जयपुर: राजस्थान के रेतीले धोरों से निकल रहा काला सोना प्रदेश की आर्थिक और औद्योगिक सेहत को बदलने में कामयाब रहा है. रिफाइनरी की ओर बढ़ते कदमों के साथ रीको नए औद्योगिक क्षेत्र और पेट्रो कैमिकल हब लाने की तैयारी में है.
ऐसे में पश्चिमी राजस्थान के आधा दर्जन जिलों में रोजगार संभावनाओं में इजाफा हुआ है. बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर में क्रूड ऑयल ने नई संभावनाओं को जन्म दिया है. 29 अगस्त को राजस्थान गौरवशाली अतीत के 11 वर्ष पूरे करने जा रहा है.
राजस्थान के सबसे बड़े ज़मीनी तेल क्षेत्र-मंगला से उत्पादन के 11 साल पूरे होंगे. वर्ष 2009 में 29 अगस्त को तत्कालीन प्रधानमंत्री ने बाड़मेर स्थित मंगला प्रोसेसिंग टर्मिनल से तेल उत्पादन की शुरुआत की, तब तक प्रदेश से कच्चे तेल का उत्पादन शून्य बैरल था. आज इस उत्पादन की बदौलत यह केंद्र देश के अग्रणी तेल उत्पादक राज्यों में शामिल है. ब्लॉक ने देश और राज्य के सरकारी खजाने में 18 बिलियन डॉलर का योगदान दिया गया है.
प्रदेश के पेट्रोलियम मंत्री प्रमोद जैन भाया का कहना है कि ओएनजीसी और केयर्न ने पश्चिमी राजस्थान में ऑयल और गैस की खोज से रेगिस्तान के सामाजिक-आर्थिक विकास की सुनहरी तस्वीर बनाई है. 2009 में मंगला में तेल उत्पादन की शुरुआत हुई थी, वहीं आज इस क्षेत्र से लगभग डेढ़ लाख बैरल खनिज तेल और गैस का उत्पादन प्रतिदिन हो रहा है.
फुटकर व्यवसायियों के कारोबार को भी मिलेगी उड़ान
पेट्रोलियम मंत्री ने उम्मीद जताई कि तीन हज़ार वर्ग किलोमीटर से अधिक में फैले ब्लॉक में नई खोजों और दोहन के लिए प्रदेश में नए निवेश और उत्पादन से आय और रोज़गार के और अधिक अवसर सृजित होंगे.
खान एवं पेट्रोलियम विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, डॉ सुबोध अग्रवाल ने बताया कि एक दशक के दौरान तेल और गैस उत्पादन से प्रदेश सरकार को लगभग 35 हज़ार करोड़ रुपये का राजस्व हासिल हुआ और बाड़मेर की औसत प्रति व्यक्ति आय 650 गुणा बढ़ गई है. आने वाले दिनों में नए औद्योगिक क्षेत्रों, रिफाइनरी और पेट्रो कैमिकल हब से इस क्षेत्र की तस्वीर बदलने की पूरी संभावना है.
ZEE