• April 30, 2024 7:19 pm

आकाशगंगा में दिखे हजारों रहस्यमयी धागे-दहकती आग जैसी चमक, दिखने में DNA जैसे; इन्हें दुनिया के सबसे बड़े रेडियो टेलिस्कोप ने खोजा

3 फरवरी 2022 | ये ब्रह्मांड बहुत सी अजीबोगरीब चीजों से भरा हुआ है। हाल ही में दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने हमारी मिल्की वे गैलेक्सी (आकाशगंगा) में 1,000 रहस्यमयी चमकते हुए धागे देखे हैं। इन धागों को वैज्ञानिक भाषा में रेडियो फिलामेंट्स कहा जाता है। इन्हें दुनिया के सबसे बड़े रेडियो टेलिस्कोप MeerKAT के जरिए खोजा गया है।

दिमाग की नसों की तरह दिखते हैं धागे
वैज्ञानिकों की थ्योरी है कि ये रेडियो फिलामेंट्स असल में किसी तरह की रेडियो एनर्जी के विस्फोट से बने हैं। इनकी लंबाई 150 लाइट ईयर है (1 लाइट ईयर 9.4 ट्रिलियन किलोमीटर के बराबर होता है)। इन्हें देखने पर ऐसा लगता है मानो ये अंतरिक्ष में दिमाग की नसों की तरह फैले हैं। कुछ धागे जो जोड़े में हैं, उनकी रचना हमारे शरीर में पाए जाने वाले DNA जैसी है। इनमें एनर्जी होने के कारण ये हर समय चमकते रहते हैं।

वैज्ञानिकों के अनुसार रेडियो फिलामेंट्स के आसपास अरबों इलेक्ट्रॉन्स घूमते रहते हैं। इनकी अपनी मैग्नेटिक फील्ड होती है, जिसके कारण ये लाइट की गति से घूमते हैं। रिसर्चर्स ने पहली बार इन फिलामेंट्स को 35 साल पहले देखा था। उनकी मानें तो मिल्की वे में इससे 10 गुना ज्यादा रेडियो फिलामेंट्स मौजूद हो सकते हैं। 

दुनिया के सबसे बड़े रेडियो टेलिस्कोप से मिलीं गैलेक्सी की तस्वीरें
दुनिया का सबसे बड़ा रेडियो टेलिस्कोप MeerKAT दक्षिण अफ्रीका की रेडियो एस्ट्रोनॉमी ऑब्जर्वेटरी में स्थित है। रेडियो फिलामेंट्स की साफ तस्वीर बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने इस टेलिस्कोप पर 200 घंटे बिताए। 64 एंटीना के साथ 8 किलोमीटर में फैला हुआ MeerKAT दुनिया का सबसे सेंसिटिव रेडियो टेलिस्कोप भी है।

वैज्ञानिकों ने 20 अलग-अलग जगहों में रेडियो ऑब्जर्वेशन की मदद से अंतरिक्ष का बहुत बड़ा हिस्सा कवर किया। ये हिस्सा चांद के एरिया से लगभग 30 गुना ज्यादा बड़ा था। इस प्रोसेस के बाद रिसर्चर्स को गैलेक्सी की 100 मेगापिक्सल की स्पष्टता और गहराई वाली तस्वीर मिली।

रिसर्च में शामिल वैज्ञानिक फरहद यूसुफ जादेह कहते हैं कि रेडियो फिलामेंट्स की उत्पत्ति मिल्की वे गैलेक्सी में कब हुई, इसका पता अभी तक नहीं चला है। टेलिस्कोप से मिले डेटा से इसकी जांच की जा रही है। वे कहते हैं कि या तो ये किसी सुपरनोवा (तारे के जीवन के अंत में होने वाला विस्फोट) की तरंगें हैं या अंतरिक्ष में किसी नए तारे के बनने की तैयारी हो रही है। जादेह के अनुसार, इस रिसर्च से वे गैलेक्सी में मौजूद और भी रहस्यमयी चीजों की पहेली सुलझा सकेंगे।

Source;-“दैनिक भास्कर”

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