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यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने सार्थक जीवन के 72 वर्ष पूरे कर लिए

17  सितंबर 2022 | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व के अनेक पहलुओं पर बात की जा सकती है। वे देशभक्त कुशल शासक, विजनरी नेता, ईमानदार राजनीतिज्ञ, लोकराज को लोकलाज के साथ चलाने वाले प्रधान सेवक, संघ के स्वयंसेवक, प्रचारक, समाजसेवी, साधक, विश्व भर में आज के भारत का उदात्त और समावेशी चेहरा हैं। इन सबको समेटते हुए मोदी जी की उपलब्धियों को मैं तीन तरह से देखता हूं।

पहला- उन्होंने राजनीति में जो क्रांति की, उस कारण भाजपा को कम से कम बीस वर्ष तक कोई शीर्ष से हिला नहीं सकता। दूसरा-जो उन्होंने विकास-समृद्धि के कार्य किए जिसके लिए शायद अगले अनेक वर्षों तक वे याद किए जाएंगे। लेकिन इन सबसे अधिक महत्वपूर्ण काम जो मोदी जी का है, जिसके लिए सदियां उनका स्मरण रखेंगी, वह है देश की चेतना को झकझोर कर सनातन भारत को फिर से चैतन्य बना देना। उन्होंने देशवासियों के भीतर नए आत्मविश्वास का संचार किया है।

कल्पना कीजिए, क्या कभी आप किसी प्रधानमंत्री से यह उम्मीद करते थे कि वह लाल किले से यह कहेगा कि भारत को स्वच्छ बनाना सबसे बड़ा काम है, या खुले में शौच जाना सबसे बड़ी समस्या है? उन्होंने न केवल हमें यह बताया कि यह गलत है बल्कि समाधान भी प्रस्तुत किया। इसी स्वतंत्रता दिवस पर आपने मोदी जी को एक और मंत्र देते हुए सुना होगा, जब उन्होंने कहा कि महिलाओं के विरुद्ध अपमानजनक भाषा का उपयोग हमारे देश में आम होना भी एक बड़ी बुराई है।

इससे पहले उन्होंने ही कहा था कि लड़कियों से जल्दी घर आने की उम्मीद करने वाला समाज आखिर अपने बेटों से क्यों नहीं पूछता कि वह देर तक बाहर क्यों रहता है? आज मोदी जी की इन्हीं भावनाओं के कारण, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे आह्वान के कारण यह संभव हुआ है कि देश अपने ‘जेंडर रेशियो’ को लगभग आदर्श स्थिति में लाने जैसा चमत्कार हासिल कर पाया है।

ऐसी छोटी-छोटी चीजों से, गंदगी से मुक्ति का, समाजोत्थान का, राष्ट्र प्रथम का मोदी जी का स्वप्न किस तरह साकार हुआ है, इसके बारे में सोचकर हम मोदी जी के व्यक्तित्व का थोड़ा-बहुत मूल्यांकन कर सकते हैं। आप गौर करें, एक तरफ मोदी जी देश को यह चेतावनी देते हैं कि चुनावी लाभ लेने के लिए रेवड़ी बांटना देश को गर्त में ले जाएगा, इसे भी वे एक कुप्रथा की तरह देखते हैं लेकिन जब भी देश को ज़रूरत होती है, वे खजाना खोल देने में रंच मात्र भी देरी नहीं करते।

कोरोना के भयावह संकट में 80 करोड़ भारतीयों तक मुफ्त अनाज पहुंचाना, दो सौ करोड़ कोरोना टीके भारतीयों को लग जाना कितनी बड़ी बात है। एक बड़े विजन के साथ संवेदनशीलता ही मोदी जी को विशिष्ट बनाती है। जब-जब उनका छत्तीसगढ़ प्रवास हुआ, तब-तब यहां भी उन्होंने अपने कृतित्व से इतिहास बनाया। आदिवासी जिला बीजापुर के जांगला में उन्होंने बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर जी के जन्मदिवस पर आयुष्मान योजना की शुरुआत की थी, तब उन्होंने आदिवासी महिला रत्नीबाई जी को अपने हाथों चप्पल पहनाई थी।

अपने प्रधानमंत्री को इस तरह जनता-जनार्दन के पांवों में झुकते देखकर तब सारा देश भावविभोर हो गया था। इसी तरह बात चाहे दंतेवाड़ा के ‘जावांगा’ में दिव्यांग बच्चों के साथ मांदर पर थाप देने की हो या फिर बकरी बेचकर शौचालय बनाने वाली धमतरी की कुंवर बाई को मंच पर बुलाकर उनके पांव छूने के… हर बार झुककर मोदी जी का कद विशाल होता गया। हर बार देश अपने इस नेता को और अधिक सम्मान के साथ चाहने लगा। मोदी जी की वैश्विक दृष्टि का कायल हुए बिना तो आज शायद ही संसार का कोई देश हो।

हाल में मैक्सिको के राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर ने यूएन के सामने अपने एक प्रस्ताव के माध्यम से अपील की कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए वैश्विक शांति के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पोप फ्रांसिस और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनिया गुटेरेस की तीन सदस्यों की एक कमिटी बनानी चाहिए। स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के इस ‘अमृत काल’ में मोदी जी देश को चैतन्य करने के मिशन में आज भी अहर्निश जुटे हैं।

हाल में एक उद्बोधन में जैसा कि मोदी जी ने कहा- ‘अमृत काल का समय सोते हुए सपने देखने का नहीं है, बल्कि जाग्रत संकल्पों को पूरा करने का है। आने वाले 25 वर्ष अत्यंत कठिन परिश्रम, त्याग और ‘तपस्या’ के काल हैं।’ यह वह विजन है जो अगले पचीस वर्ष के लिए मोदी जी ने हमें दिया है।

चरैवेति-चरैवेति को जीवन दर्शन बनाकर मोदी जी ऊर्जा के साथ भारत के वैभव की पुनर्स्थापना में रत हैं।

Source:-“दैनिक भास्कर”

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