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ऊसर भूमि पर आय की ‘उर्वरा जमीन’

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Mar 16, 2021
ऊसर भूमि पर आय की 'उर्वरा जमीन'

महराजगंज : नई सोच के साथ बढ़े कदम बदलाव जरूर लाते हैं। कुछ इसी नक्शे कदम पर गोरखपुर के रहने वाले श्रद्धानंद त्रिपाठी ऊर्फ उत्तम ने ऊसर भूमि पर आय की उर्वरा जमीन तैयार की है। निचलौल क्षेत्र के ग्राम रायपुर सीवान में जंगल किनारे छह एकड़ बंजर भूमि पर अब लहलहा रही उनकी सब्जी की फसल इसका सुबूत है।

खाद बीज की दुकान चलाने वाले श्रद्धानंद ने अपनी आय बढ़ाने की सोच के साथ महराजगंज जिले की अपनी इस ऊसर भूमि को पहले उपजाऊ बनाया। परिणाम भी सामने आया। छह माह में ही बेकार पड़ी भूमि आय देने वाली जमीन बन गई। गोभी, मूली, करैला, बोड़ा, भिडी व नेनुआ की फसल तैयार होने को है। 20 से 25 महिलाओं व पुरुष मजदूरों को रोजगार भी मिला है। श्रद्धानंद बताते हैं कि छह माह पहले जैविक विधि से खेती की योजना बनाई। क्षेत्र के सुरेश, रामकरन, शंभू आदि किसानों ने भी जैविक विधि से खेती आरंभ कर दी है। ऐसे तैयार की भूमि

सर्वप्रथम बंजर भूमि को कल्टीवेटर से समतल कराया। इसके बाद जोताई कराई। जंगली जानवरों से बचाव को खेत के चारों तरफ पांच फीट ऊंची जाली लगवाई है। इसके बाद अप्रैल में तैयार होने वाली सब्जी की फसल बोई। एक एकड़ में 28000 रुपये की लागत

श्रद्धानंद बताते हैं कि एक एकड़ में 28000 रुपये की लागत आई है। इसमें खाद, बीज व मजदूरी आदि शामिल है। रही लाभ की बात तो तीन एकड़ में नौ लाख की भिंडी, ढाई एकड़ में छह लाख की गोभी पैदा होगी। जैविक खाद अगल-बगल के गांवों से मंगाता हूं। एक एकड़ में पांच क्विंटल जैविक व चार ट्राली गोबर की खाद का प्रयोग किया है। गो पालन की भी योजना

श्रद्धानंद ने बताया कि जैविक खेती के लिए गोबर की अधिक आवश्यकता होती है। इसकी पूर्ति के लिए जल्द ही गिर प्रजाति के गाय का पालन करने की योजना है। इससे दूध के साथ खेत के लिए गोबर व गोमूत्र भी मिलेगा।

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