेशी नागरिक भारत में आयुष चिकित्‍सा का लाभ लेना चाहते हैं उनके लिए भारत सरकार एक नई पहल कर रही है. ऐसे लोगों के लिए सरकार आयुष वीजा शुरू करने जा रही है. इस वीजा कैटेगरी के माध्‍यम से आयुष चिकित्‍सा के लिए भारत आने-जाने में सहूलियत मिलेगी. यह काफी अलग तरह का वीजा है. इसकी अवधि कितने दिन की होगी? क्‍या इस वीजा के माध्‍यम से किसी भी देश के लोग यहां आकर चिकित्‍सा लाभ ले सकेंगे ? इसका क्‍या तरीका होगा, यह वीजा कैसे बनवाया जा सकेगा. इस संबंध में अभी और जानकारी आना बाकी है लेकिन इतना तो तय है क‍ि यह वीजा कई मायनों में भारत के लिए खास होगा l

असाध्‍य और गंभीर रोगों के इलाज के लिए अवसर
कई ऐसी बीमारियां हैं जिनकी रोकथाम जरूर ऐलोपैथी में है लेकिन इसका इलाज नहीं है. ऐसे में आयुर्वेद के अलावा आयुष की अन्‍य पद्धतियां जिनमें आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्धा और होम्‍योपैथी शामिल हैं, इनसे इलाज कराने की भी सहूलियत रहेगी. इसके अलावा आयुर्वेद का मंत्र ही है कि जीवनशैली को इतना बेहतर बनाना कि रोग पैदा ही न हो. रोग को पहले ही रोक दिया जाए कि वह इतना बढ़े ही नहीं क‍ि वह असाध्‍य हो जाए. वहीं होम्‍योपैथी रोग के लक्षणों से ही रोगों का इलाज करने की अचूक पद्धति है. आयुष मंत्रालय का भी मानना है कि आने वाले समय में भारत आयुष चिकित्‍सा का बड़ा केंद्र बनकर उभरेगा. ऐसे में आयुष वीजा के माध्‍यम से इस लक्ष्‍य को हासिल करना सहज होगा.

भारत में आयुष के बाजार को लगेंगे पंख
ग्लोबल आयुष निवेश और नवोन्मेष शिखर सम्मेलन 2022 में जैसा कि पीएम मोदी ने कहा कि ‘हम पहले से ही आयुष औषधियों, सप्लीमेंट्स और सौंदर्य प्रसाधनों के उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि देख रहे हैं. 2014 में जहां आयुष क्षेत्र 3 अरब डॉलर से भी कम था, आज वह बढ़कर 18 अरब डॉलर को पार कर गया है. 2022 में यह 23 बिलियन अमेरिकी डॉलर से भी ज्‍यादा पहुंचने की उम्‍मीद है. आयुष उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए पिछले वर्षों में अभूतपूर्व प्रयास किए गए हैं. सरकार देश भर में आयुष उत्पादों के प्रचार, अनुसंधान और उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए आयुष पार्कों का एक नेटवर्क विकसित करने जा रही है. ‘आयुष आहार’ नाम की एक नई श्रेणी की घोषणा की गई है, जो हर्बल पोषक तत्वों वाले सप्लीमेंट्स के उत्पादकों को बहुत सुविधा प्रदान करेगी. वर्तमान युग को यूनिकॉर्न का युग बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 2022 में ही अब तक भारत के 14 स्टार्ट-अप यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो चुके हैं. उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि हमारे आयुष स्टार्ट-अप से बहुत जल्द ही यूनिकॉर्न निकलेंगे l’

भारत में रोजगार के अवसर
भारत में जब आयुर्वेद का विस्‍तार होगा तो निश्चित ही उसके लिए इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर तैयार होगा. चिकित्‍सकों से लेकर औषधियों की पैदावार, उत्‍पादन और निर्माण का काम किया जाएगा. इसके लिए निश्चित ही भारत के लोगों को रोजगार के नए अवसर उपलब्‍ध होंगे. विदेशों से आने वाले मरीजों के लिए सुविधाओं के विस्‍तार के साथ ही उन्‍हें सेवाएं प्रदान करने के लिए वर्कफोर्स की जरूरत होगी, जो भारत में ही तैयार होगी. ऐसे में आयुर्वेद और आयुष पद्धति का विस्‍तार जितना ज्‍यादा होगा, भारत को उतना ही फायदा होगा l

Source :- “न्यूज़ 18”

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