चम्पावत, संवाद सहयोगी : अगर कुछ कर गुजरने की इच्छा हो तो समय की कमी और उम्र कभी आड़े नही आती। बचत कार्यालय में वाहन चालक पद से सेवानिवृत देवकी नंदन चौबे ने कुछ यही कर दिखाया है। उन्होंने अपना शेष जीवन बेमौसमी सब्जी उत्पादन में लगा दिया है। वे बीते दस वर्षों से नौकरी के साथ सब्जी उत्पादन भी कर रहे थे।
नौकरी के दौरान वे सुबह उठने के बाद वह एक घंटा रोज खेतों में लगाते थे। शाम को कार्यालय में आने बाद देर रात तक खेतों में काम करते थे। चार माह पूर्व रिटायरमेंट के बाद वह पूरा समय खेतों को देते हैं। देवकीनंदन अपनी लगन और मेहनत से क्षेत्र के प्रगतिशील काश्तकारों में शामिल हो चुके हैं। उनका इरादा प्रति वर्ष सीजन में सब्जी बेचकर 50 से 60 हजार रुपया कमाने का है।
उन्होंने तीन पॉलीहाउस लगवा लिए हैं और उनमें बंद व फूल गोभी, प्याज, मटर पैदा कर रहे हैं। वे सब्जी के पौधे तैयार कर उन्हें आस-पास के लोगों को निशुल्क बांटकर उन्हें भी सब्जी उत्पादन के लिए प्रेरित कर रहे हैं। देवकी नंदन चौबे ने बताया कि खेती से जुडऩे का आनंद ही कुछ और है। इससे जहां पूरी कसरत हो जाती है वहीं शाम को भूख भी बढ़ जाती है। बताया कि पहाड़ में जोत कम होने के कारण बड़े पैमाने पर फसल पैदा नहीं हो पाती। ऐसे काश्तकारों को सब्जी उत्पादन की ओर ध्यान देना चाहिए।
जिला उद्यान अधिकारी चम्पावत सतीश शर्मा ने बताया कि उद्यान विभाग अपने सचल दल केंद्रों के जरिए काश्तकारों को सब्सिडी पर बीज, खाद आदि उपलब्ध करवा रहा है। अधिक से अधिक लोग सब्जी उत्पादन से जुड़ेगे तो इससे आय अर्जन में उनकी काफी मदद हो सकती है।
- प्रवासियों को दे रहे सब्जी उत्पादन के तरीकों की जानकारी
देवकीनंदन चौबे कोरोना के कारण घर लौटे गांव के प्रवासियों को सब्जी उत्पादन की जानकारी दे रहे हैं। कई युवाओं ने उनकेप्रेरणा लेकर सब्जी उत्पादन का काम शुरू कर दिया है। चार युवाओं ने पॉलीहाउस लगाने के लिए उद्यान विभाग में आवेदन भी किया है। वे युवाओं का संपर्क कृषि विज्ञान केंद्र में करवा कर उन्हें खेती की वैज्ञानिक तकनीकि से भी जोड़ रहे हैं।